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वुमन डे स्पेशल: खेतों में खून-पसीना बहा भरती है परिवार का पेट, खुद को बुलाती है धरती मां की IPS बेटी

वुमन डे स्पेशल पर सफल महिला किसान कल्पना शर्मा की कहानी. पति की दिव्यांगता के बाद बनी परिवार की पालन हार.

अपने खेतों में कल्पना शर्मा
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Published : Mar 5, 2019, 8:17 PM IST

मंडी: महिला दिवस पर अपने दृढ़ संकल्प से तमाम मुश्किलों को पार करती और अपनी सफलता की इबारत खुद लिखती देवभूमि की एक और बेटी की कहानी हम आपके लिए लाए हैं. मंडी जिला की सफल महिला किसान कल्पना की संघर्ष की दास्तां सुन आप भी कल्पना के जज्बे को सलाम करेंगे.

कहते हैं कि मन में अगर दृढ संकल्प हो तो मनुष्य के लिए कोई भी काम कठिन नहीं होता. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सुंदरनगर के डोढवां गांव की 43 वर्षीय महिला किसान कल्पना शर्मा ने. कल्पना के संघर्षमय जीवन की शुरुआत तब हुई जब साल 2002 में उसके पति पर पेड़ गिरने से उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और वे दिव्यांग हो गए. घर में तीन बच्चों का पालन पोषण और पढ़ाई के साथ पति के इलाज का पूरा खर्चा कल्पना के सिर आ गया.

female farmer kalpna sharma
अपने खेतों में कल्पना शर्मा

पति के दिव्यांग होने के बाद बीए पास कल्पना ने हर जगह नौकरी तलाश की, लेकिन किसी ने उसे काम नहीं दिया. आजीविका कमाने का और कोई साधन न होने पर कल्पना ने अपनी एक हैक्टेयर जमीन में खेती करना शुरू किया. कल्पना ने परंपरागत फसलें जैसे मक्की, धान व गेहूं लगाकर खेती की शुरुआत की, लेकिन फिर भी कड़ी मेहनत के बावजूद उसके परिवार की आर्थिक स्थिति में कोई अधिक सुधार नहीं आया. जिसके बाद कल्पना ने सब्जियों की खेती शुरू की.

फरवरी 2015 में कल्पना ने हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में संरक्षित खेती का प्रशिक्षण लिया. जिसके बाद उन्होंने कृषि विभाग की पॉलीहाउस परियोजना से अनुदान लेकर 250 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस का निर्माण किया. कल्पना ने कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से पॉलीहाउस में हाइब्रिड शिमला मिर्च व खीरे की खेती करना शुरू किया. ये पहल धीरे-धीरे रंग लाने लगी और उनकी परिवारिक आर्थिक दशा सुधारने में सफल साबित हुई.

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अपने खेतों में कल्पना शर्मा

साल 2016 में उन्होंने 250 वर्गमीटर के दूसरे व साल 2018 में तीसरे पॉलीहाउस का निर्माण किया. वर्तमान में कल्पना ने पॉलीहाउस में खेती करने वाली एक सफल महिला उद्यमी के रूप में एक पहचान स्थापित की है. फसल, सब्जी उत्पादन व पशु पालन व्यवसाय व पॉलीहाउस में खेती के काम से वे अपनी आजीविका कमा रही हैं. कल्पना हर रविवार जवाहर पार्क सुंदरनगर के बाहर लगने वाली मार्केट में खुद सब्जियां बेचती हैं. कृषि की उन्नत तकनीकों को अपना कर उत्पादन में वृद्धि करने के साथ-साथ अपने उत्पाद को खुद मार्केट में लाकर बेचना कल्पना का एक सराहनीय प्रयास है जो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है.

केवीके सुंदरनगर के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पंकज सूद ने बताया कि जिस दौरान कल्पना आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं, उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के सम्पर्क में आकर संरक्षण खेती के बारे में जानकारी हासिल की. उन्होंने गौरवान्वित स्वर में कहा कि वर्तमान में कल्पना तीन-तीन पॉली हाउस में खेती कर परिवार का गुजारा करती है और एक सफल किसान बन कर सामने आई हैं. उनके अनुभव को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की अंतिम वर्ष की कुछ छात्राओं को रूरल एग्रीकल्चरल वर्क एक्सपिरिएंस के तहत उनके साथ अटैच किया गया है ताकि वे उनके अनुभव का प्रैक्टीकल तौर पर लाभ उठा सकें.

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अपने खेतों में कल्पना शर्मा

कल्पना का कहना है कि बचपन से जिन सपनों को लेकर चली थीं, वो सपने कभी पूरे नहीं हो पाए. उन्होंने बताया कि वो एक आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थीं और पढ़ाई भी उसी अनुसार चल रही थी, लेकिन शादी के कुछ समय बाद साल 2002 में पति पर पेड़ गिर गया, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. परिवार के करता-धरता ने जब बिस्तर पकड़ लिया तो उनके ऊपर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. आय का कोई साधन नहीं होने पर उनकी पढ़ाई पर भी पूरी तरह से विराम लग गया.

female farmer kalpna sharma
अपने खेतों में कल्पना शर्मा

कल्पना ने बताया कि साल 2015 में उन्होंने अपनी जमीन पर काम करने की सूझी और सरकारी अनुदान से पॉली हाउस लगाया और केसीसी के जरिए पैसा जुटा कर काम करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में वो तीन-तीन पॉली हाउस लगा खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं.

कल्पना ने युवाओ से आग्रह किया है कि वे अपनी जमीन को खाली न छोड़ें. उन्होंने कहा कि आईपीएस अफसर बनने का सपना उनका भले ही पूरा न हुआ हो, लेकिन वो आज धरती मां की आईपीएस जरूर बन गई हैं.

मंडी: महिला दिवस पर अपने दृढ़ संकल्प से तमाम मुश्किलों को पार करती और अपनी सफलता की इबारत खुद लिखती देवभूमि की एक और बेटी की कहानी हम आपके लिए लाए हैं. मंडी जिला की सफल महिला किसान कल्पना की संघर्ष की दास्तां सुन आप भी कल्पना के जज्बे को सलाम करेंगे.

कहते हैं कि मन में अगर दृढ संकल्प हो तो मनुष्य के लिए कोई भी काम कठिन नहीं होता. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सुंदरनगर के डोढवां गांव की 43 वर्षीय महिला किसान कल्पना शर्मा ने. कल्पना के संघर्षमय जीवन की शुरुआत तब हुई जब साल 2002 में उसके पति पर पेड़ गिरने से उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और वे दिव्यांग हो गए. घर में तीन बच्चों का पालन पोषण और पढ़ाई के साथ पति के इलाज का पूरा खर्चा कल्पना के सिर आ गया.

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अपने खेतों में कल्पना शर्मा

पति के दिव्यांग होने के बाद बीए पास कल्पना ने हर जगह नौकरी तलाश की, लेकिन किसी ने उसे काम नहीं दिया. आजीविका कमाने का और कोई साधन न होने पर कल्पना ने अपनी एक हैक्टेयर जमीन में खेती करना शुरू किया. कल्पना ने परंपरागत फसलें जैसे मक्की, धान व गेहूं लगाकर खेती की शुरुआत की, लेकिन फिर भी कड़ी मेहनत के बावजूद उसके परिवार की आर्थिक स्थिति में कोई अधिक सुधार नहीं आया. जिसके बाद कल्पना ने सब्जियों की खेती शुरू की.

फरवरी 2015 में कल्पना ने हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में संरक्षित खेती का प्रशिक्षण लिया. जिसके बाद उन्होंने कृषि विभाग की पॉलीहाउस परियोजना से अनुदान लेकर 250 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस का निर्माण किया. कल्पना ने कृषि विज्ञान केंद्र मंडी के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से पॉलीहाउस में हाइब्रिड शिमला मिर्च व खीरे की खेती करना शुरू किया. ये पहल धीरे-धीरे रंग लाने लगी और उनकी परिवारिक आर्थिक दशा सुधारने में सफल साबित हुई.

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अपने खेतों में कल्पना शर्मा

साल 2016 में उन्होंने 250 वर्गमीटर के दूसरे व साल 2018 में तीसरे पॉलीहाउस का निर्माण किया. वर्तमान में कल्पना ने पॉलीहाउस में खेती करने वाली एक सफल महिला उद्यमी के रूप में एक पहचान स्थापित की है. फसल, सब्जी उत्पादन व पशु पालन व्यवसाय व पॉलीहाउस में खेती के काम से वे अपनी आजीविका कमा रही हैं. कल्पना हर रविवार जवाहर पार्क सुंदरनगर के बाहर लगने वाली मार्केट में खुद सब्जियां बेचती हैं. कृषि की उन्नत तकनीकों को अपना कर उत्पादन में वृद्धि करने के साथ-साथ अपने उत्पाद को खुद मार्केट में लाकर बेचना कल्पना का एक सराहनीय प्रयास है जो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है.

केवीके सुंदरनगर के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. पंकज सूद ने बताया कि जिस दौरान कल्पना आर्थिक तंगी से जूझ रही थीं, उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र के सम्पर्क में आकर संरक्षण खेती के बारे में जानकारी हासिल की. उन्होंने गौरवान्वित स्वर में कहा कि वर्तमान में कल्पना तीन-तीन पॉली हाउस में खेती कर परिवार का गुजारा करती है और एक सफल किसान बन कर सामने आई हैं. उनके अनुभव को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की अंतिम वर्ष की कुछ छात्राओं को रूरल एग्रीकल्चरल वर्क एक्सपिरिएंस के तहत उनके साथ अटैच किया गया है ताकि वे उनके अनुभव का प्रैक्टीकल तौर पर लाभ उठा सकें.

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अपने खेतों में कल्पना शर्मा

कल्पना का कहना है कि बचपन से जिन सपनों को लेकर चली थीं, वो सपने कभी पूरे नहीं हो पाए. उन्होंने बताया कि वो एक आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थीं और पढ़ाई भी उसी अनुसार चल रही थी, लेकिन शादी के कुछ समय बाद साल 2002 में पति पर पेड़ गिर गया, जिससे उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई. परिवार के करता-धरता ने जब बिस्तर पकड़ लिया तो उनके ऊपर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. आय का कोई साधन नहीं होने पर उनकी पढ़ाई पर भी पूरी तरह से विराम लग गया.

female farmer kalpna sharma
अपने खेतों में कल्पना शर्मा

कल्पना ने बताया कि साल 2015 में उन्होंने अपनी जमीन पर काम करने की सूझी और सरकारी अनुदान से पॉली हाउस लगाया और केसीसी के जरिए पैसा जुटा कर काम करना शुरू किया. उन्होंने बताया कि वर्तमान में वो तीन-तीन पॉली हाउस लगा खेती कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं.

कल्पना ने युवाओ से आग्रह किया है कि वे अपनी जमीन को खाली न छोड़ें. उन्होंने कहा कि आईपीएस अफसर बनने का सपना उनका भले ही पूरा न हुआ हो, लेकिन वो आज धरती मां की आईपीएस जरूर बन गई हैं.

महिला दिवस पर देखे महिला किसान कल्पना की सफलता की कहानी 

2002 में पति पर पेड़ गिरने से टूटी रीढ़ की हड्डी, और कल्पना के संघर्षमय जीवन की शुरुआत

संरक्षित खेती कर किया तीन बच्चों के साथ किया पति का पालन पोषण, एक सफल किसान बन कर आई सामने

सुंदरनगर के डोढवां गांव की 43 वर्षीय महिला किसान है कल्पना शर्मा 

कल्पना शर्मा का कहना नहीं बन सकी आईपीएस अधिकारी पर धरती माता की आईपीएस बनने का सपना हुआ पूरा  


सुंदरनगर (नितेश सैनी)


एकर : हम आप को महिला दिवस पर एक महिला किसान की सफलता की कहानी बताने जा रहे है कहते हैं मन में दृढ संकल्प हो तो मनुष्य के लिए कोई भी काम कठिन नहीं होता। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सुंदरनगर के डोढवां गांव की 43 वर्षीय महिला किसान कल्पना शर्मा ने। कल्पना के संघर्षमय जीवन की शुरुआत तब हुई जब वर्ष 2002 में उसके पति पर पेड़ गिरने से रीढ़ की हडडी टूट गई और वें दिव्यांग हो गए। घर में तीन बच्चों का पालन पोषण व पढ़ाई का खर्च तथा पति के इलाज पर होने वाला खर्च पूरा करना कल्पना के लिए बहुत कठिन हो गया। यद्यपि कल्पना बी.ए पास हैं परन्तु काफी कोशिशों के बाद भी उसे कहीं नौकरी न मिली। आजीविका कमाने का और कोई साधन न होने के कारण कल्पना ने अपनी एक हैक्टेयर जमीन में खेती करना आरम्भ किया। उन्होंने परम्परागत फसलें जैसे मक्की, धान व गेहूं लगाकर खेती की शुरुआत तो की परन्तु उससे परिवार की आर्थिक स्थिति में कोई अधिक सुधार नहीं हुआ। तत्पश्चात कल्पना ने सब्जियों की खेती आरम्भ की। फरवरी 2015 में इस महिला किसान ने हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में संरक्षित खेती का प्रशिक्षण लिया तथा कृषि विभाग की पोलीहाउस परियोजना से अनुदान लेकर 250 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस का निर्माण किया। कृषि विज्ञान केन्द्र, मंडी के वैज्ञानिकों के तकनीकी सहयोग से पोलीहाउस में हाईब्रिड शिमला मिर्च व खीरे की खेती आरम्भ की। कल्पना शर्मा की यह पहल धीरे-धीरे उनकी परिवारिक आर्थिक दशा सुधारने में सफल साबित हुई और वर्ष 2016 में उन्होंने 250 वर्गमीटर के दूसरे तथा वर्ष 2018 में तीसरे पोलीहाउस का निर्माण किया। आज उन्होंने पालीहाउस में खेती करने वाली एक सफल महिला उद्यमी के रूप में एक पहचान स्थापित की है। फसल, सब्जी उत्पादन व पशु पालन व्यवसाय तथा पोलीहाउस में खेती के कार्य से वह अपनी आजीविका कमा रही है और रविवार के दिन जवाहर पार्क सुंदरनगर के बाहर लगने वाली मार्किट में खुद सब्जियां बेचती है कृषि की उन्नत तकनीकों को अपनाकर उत्पादन में वृद्धि करने के साथ साथ अपने उत्पाद को स्वयं मार्किट में लाकर बेचना कल्पना का एक सराहनीय प्रयास है जो अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। 


वीओ : कल्पना शर्मा का कहना है की   बचपन से जिन सपनो को लेकर चली थी वे सपने हुए नहीं हो पाये। में बचपन से एक आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थी और पढ़ाई भी उसी अनुसार चल रही थी। लेकिन शादी के कुछ समय बाद 2002 में पति लेवर का काम कर रहे थे उसी दौरान एक पेड़ उन के ऊपर गिर गया जिस कारण उन्हें चोट पहुँची और पूरी तरह से बैड पर पढ़ गए और परिवार पर पहाड़ टूट पड़ा। और आय का कोई साधन नहीं था और परिवार को चलाने के लिए पढ़ाई पर पूरी तरह बिराम लग गया। और बच्चों के साथ पति की देखभाल करना मुश्किल हो गया। इस दौरान कई जगह नोकरी के लिए भाग दौड़ की लेकिन कही की कोई सफलता नहीं मिली। लेकिन 2015 में अपनी जमीन पर काम की सूझी और सरकारी अनुदान से पॉली हाउस लगा और केसीसी के माध्यम से पैसा जुटा कर काम करना शुरू किया। और आज तीन-तीन पॉली हाउस लगा उन में खेती कर परिवार का पालन पोषण कर रही हु। उन्होंने युवाओ से आग्रह किया है की अपनी जमीन को खाली मत छोड़े। वही कल्पना शर्मा कहती है की उन के आईपीएस बनने का सपना तो पूरा नहीं हो सका लेकिन वें धरती माता की आईपीएस जरूर बनी है।

बाइट 01 : सफल किसान कल्पना शर्मा

वीओ : के.वी.के सुंदरनगर के कार्यक्रम समन्वयक डा. पंकज सूद ने कल्पना शर्मा की दर्दभरी कहानी के पीछे कहते है की कल्पना शर्मा के पति साथ एक हादसा हुआ जिस की बजह से वे विस्तर पर पड़ गए और कल्पना को घर चलाने में मुश्किल हुई तो उसी दौरान कल्पना शर्माकृषि विज्ञान केंद्र के सम्पर्क में आई है यहाँ से उन्होंने कृषि केंद्र से सरक्षण खेती के बारे में जानकरी हासिल की और तीन तीन पॉली हाउस में खेती कर परिवार का गुजारा करती है. और एक सफल किसान बन कर सामने आई है उनके अनुभव को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर की अन्तिम वर्ष की कुछ छात्राओं को रूरल एग्रीकल्चरल वर्क एक्सपिरिएंस के तहत उनके साथ एटैच किया गया है ताकि वे उनके अनुभव का प्रैक्टीकल तौर पर लाभ उठा सकें।

बाइट 02 : के.वी.के सुंदरनगर के कार्यक्रम समन्वयक डा. पंकज सूद
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