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एक्टर रोहिताश को याद आए शिमला में बिताए दिन, कहा: कलाकारों का सहयोग करे सरकार

साहित्य कला संवाद के दौरान रोहिताश गौड़ ने शिमला में बिताए अपने दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि अभिनय का आरंभ उन्होंने शिमला से किया था. इस दौरान उन्होंने कई नाटकों को याद करते हुए उसमें तत्कालीन सह रंगकर्मियों को भी याद किया.

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Published : Oct 28, 2020, 11:11 AM IST

Rohitash Gaud
रोहिताश गौड़

शिमला: भारतीय रंगमंच फिल्म एवं टीवी कलाकार रोहिताश गौड़ ने कहा कि प्रदेश में हिंदी रंगमंच से जुड़े कलाकारों को सरकार के सहयोग की जरूरत है. हिंदी रंगमंच को प्रदेश में भरपूर सरकारी पराश्रेय एवं सहयोग मिलते रहने पर निश्चित तौर पर प्रदेश के कलाकारों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे. साथ ही स्थानीय प्रतिभाओं का विकास होगा जो आत्म निर्भर बनने में सक्षम होंगे. यह बात रोहिताश गौड़ ने हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की ओर से आयोजित साहित्य कला संवाद की 152वीं कड़ी में कही.

इस सवांद के दौरान रोहिताश गौड़ ने शिमला में बिताए अपने दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि अभिनय का आरंभ उन्होंने शिमला से किया, जिनमें उनके पिता सुदर्शन गौड़ के सानिध्य में अभिनय को आत्मसार किया. सुदर्शन गौड़ हिमाचल प्रदेश में सरकारी सेवा में तैनात थे. रोहिताश गौड़ ने बताया कि उनके पिता ने 50 के दशक में देश को शौकिया रंगमंच के उत्थान एवं शौकिया रंग मंडलियों को मंच प्रदान करने के लिए शिमला में ऑल इंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन का गठन कर देश में असंख्य कलाकारों को नाट्य एवं नृत्य कला के प्रदर्शन के लिए समर्पण भाव से काम किया.

actor rohitash gaur in Sahitya Kala Samvad
हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की ओर से साहित्य कला संवाद का आयोजन किया गया

उन्होंने शौकिया रंगमंच और व्यवसायिक रंगमंच के अंतर का वर्णन करते हुए अभिनय और रंगमंच की बारीकियों को जानने के लिए इस संदर्भ में प्रशिक्षण की आवश्यकता को बल दिया. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक तौर पर रंगकर्मी का रंगमंच के लिए समर्पण बाद में फिल्मों की ओर उसका पलायन उसकी आर्थिक मजबूरी होती है. बहुत से कलाकारों ने फिल्मों में काम करने के बाद भी रंगमंच को आत्मसात कर काम करने की निरंतरता जारी रखी है.

रोहिताश गौड़ ने संवाद कार्यक्रम में शिमला व शिमला के अन्य क्षेत्रों में किए गए नाटकों को स्मरण करते हुए आगरा बाजार, एक था गधा उर्फ अला दाद खां, अंडर सैकेरेटरी, दौड़, बड़े भाई साहब आदि नाटकों को स्मरण करते हुए अपने तत्कालीन सह रंगकर्मी सविता सूद, आरती सूद, भारती सूद और अन्य कलाकारों को भी याद किया.

कला संवाद कार्यक्रम शुरू करते हुए सचिव भाषा कला संस्कृति अकादमी डॉ. कर्म सिंह ने भाषा कला एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से भविष्य में विभिन्न कलाओं के संवर्धन के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मल्टी पर्पज थियेटर की स्थापना के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने अन्य केंद्रीय व विभिन्न प्रदेशों के संस्थानों के साथ मिलकर इस दिशा में काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कार्यशालाओं के आयोजन और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन भव्य रूप में कोरोना संकट काल के बाद किया जाएगा. उन्होंने रोहिताश्व गौड़ व अन्य प्रतिष्ठित लोगों से इस संबंध में मार्ग दर्शन की अपेक्षा की.

कार्यक्रम में रोहिताश गौड़ के साथ परस्पर संवाद कायम करते हुए संजय सूद ने बताया कि रोहिताश हिमाचल के मूलतः सिरमौर जिला के रहने वाले हैं. 80 के दशक में शिमला रंगमंच से संबद्ध रहे और 1986 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली में प्रवेश पाया. रोहिताश गौड़ का बाल्यकाल शिमला के नाभा ईस्टेट और लोअर बाजार में बीता, जिस पर भी चर्चा की गई.

संवाद के दौरान उनकी फिल्मों जिनमें वीर सावर कर, धूप, मातृ भूमि, मुन्ना भाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्ना भाई, अ वेडनसडे, हासिल, थ्री इडियट्स और विभिन्न राष्ट्रीय चैनल पर टीवी धारावाहिकों जैसे वेद व्यास के पौते-डीडी वन, फिरदोस-1998, अग्नि चक्र-सहारा टीवी, हकीकत-सहारा टीवी, लापता गंज-सब टीवी, भाभी जी घर पर है-एंड टीवी, जय हनुमान-डीडीवन, महा भारत-जीटीवी, कागज की कश्ती-सहारा, मौहल्ला मोहब्बत वाला-सबटीवी, श्री सिफारशी लाल-सबटीवी, चाबी है पड़ोस में-स्टार प्लस, हमारी खुशियों की गुल्लक आशी-सोनी पल, हम आपके है इन-लॉज -सबटीवी, ये प्यार न होगा कम-कलरस टीवी, डेडी और नॉडो-हंगामा टीवी, छात्रपति शिवाजी-डीडीवन, जसुबेन जयंतीलाल जोशी की ज्वॉइंट फैमिली-एनडीटीवी इमेजिन, मुझे चांद चाहिए-1997, बुलबुल बाग में, खेल, राजपत, सेना मेडल-(स्टार बेस्ट सेलर बाए राज कुमार हिरानी) में किए गए पात्रों के संबंध में चर्चा की गई.

साथ ही भाभी जी घर पर है में उनके द्वारा अभिनित मनमोहन तिवारी और लापता गंज में अभिनित मुकंदी लाल के पात्र को लेकर भी चर्चा की गई.

शिमला: भारतीय रंगमंच फिल्म एवं टीवी कलाकार रोहिताश गौड़ ने कहा कि प्रदेश में हिंदी रंगमंच से जुड़े कलाकारों को सरकार के सहयोग की जरूरत है. हिंदी रंगमंच को प्रदेश में भरपूर सरकारी पराश्रेय एवं सहयोग मिलते रहने पर निश्चित तौर पर प्रदेश के कलाकारों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे. साथ ही स्थानीय प्रतिभाओं का विकास होगा जो आत्म निर्भर बनने में सक्षम होंगे. यह बात रोहिताश गौड़ ने हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की ओर से आयोजित साहित्य कला संवाद की 152वीं कड़ी में कही.

इस सवांद के दौरान रोहिताश गौड़ ने शिमला में बिताए अपने दिनों को याद किया. उन्होंने बताया कि अभिनय का आरंभ उन्होंने शिमला से किया, जिनमें उनके पिता सुदर्शन गौड़ के सानिध्य में अभिनय को आत्मसार किया. सुदर्शन गौड़ हिमाचल प्रदेश में सरकारी सेवा में तैनात थे. रोहिताश गौड़ ने बताया कि उनके पिता ने 50 के दशक में देश को शौकिया रंगमंच के उत्थान एवं शौकिया रंग मंडलियों को मंच प्रदान करने के लिए शिमला में ऑल इंडिया आर्टिस्ट एसोसिएशन का गठन कर देश में असंख्य कलाकारों को नाट्य एवं नृत्य कला के प्रदर्शन के लिए समर्पण भाव से काम किया.

actor rohitash gaur in Sahitya Kala Samvad
हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी की ओर से साहित्य कला संवाद का आयोजन किया गया

उन्होंने शौकिया रंगमंच और व्यवसायिक रंगमंच के अंतर का वर्णन करते हुए अभिनय और रंगमंच की बारीकियों को जानने के लिए इस संदर्भ में प्रशिक्षण की आवश्यकता को बल दिया. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक तौर पर रंगकर्मी का रंगमंच के लिए समर्पण बाद में फिल्मों की ओर उसका पलायन उसकी आर्थिक मजबूरी होती है. बहुत से कलाकारों ने फिल्मों में काम करने के बाद भी रंगमंच को आत्मसात कर काम करने की निरंतरता जारी रखी है.

रोहिताश गौड़ ने संवाद कार्यक्रम में शिमला व शिमला के अन्य क्षेत्रों में किए गए नाटकों को स्मरण करते हुए आगरा बाजार, एक था गधा उर्फ अला दाद खां, अंडर सैकेरेटरी, दौड़, बड़े भाई साहब आदि नाटकों को स्मरण करते हुए अपने तत्कालीन सह रंगकर्मी सविता सूद, आरती सूद, भारती सूद और अन्य कलाकारों को भी याद किया.

कला संवाद कार्यक्रम शुरू करते हुए सचिव भाषा कला संस्कृति अकादमी डॉ. कर्म सिंह ने भाषा कला एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से भविष्य में विभिन्न कलाओं के संवर्धन के लिए विभिन्न क्षेत्रों में मल्टी पर्पज थियेटर की स्थापना के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने अन्य केंद्रीय व विभिन्न प्रदेशों के संस्थानों के साथ मिलकर इस दिशा में काम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि कार्यशालाओं के आयोजन और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन भव्य रूप में कोरोना संकट काल के बाद किया जाएगा. उन्होंने रोहिताश्व गौड़ व अन्य प्रतिष्ठित लोगों से इस संबंध में मार्ग दर्शन की अपेक्षा की.

कार्यक्रम में रोहिताश गौड़ के साथ परस्पर संवाद कायम करते हुए संजय सूद ने बताया कि रोहिताश हिमाचल के मूलतः सिरमौर जिला के रहने वाले हैं. 80 के दशक में शिमला रंगमंच से संबद्ध रहे और 1986 में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली में प्रवेश पाया. रोहिताश गौड़ का बाल्यकाल शिमला के नाभा ईस्टेट और लोअर बाजार में बीता, जिस पर भी चर्चा की गई.

संवाद के दौरान उनकी फिल्मों जिनमें वीर सावर कर, धूप, मातृ भूमि, मुन्ना भाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्ना भाई, अ वेडनसडे, हासिल, थ्री इडियट्स और विभिन्न राष्ट्रीय चैनल पर टीवी धारावाहिकों जैसे वेद व्यास के पौते-डीडी वन, फिरदोस-1998, अग्नि चक्र-सहारा टीवी, हकीकत-सहारा टीवी, लापता गंज-सब टीवी, भाभी जी घर पर है-एंड टीवी, जय हनुमान-डीडीवन, महा भारत-जीटीवी, कागज की कश्ती-सहारा, मौहल्ला मोहब्बत वाला-सबटीवी, श्री सिफारशी लाल-सबटीवी, चाबी है पड़ोस में-स्टार प्लस, हमारी खुशियों की गुल्लक आशी-सोनी पल, हम आपके है इन-लॉज -सबटीवी, ये प्यार न होगा कम-कलरस टीवी, डेडी और नॉडो-हंगामा टीवी, छात्रपति शिवाजी-डीडीवन, जसुबेन जयंतीलाल जोशी की ज्वॉइंट फैमिली-एनडीटीवी इमेजिन, मुझे चांद चाहिए-1997, बुलबुल बाग में, खेल, राजपत, सेना मेडल-(स्टार बेस्ट सेलर बाए राज कुमार हिरानी) में किए गए पात्रों के संबंध में चर्चा की गई.

साथ ही भाभी जी घर पर है में उनके द्वारा अभिनित मनमोहन तिवारी और लापता गंज में अभिनित मुकंदी लाल के पात्र को लेकर भी चर्चा की गई.

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