शिमला: कर्ज में डूबे हिमाचल को कुछ मोर्चों पर राहत भी मिली है. हिमाचल सरकार के खुद के कर राजस्व में एक साल में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. कैग की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है. हिमाचल में वर्ष 2020-21 में स्टेट जीएसटी 3466 करोड़ था जो 2021-22 में बढ़कर 4482 करोड़ रुपए से अधिक हो गया. इसी तरह स्टेट एक्साइज यानी राज्य आबकारी में भी कम से कम 380 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है. पिछले वित्त वर्ष के कुल 8083 करोड़ के टैक्स रेवेन्यू के मुकाबले 2021-22 में यह रकम 9714 करोड़ से अधिक है. इस तरह 1631 करोड़ की राहत मिली है. (tax revenue in Himachal) (debt on himachal)
हिमाचल में एक साल में माल एंव सेवा कर (जीएसटी) के रूप में 1,015.57 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है. जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया था. हिमाचल में साल 2021-22 के बाद का माल एंव सेवा कर संग्रह वर्ष 2020-21 में 3,466.58 करोड़ की तुलना में 1,015.57 करोड़ यानि 29.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 4,482.15 करोड़ हुआ है. स्टेट एक्साइज से रेवेन्यू वित्तीय वर्ष 2021-22 में 1980.63 करोड़ रहा है.
इस दौरान सेल्स टैक्स से 1592.24 करोड़, वाहनों पर टैक्स से 510 करोड़, स्टैंप्स और रजिस्ट्रेशन फीस के तौर पर 318.60 करोड़ रुपए, गुड्स एंड पैंसेंजर टैक्स के तौर पर 99.18 करोड़, भू राजस्व के तौर पर 4.81 करोड़ और अन्य करीब 726.94 करोड़ रुपए का टैक्स रेवेन्यू राज्य सरकार को मिला है. यही नहीं राज्य सरकार को केंद्रीय कर में अपने हिस्से के रूप में वित्त वर्ष 2020-21 के 4753.92 करोड़ रूपए की तुलना में 7349.04 करोड़ रुपए भी मिले.
इसमें केंद्रीय माल एवं सेवा कर (सीजीएसटी) (central goods and services tax) के तहत हिमाचल को शुद्ध आय के अपने हिस्से के रूप में 2,105.41 करोड़ मिले. वहीं वर्ष 2021-22 के दौरान माल एवं सेवा कर लागू करने से हिमाचल को हुए नुकसान के मुआवजा के तौर पर हिमाचल को 1,167.99 करोड़ रुपए मिले हैं. इसके अलावा, राज्य को जीएसटी. मुआवजे के बदले केंद्र सरकार से बैक टू बैक ऋण के रूप में 2021-22 (31 मार्च 2022 तक कुल 24,412.22 करोड़ का कुल ऋण के दौरान 2.606.22 करोड़ भी प्राप्त हुए. जीएसटी लागू करने से होने वाले नुकसान के मुआवजे की राशि केंद्र सरकार से मिलनी अब बंद हो गई है. जून 2022 से यह राशि मिलनी बंद हो गई है. इससे हिमाचल की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है.
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