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आईजीएमसी शिमला में छुट्टी पर गए 50% डॉक्टर, पहले ही दिन चरमराई स्वास्थ्य सेवाएं, इलाज के लिए दर-दर भटक रहे मरीज - हिमाचल स्वास्थ्य व्यवस्था

IGMC Shimla Doctors On Leave: आईजीएमसी शिमला 50 फीसदी डॉक्टर्स विंटर विकेशन पर चले गए है. जिससे आईजीएमसी में स्वास्थ्य व्यस्थाएं चरमरा गई है. मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 16, 2023, 5:35 PM IST

Updated : Dec 16, 2023, 6:00 PM IST

शिमला: शिमला: आईजीएमसी में पहले दिन 50 फीसदी डॉक्टरों के छुट्टी पर जाने से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई है. जिसके चलते मरीजों को अपना इलाज करवाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. शनिवार को सुबह से ही ओपीडी में भीड़ लगी रही. यहां आधे से ज्यादा मरीजों के समय अनुसार चेकअप नहीं हो पाए. वहीं, सबसे ज्यादा दिक्कत तो उन मरीजों को हुई जिनका काफी समय पहले से एक ही डॉक्टर के पास इलाज चल रहा है. ऐसे में डॉक्टर के छुट्टी पर जाने से काफी सारे मरीज बिना चेकअप करवाएं ही वापस घर की ओर लौट गए, क्योंकि यह मरीज दूसरे डॉक्टर से इलाज नहीं करवाना चाहते है.

डॉक्टरों के छुट्टी पर जाने से पहला ही दिन था आईजीएमसी में शनिवार से डॉक्टर का विंटर वेकेशन शुरू हो गया है. दो चरणों में डॉक्टर छुट्टी पर जा रहे हैं. पहले चरण में डॉक्टर छुट्टी पर चले गए है. अस्पताल के फैकल्टी सदस्यों को 38 दिन, जबकि रेजिडेंट डॉक्टरों को 30 दिनों का अवकाश मिलता है. इनके वापस लौटने के बाद शेष 50 प्रतिशत डॉक्टर अवकाश पर जाएंगे और छुट्टी से वापस लौटने वाले डॉक्टर मरीजों को ओपीडी से लेकर ओटी तक सेवाएं देंगे.

आईजीएमसी में करीब 37 विभाग है. हर विभाग से 3 या 5 डॉक्टर छुट्टी पर गए हैं. डॉक्टरों का विंटर वेकेशन हर साल होता है. ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों को छुट्टियों पर भेज दिया है. आईजीएमसी हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल होने के नाते यहां पर सैकड़ों मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं. स्वास्थ्य सुविधा की अगर बात की जाए तो प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य सुविधा देने के सब दावे खोखले नजर आ रहे हैं. यहां पर छुट्टियों का इसलिए भी फर्क पड़ रहा है कि पहले ही यहां पर डॉक्टरों की कमी चली हुई है. लोगों का यह तर्क है कि डॉक्टरों को छुट्टियां तो देनी चाहिए, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते अगर तीन चरणों में छुट्टियां दी जाती तो बेहतर रहता.

"आईजीएमसी में मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जा रही है. यहां परेशानी वाली कोई बात नहीं है. जनता को भली भांति पता है कि डॉक्टर दिन-रात काम करते आ रहे हैं. डॉक्टर पर काम का भी काफी बोझ पड़ा होता है. ऐसे में डॉक्टर दो चरणों में छुट्टी पर जा रहे हैं. पहले चरण में डॉक्टर छुट्टी पर चले गए हैं. जो डॉक्टर छुट्टी पर नहीं गए है, वे उन डॉक्टरों का काम भी देख रहे है जो छुट्टी पर गए हैं. आईजीएमसी में मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्कतें नहीं आने दी जाएगी.":- डॉ. सीता ठाकुर, प्रिंसिपल, आईजीएमसी

ये भी पढ़ें: कांग्रेस ने आपदा के नाम पर बहुत झूठ बोला, केंद्र ने नियमों से आगे बढ़कर हिमाचल की मदद की: अनुराग ठाकुर

शिमला: शिमला: आईजीएमसी में पहले दिन 50 फीसदी डॉक्टरों के छुट्टी पर जाने से स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमरा गई है. जिसके चलते मरीजों को अपना इलाज करवाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. शनिवार को सुबह से ही ओपीडी में भीड़ लगी रही. यहां आधे से ज्यादा मरीजों के समय अनुसार चेकअप नहीं हो पाए. वहीं, सबसे ज्यादा दिक्कत तो उन मरीजों को हुई जिनका काफी समय पहले से एक ही डॉक्टर के पास इलाज चल रहा है. ऐसे में डॉक्टर के छुट्टी पर जाने से काफी सारे मरीज बिना चेकअप करवाएं ही वापस घर की ओर लौट गए, क्योंकि यह मरीज दूसरे डॉक्टर से इलाज नहीं करवाना चाहते है.

डॉक्टरों के छुट्टी पर जाने से पहला ही दिन था आईजीएमसी में शनिवार से डॉक्टर का विंटर वेकेशन शुरू हो गया है. दो चरणों में डॉक्टर छुट्टी पर जा रहे हैं. पहले चरण में डॉक्टर छुट्टी पर चले गए है. अस्पताल के फैकल्टी सदस्यों को 38 दिन, जबकि रेजिडेंट डॉक्टरों को 30 दिनों का अवकाश मिलता है. इनके वापस लौटने के बाद शेष 50 प्रतिशत डॉक्टर अवकाश पर जाएंगे और छुट्टी से वापस लौटने वाले डॉक्टर मरीजों को ओपीडी से लेकर ओटी तक सेवाएं देंगे.

आईजीएमसी में करीब 37 विभाग है. हर विभाग से 3 या 5 डॉक्टर छुट्टी पर गए हैं. डॉक्टरों का विंटर वेकेशन हर साल होता है. ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टरों को छुट्टियों पर भेज दिया है. आईजीएमसी हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल होने के नाते यहां पर सैकड़ों मरीज अपना उपचार करवाने आते हैं. स्वास्थ्य सुविधा की अगर बात की जाए तो प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य सुविधा देने के सब दावे खोखले नजर आ रहे हैं. यहां पर छुट्टियों का इसलिए भी फर्क पड़ रहा है कि पहले ही यहां पर डॉक्टरों की कमी चली हुई है. लोगों का यह तर्क है कि डॉक्टरों को छुट्टियां तो देनी चाहिए, लेकिन स्टाफ की कमी के चलते अगर तीन चरणों में छुट्टियां दी जाती तो बेहतर रहता.

"आईजीएमसी में मरीजों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जा रही है. यहां परेशानी वाली कोई बात नहीं है. जनता को भली भांति पता है कि डॉक्टर दिन-रात काम करते आ रहे हैं. डॉक्टर पर काम का भी काफी बोझ पड़ा होता है. ऐसे में डॉक्टर दो चरणों में छुट्टी पर जा रहे हैं. पहले चरण में डॉक्टर छुट्टी पर चले गए हैं. जो डॉक्टर छुट्टी पर नहीं गए है, वे उन डॉक्टरों का काम भी देख रहे है जो छुट्टी पर गए हैं. आईजीएमसी में मरीजों को किसी भी प्रकार की दिक्कतें नहीं आने दी जाएगी.":- डॉ. सीता ठाकुर, प्रिंसिपल, आईजीएमसी

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Last Updated : Dec 16, 2023, 6:00 PM IST
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