शिमला: हिमाचल प्रदेश में चल रहे नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स में एक महीने के भीतर प्रभावितों को 804 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया है. अब 27 मार्च तक शेष 750 करोड़ रुपए की राशि देने के प्रयास किए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को शिमला में नेशनल हाईवेज से जुड़े प्रोजेक्ट्स की प्रोग्रेस समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान सीएम सुखविंदर सिंह ने भूमि मुआवजा, वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) और वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) की मंजूरी से वाले मामलों को सुलझाने पर जोर दिया.
सीएम ने अधिकारियों से सड़क परियोजनाओं को पूरा करने में आ रही दिक्कतों के समाधान के भी निर्देश दिए. बैठक में सीएम ने मुआवजे के मामले क्लियर करने के लिए अफसरों की पीठ भी थपथपाई. बैठक में अफसरों ने बताया कि एक महीने में प्रभावितों को 804 करोड़ रुपये के भूमि मुआवजा दिया गया है. सीएम सुखविंदर सिंह ने अफसरों को 27 मार्च तक लगभग 750 करोड़ रुपये के शेष मुआवजे के ममले निपटाने के लिए कहा.
इसके अलावा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अफसरों को एफआरए व एफसीए के मंजूरी संबंधी मामलों की हर पखवाड़े निगरानी कर तेजी लाने के आदेश दिए. अब एनएच प्रोजेक्ट्स की प्रगति की समीक्षा को लेकर 27 मार्च को बैठक होगी. सीएम ने शिमला-मटौर सडक़, पठानकोट-मंडी सड़क, शिमला बाइपास और पिंजौर-बद्दी-नालागढ़ सडक़ की प्रगति की भी समीक्षा की. उन्होंने कहा कि बीहरू-लठियाणी सड़क के लिए 900 करोड़ रुपये की डीपीआर 20 फरवरी को केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है. उन्होंने उम्मीद जताई कि 31 मार्च तक इस परियोजना को मंजूरी मिल जाएगी.
इसके साथ ही 31 मार्च तक सैंज-लूहरी-जलोड़ी सडक़ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट यानी डीपीआर भी तैयार की जाएगी. उन्होंने कहा कि जलोड़ी सुरंग के निर्माण के लिए राज्य सरकार एक कंसल्टेंट नियुक्त करेगी. साथ ही नालागढ़-स्वारघाट सडक़, ऊना बाईपास और पंजाब की सीमा से नादौन तक सडक़ निर्माण को शुरू किया जाएगा. मीटिंग में राज्य सरकार के रेवेन्यू मिनिस्टर जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह सहित संबंधित विभागों के अफसर शामिल हुए.
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