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शिमला: नाबालिग को अगवा करने के मामले में आरोपी को 10 साल की सजा - kidnapping a minor in Shimla

जिला अदालत ने नाबालिग लड़की को अगवा कर उस से बदसलूकी करने से जुड़े मामले में 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. इसके अतिरिक्त लड़की को उसकी मर्जी के खिलाफ अगवा करने के जुर्म के लिए 5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई.

kidnapping a minor in Shimla
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Published : Dec 10, 2020, 7:08 PM IST

शिमला: जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने नाबालिग लड़की को अगवा कर उस से बदसलूकी करने से जुड़े मामले में 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. इसके अतिरिक्त लड़की को उसकी मर्जी के खिलाफ अगवा करने के जुर्म के लिए 5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला राजीव भारद्वाज ने मामले से जुड़े तथ्यों व साक्ष्यों के अवलोकन के पश्चात यह पाया कि दोषी साहिल ठाकुर के खिलाफ पूर्णतया दोष साबित होता है. इस कारण उसके खिलाफ उपरोक्त सजा सुनाई गई.

अभियोजन पक्ष द्वारा न्यायालय के समक्ष रखे तथ्यों के अनुसार पीड़िता पॉलिटेक्निक कॉलेज से शिक्षा ग्रहण कर रही थी. 25 अप्रैल 2015 को जब वह कॉलेज से जब वापस नहीं आई तो उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट संबंधित पुलिस थाना के समक्ष दर्ज करवाई गई.

जांच के दौरान यह पाया गया कि दोषी पीड़िता को अपने साथ जबरन ले गया था और उसके साथ बदसलूकी की. दोषी के साथ एक अन्य युवक भी था जिसके खिलाफ नाबालिग होने के कारण जुवेनाइल कोर्ट शिमला के समक्ष मामला चलाया गया.

अभियोजन पक्ष ने दोषी के खिलाफ दोष साबित करने के लिए कुल 23 गवाह पेश किए. हालांकि, 5 गवाह अभियोजन के समक्ष दिए गए बयान से मुकर गए. परंतु न्यायालय ने अन्य गवाहों के बयानों के आधार पर यह पाया कि दोषी इस दोष में संलिप्त था. इस कारण उसके खिलाफ उपरोक्त सजा सुना दी गई.

शिमला: जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला की अदालत ने नाबालिग लड़की को अगवा कर उस से बदसलूकी करने से जुड़े मामले में 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है. इसके अतिरिक्त लड़की को उसकी मर्जी के खिलाफ अगवा करने के जुर्म के लिए 5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है.

जिला एवं सत्र न्यायाधीश शिमला राजीव भारद्वाज ने मामले से जुड़े तथ्यों व साक्ष्यों के अवलोकन के पश्चात यह पाया कि दोषी साहिल ठाकुर के खिलाफ पूर्णतया दोष साबित होता है. इस कारण उसके खिलाफ उपरोक्त सजा सुनाई गई.

अभियोजन पक्ष द्वारा न्यायालय के समक्ष रखे तथ्यों के अनुसार पीड़िता पॉलिटेक्निक कॉलेज से शिक्षा ग्रहण कर रही थी. 25 अप्रैल 2015 को जब वह कॉलेज से जब वापस नहीं आई तो उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट संबंधित पुलिस थाना के समक्ष दर्ज करवाई गई.

जांच के दौरान यह पाया गया कि दोषी पीड़िता को अपने साथ जबरन ले गया था और उसके साथ बदसलूकी की. दोषी के साथ एक अन्य युवक भी था जिसके खिलाफ नाबालिग होने के कारण जुवेनाइल कोर्ट शिमला के समक्ष मामला चलाया गया.

अभियोजन पक्ष ने दोषी के खिलाफ दोष साबित करने के लिए कुल 23 गवाह पेश किए. हालांकि, 5 गवाह अभियोजन के समक्ष दिए गए बयान से मुकर गए. परंतु न्यायालय ने अन्य गवाहों के बयानों के आधार पर यह पाया कि दोषी इस दोष में संलिप्त था. इस कारण उसके खिलाफ उपरोक्त सजा सुना दी गई.

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