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24 करोड़ की पंजौड़ पेयजल योजना पर फिर से शुरू हुआ विरोध, 15 सालों से अधर में लटकी है योजना

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Published : Aug 21, 2020, 2:17 PM IST

मंडी जिला में पधर के तहत बन रही पंजौड़ पेयजल योजना 15 सालों बाद फिर से बनना शुरू हुई, लेकिन 15 सालों से अधर में लटकी 24 करोड़ की पीने के पानी की योजना एक बार फिर से विवादों में आ गई है. करीब 15 सालों से अधर में लटकी 24 करोड़ रुपये की इस योजना को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने जुलाई में थलटूखोड़ गांव का दौरा करके निर्माण कार्य का जायजा लिया था.

विरोध
विरोध

मंडी: मंडी जिला में पधर के तहत बन रही पंजौड़ पेयजल योजना 15 सालों बाद फिर से बनना शुरू हुई, लेकिन 24 करोड़ की पीने के पानी की योजना एक बार फिर से विवादों में आ गई है. इस योजना से पधर उपमंडल की 17 पंचायतों के लाखों लोगों को लाभ पहुंचेगा, लेकिन ग्रामीण योजना के सोर्स को लेकर विरोध पर उतर आए हैं.

करीब 15 सालों से अधर में लटकी 24 करोड़ रुपये की इस योजना को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने जुलाई में थलटूखोड़ गांव का दौरा करके निर्माण कार्य का जायजा लिया था. उन्होंने योजना के अधूरे काम को युद्ध स्तर पर शुरू करने और पंजौड़ मुख्य सोर्स तक पाइपें पहुंचाने के लिए सड़क निर्माण को लेकर दस लाख रुपये की मंजूरी दी थी, लेकिन धमच्याण पंचायत के ग्रामीण पंजौड़ सोर्स से पानी न देने की जीद्द पर अड़ गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और जल शक्ति विभाग पानी लेना चाहता है तो ऊहल नदी से लिफ्ट करके पानी ले जाए. पजौंड़ सोर्स से पानी नहीं दिया जाएगा. ग्रामीणों ने कहा कि जल्द से जल्द निर्माण कार्य बंद न किए जाने पर ग्रामीण हाई कोर्ट में याचिका दायर कर काम बंद करवाने से भी गुरेज नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि पंजौड़ स्थित रिछुनाला सोर्स का पानी ले जाने से दर्जनों गांवों में पेयजल की किल्लत पैदा हो सकती है.

इसके साथ ही स्थानीय लोगों का कहना है कि एक तरफ सरकार किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को चला रही है. वहीं, जूसरी ओर यहां के किसानों से पानी छीना जा रहा है. किसानों का कहना है कि पानी के बिना वे खेती बाड़ी कैसी कर पाएंगे. वहीं, पंजौंड से थल्टूखोड तक घराट व ट्राउट मछली के तालाब भी हैं, जो यहां से पानी ले जाने पर समाप्ति के कगार पर पहुंच गए हैं.

किसनों ने सरकार से पुरजोर आग्रह किया है कि पानी की सप्लाई मुख्य स्त्रोत से न ले जाकर नालडेरा से ली जाए. इसके साथ ही ग्रामीणों ने ठेकेदार पर मनमाने ढंग से काम करने का आरोप लगाया है. जल शक्ति विभाग पधर के अधिशाषी अभियंता ई. राजेश मोंगरा ने बताया कि कुछ लोग योजना के निर्माण कार्य का विरोध कर रहे हैं जबकि कुछ विभाग का सहयोग दे रहे हैं. निर्माण कार्य को करवाने के लिए पुलिस का सहयोग भी लिया जा रहा है. स्पॉट पर निर्माण कार्य जारी है और फील्ड स्टाफ मौके पर हर वक्त तैनात हैं.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में पूर्व आईपीएच मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने पधर उपमंडल की लगभग डेढ़ दर्जन पंचायतों में पेयजल किल्लत दूर करने के लिए योजना तैयार की थी. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने योजना का शिलान्यास किया था. उस दौरान धमच्याण पंचायत के वर्तमान प्रधान ने ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर पजौंड़ सोर्स से पानी ले जाने का विरोध किया था. इस कारण काम रूक गया था, लेकिन अब जब विभाग दोबारा काम शुरू करने जा रहा है तो ग्रामीण फिर से विरोध पर उतर आए हैं.

पढ़ें: बच्चों की पढ़ाई के लिए पिता ने गरीबी नहीं आने दी आड़े

मंडी: मंडी जिला में पधर के तहत बन रही पंजौड़ पेयजल योजना 15 सालों बाद फिर से बनना शुरू हुई, लेकिन 24 करोड़ की पीने के पानी की योजना एक बार फिर से विवादों में आ गई है. इस योजना से पधर उपमंडल की 17 पंचायतों के लाखों लोगों को लाभ पहुंचेगा, लेकिन ग्रामीण योजना के सोर्स को लेकर विरोध पर उतर आए हैं.

करीब 15 सालों से अधर में लटकी 24 करोड़ रुपये की इस योजना को पूरा करने के लिए जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने जुलाई में थलटूखोड़ गांव का दौरा करके निर्माण कार्य का जायजा लिया था. उन्होंने योजना के अधूरे काम को युद्ध स्तर पर शुरू करने और पंजौड़ मुख्य सोर्स तक पाइपें पहुंचाने के लिए सड़क निर्माण को लेकर दस लाख रुपये की मंजूरी दी थी, लेकिन धमच्याण पंचायत के ग्रामीण पंजौड़ सोर्स से पानी न देने की जीद्द पर अड़ गए हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और जल शक्ति विभाग पानी लेना चाहता है तो ऊहल नदी से लिफ्ट करके पानी ले जाए. पजौंड़ सोर्स से पानी नहीं दिया जाएगा. ग्रामीणों ने कहा कि जल्द से जल्द निर्माण कार्य बंद न किए जाने पर ग्रामीण हाई कोर्ट में याचिका दायर कर काम बंद करवाने से भी गुरेज नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि पंजौड़ स्थित रिछुनाला सोर्स का पानी ले जाने से दर्जनों गांवों में पेयजल की किल्लत पैदा हो सकती है.

इसके साथ ही स्थानीय लोगों का कहना है कि एक तरफ सरकार किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को चला रही है. वहीं, जूसरी ओर यहां के किसानों से पानी छीना जा रहा है. किसानों का कहना है कि पानी के बिना वे खेती बाड़ी कैसी कर पाएंगे. वहीं, पंजौंड से थल्टूखोड तक घराट व ट्राउट मछली के तालाब भी हैं, जो यहां से पानी ले जाने पर समाप्ति के कगार पर पहुंच गए हैं.

किसनों ने सरकार से पुरजोर आग्रह किया है कि पानी की सप्लाई मुख्य स्त्रोत से न ले जाकर नालडेरा से ली जाए. इसके साथ ही ग्रामीणों ने ठेकेदार पर मनमाने ढंग से काम करने का आरोप लगाया है. जल शक्ति विभाग पधर के अधिशाषी अभियंता ई. राजेश मोंगरा ने बताया कि कुछ लोग योजना के निर्माण कार्य का विरोध कर रहे हैं जबकि कुछ विभाग का सहयोग दे रहे हैं. निर्माण कार्य को करवाने के लिए पुलिस का सहयोग भी लिया जा रहा है. स्पॉट पर निर्माण कार्य जारी है और फील्ड स्टाफ मौके पर हर वक्त तैनात हैं.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2005 में पूर्व आईपीएच मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने पधर उपमंडल की लगभग डेढ़ दर्जन पंचायतों में पेयजल किल्लत दूर करने के लिए योजना तैयार की थी. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने योजना का शिलान्यास किया था. उस दौरान धमच्याण पंचायत के वर्तमान प्रधान ने ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर पजौंड़ सोर्स से पानी ले जाने का विरोध किया था. इस कारण काम रूक गया था, लेकिन अब जब विभाग दोबारा काम शुरू करने जा रहा है तो ग्रामीण फिर से विरोध पर उतर आए हैं.

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