शिमला: हिमाचल में प्रत्याशियों की लिस्ट जारी होने के साथ ही घमासान मचा था. कई बड़े उलट फेर देखने को मिले. दिग्गजों के टिकट काटे गए तो कहीं सीटिंग विधायक की सीट बदल दी गई तो कहीं पिता के बजाय बेटे को टिकट दी गई. इस मामले में बीजेपी सबसे आगे रही. यही कारण है कि इसके कई बड़े चेहरे बागी हो गए और नाराज होकर साथ छोड़ दिया. बीजेपी ने कुल 11 विधायकों का टिकट काटा , जिसमें एक मंत्री हैं. इसके अलावा 2 मंत्रियों की सीट बदली गई है. सुरेश भारद्वाज को शिमला शहरी से कसुम्पटी भेजा गया जबकि राकेश पठानिया को नूरपुर से फतेहपुर भेजा गया. विस्तार से जानिए विधायकों की पूरी जानकारी.. (58 re contestting mlas in himachal )
इन सीटों पर हैं भाजपा के बागी: हिमाचल में अबकी बार बागी रिकार्ड संख्या में चुनावी मैदान में है. अबकी बार कुल मिलाकर करीब 26 निर्दलीय चुनावी समर में कूदे हैं, जो कि कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए चुनौती बने हुए हैं. इनमें अकेले करीब 21 बागी भाजपा के हैं. भाजपा के बागियों में कुल्लू से भाजपा के उपाध्यक्ष राम सिंह, बंजार से भाजपा नेता महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर ठाकुर, मनाली से महेंद्र सिंह ठाकुर, आनी से विधायक किशोरी लाल, सुंदरनगर से पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर के बेटे अभिषेक ठाकुर, मंडी सदर से प्रवीण शर्मा, नाचन से ज्ञान चंद, किन्नौर से पूर्व भाजपा विधायक तेजवंत नेगी शामिल हैं.
आजाद प्रत्याशी के रूप में किशोरी लाल: कुल्लू जिले की आनी सीट आरक्षित है. यहां से भाजपा विधायक किशोरी लाल सागर ने अपना टिकट कटने से नाराज होकर भाजपा का साथ छोड़ दिया. किशोरी लाल सागर के साथ पार्टी के 135 पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी से सामूहिक इस्तीफा दे दिया था. इन लोगों ने हिमाचल भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के नाम लिखे इस्तीफे में किशोरी लाल का टिकट काटे जाने पर नाराजगी जताई भी जताई थी. किशोरी लाल निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
किन्नौर सीट से तेजवंत सिंह नेगी: किन्नौर जिले की सदर सीट पर भी काफी विवाद देखने को मिला. पिछले विधानसभा चुनाव में तेजवंत सिंह नेगी इस सीट से उम्मीदवार थे. दिलचस्प बात ये है कि 2017 के चुनाव में तेजवंत नेगी, कांग्रेस के जगत सिंह नेगी से महज 120 वोट से हारे थे. लेकिन इस बार के चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया है और नए प्रत्याशी सूरत नेगी को टिकट दिया है. वहीं टिकट कटने के बाद तेजवंत नेगी ने अपना पर्चा वापस नहीं लिया, जिससे बीजेपी ने उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से बाहर कर दिया. तेजवंत सिंह नेगी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
चंबा सीट से इंदिरा कपूर: चंबा जिले की सदर सीट से पवन नैयर विधायक हैं. पवन नैयर इससे पहले कांग्रेस में थे. मगर, जब बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट आई तो उनका टिकट काटकर इंदिरा कपूर को दे दिया गया. टिकट कटा तो उन्होंने समर्थकों के साथ अपनी ताकत दिखाई, जिसके बाद नामांकन से ठीक पहले बीजेपी ने इंदिरा कपूर का टिकट काट दिया और पवन नैयर की पत्नी नीलम नैयर को टिकट दे दिया. अब सदर सीट से इंदिरा कपूर ने बगावत कर दी है और निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं.
कांगड़ा सदर सीट से कुलभाष चौधरी: कांगड़ा जिले की सदर सीट से टिकट कटने के बाद कुलभाष चौधरी ने भी बगावत कर दिया. वो अब निर्दलीय अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. कुलभाष चौधरी की अपने क्षेत्र के लोगों में अच्छी पैठ मानी जाती है. यहां से बीजेपी ने पूर्व कांग्रेस नेता पवन काजल को टिकट दिया है.
धर्मशाला सीट से विपिन नेहरिया: धर्मशाला सीट से बीजेपी नेता विपिन नेहरिया ने भी टिकट नहीं मिलने पर बगावती तेवर अपना लिए. धर्मशाला सीट से 2017 के चुनाव में किशन कपूर जीते थे. मगर, 2019 के लोकसभा चुनाव जीतकर किशन कपूर सांसद बन गए, जिसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी ने विशाल नेहरिया को उम्मीदवार बनाया और वे जीत गए. इस बार धर्मशाला से विपिन नेहरिया ने टिकट मांगा था लेकिन पार्टी ने राकेश चौधरी को टिकट दे दिया. अब विपिन नेहरिया निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
इंदौरा सीट से मनोहर धीमान: कांगड़ा जिले की ही इंदौरा सीट से रीता धीमान बीजेपी विधायक हैं. 2017 चुनाव में रीता धीमान ने कांग्रेस के कमल किशोर को महज 1005 वोटों से हराया था. बीजेपी ने इस बार भी रीता धीमान को टिकट दिया है. मगर, पार्टी के नेता मनोहर धीमान टिकट ना मिलने से बीजेपी से नाराज हो गए हैं. यहां से मनोहर धीमान ने बगावत कर दी और निर्दलीय लड़ रहे हैं.
नालागढ़ सीट से केएल ठाकुर: बीजेपी ने सोलन जिले की नालागढ़ सीट से पिछली बार केएल ठाकुर टिकट दिया था. केएल ठाकुर को पिछले चुनाव में कांग्रेस के लखविंदर सिंह राणा ने हरा दिया था. लेकिन इस बार कांग्रेस विधायक लखविंदर सिंह राणा बीजेपी में शामिल हो गए हैं. इस वजह से केएल ठाकुर का टिकट कट गया है. केएल ठाकुर ने भी बीजेपी से बगावत कर दी और आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं.
फतेहपुर सीट से कृपाल परमार: कांगड़ा जिले के फतेहपुर विधानसभा सीट से कृपाल परमार बीजेपी से टिकट के प्रबल दावेदार थे. लेकिन पार्टी ने यहां से राकेश पठानिया को टिकट दे दिया है, जिससे कृपाल परमार बीजेपी से नाराज होकर बागी हो गए हैं. कृपाल परमार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
सुंदरनगर सीट से अभिषेक ठाकुर: सुंदरनगर सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक राकेश कुमार जम्वाल को टिकट दिया है. मगर, पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर के बेटे अभिषेक ठाकुर ने सुंदरनगर से टिकट ना मिलने से बगावत कर दी है. अभिषेक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं.
कुल्लू की सदर सीट से राम सिंह: कुल्लू जिले की सदर सीट से बीजेपी नेता राम सिंह टिकट नहीं मिलने से नाराज हो गए. इस बार बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया है, लेकिन राम सिंह को पार्टी ने 2012 में टिकट दिया था. यहां से बीजेपी ने इस बार नरोत्तम सिंह को टिकट दिया है. ऐसे में राम सिंह भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
मनाली सीट से महेंद्र सिंह ठाकुर: कुल्लू जिले की मनाली विधानसभा सीट से बीजेपी ने दो बार के विधायक गोविंद सिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है. पार्टी के नेता महेंद्र सिंह ठाकुर भी टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला. नाराज महेंद्र सिंह ठाकुर भी निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं.
बंजार सीट से हितेश्वर सिंह: बंजार सीट से बीजेपी नेता हितेश्वर सिंह ने बगावत की है. बीजेपी हितेश्वर सिंह को टिकट नहीं देना चाहती थी इसलिए नाराज होकर हितेश्वर सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
बड़सर सीट से संजीव शर्मा: हमीरपुर जिले की बड़सर सीट पर टिकट ना मिलने से बीजेपी के संजीव शर्मा पार्टी भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने यहां से माया शर्मा को प्रत्याशी बनाया है.
बिलासपुर सीट से सुभाष शर्मा: बिलासपुर सीट से बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा दो बार विधायक रह चुके हैं. लेकिन इस बार नड्डा के गढ़ में बगावत हो गई है. बीजेपी ने मौजूदा विधायक सुभाष ठाकुर का टिकट काट दिया है और त्रिलोक जम्वाल को टिकट दिया है. सुभाष ठाकुर शांत बैठ गए हैं लेकिन बीजेपी नेता सुभाष शर्मा इस सीट से बागी हो गए और आजाद उम्मीदावर के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं.
झंडूता सीट से राजकुमार कोंडल: झंडूता सीट से राजकुमार कोंडल ने भी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. बीजेपी ने मौजूदा विधायक जे आर कटवाल को टिकट दिया लेकिन राजकुमार ने बीजेपी से नाराज होकर झंडूता से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया.
नाचन सीट से ज्ञानचंद: मंडी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का गृह जिला है. यहां की नाचन सीट पर भी बीजेपी को नाराजगी झेलनी पड़ी. बीजेपी ने मौजूदा विधायक विनोद कुमार को ही टिकट दिया लेकिन टिकट पाने की आस लगाए बैठे बीजेपी नेता ज्ञानचंद ने बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
मंडी सीट से प्रवीण शर्मा: मंडी सीट से बीजेपी ने मौजूदा विधायक और वरिष्ठ नेता अनिल शर्मा को टिकट दिया है. यहां के क्षेत्रीय नेता प्रवीण शर्मा ने टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला जिससे वो नाराज हो गए हैं. प्रवीण ने अनिल शर्मा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और इंडिपेंडेंट चुनाव लड़ रहे हैं.
देहरा सीट से होशियार सिंह: देहरा से होशियार सिंह विधायक हैं. पिछले चुनाव में वो 4 हाजर से ज्यादा वोटों से जीते थे. लेकिन इस चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया है. यहां से रमेश चंद को टिकट दिया गया है. इसके बाद होशियार सिंह बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय मैदान में हैं.
महेंद्र सिंह का टिकट काटकर बेटे रजत ठाकुर को दिया गया : धर्मपुर विधानसभा सीट से महेंद्र सिंह लगातार सातवीं बार बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े और विधायक चुने गए. उन्होंने एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार चंद्रशेखर को हराया था. इस चुनाव में महेंद्र सिंह को 27,931 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार चंद्रशेखर को 15,967 वोट मिले थे. वोट शेयर की बात करें तो इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का वोट शेयर 57.68% और कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर 32.97% था. इस बार बीजेपी ने महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को यहां से टिकट दिया है.
कांग्रेस के इन नेताओं ने कर रखी है बगावत: हिमाचल के चुनाव में बागियों का सामना कांग्रेस को भी करना पड़ा है, हालांकि कांग्रेस के बागियों की संख्या भाजपा के मुकाबले कम है. कांग्रेस के बगावत करने वालों में पच्छाद से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर, ठियोग से पूर्व मंत्री दिवंगत जयबिहारी लाल खाची के बेटे विजय पाल खाची, सुलह से पूर्व विधायक जगजीवन पाल, चौपाल से पूर्व विधायक डॉ सुभाष मंगलेट और आनी से परस राम निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं. टिकट न मिलने से नाराज ये निर्दलीय ही चुनौती दे रहे हैं.