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टमाटर की फसल में लगा मुरझान रोग, विशेषज्ञों ने किसानों को दी ये सलाह

करसोग के किसानों के लिए अब टमाटर की फसल की चिंता सताने लगी है. दरअसल टमाटर की फसल में मुरझान रोग लग गया है. जिस वजह से सारी की सारी फसल बरबाद हो सकती है. किसानों की शिकायत पर कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने खेतों में जांच करने के बाद इस बीमारी से फसल को बचाने के सुझाव दिए हैं.

Wilt Disease in Tomato crop
टमाटर की फसल में लगा मुरझान रोग
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Published : May 21, 2020, 8:17 PM IST

करसगो/मंडीः वैश्विक महामारी कोरोना की इस मुश्किल घड़ी में पहले ही आर्थिक तंगी की मार झेल रहे किसानों की परेशानी टमाटर में लगे मुरझान रोग ने और बढ़ा दी है. करसोग के सब्जी बाहुल क्षेत्र कोटलु में लगे मुरझन रोग से टमाटर की फसल बर्बाद होने लगी है. जिससे किसानों के आगे गंभीर संकट पैदा हो गया है.

इसकी सूचना मिलते ही कृषि विशेषज्ञ खेतों में पहुंचे और किसानों को रोग के रोकथाम के बारे में जानकारी दी. कोटलु सहित आसपास के क्षेत्रों में टमाटर की फसल किसानों की आर्थिक का एक मुख्य साधन है. यहां करीब 150 बीघा भूमि पर टमाटर की रोपाई की गई है. विशेषज्ञों की मानें तो मुरझान एक ऐसा खतरनाक रोग है, जिस पर अगर समय रहते काबू नहीं पाया गया, तो ये आसपास की पूरी फसल को बर्बाद कर देगा.

वीडियो रिपोर्ट.

हालांकि कृषि विभाग के विशेषज्ञ ने टमाटर रोग में लगने वाले मुरझान रोग ने निपटने के टिप्स दिए हैं. इसके साथ किसानों को भविष्य में इस तरह की समस्या से न जूझना पड़े, इसके लिए कई तरह की सावधानियां बरतने की भी सलाह दी गई है. करसोग में कुल 700 बीघा भूमि पर टमाटर की खेती होती है और यहां हर साल करीब 28 हजार क्विंटल टमाटर का उत्पादन रहता है.

सीधे खेत में टमाटर की रोपाई करने से पैदा हुई दिक्कत:

विशेषज्ञों के मुताबिक मुरझान रोग की सबसे अधिक दिक्कत सीधे खेत में की गई रोपाई से आई है. इन खेतों में किसानों ने टमाटर की दो लाइनों के बीच में मिट्टी चढ़ा दी थी. जिस वजह से एक तो टमाटर की जड़ें जख्मी हो गई और खुदाई से खेत की नमी भी चली गई.

जिससे टमाटर के पौधों को मुरझान रोग ने आसानी से अपनी चपेट में ले लिया. विशेषज्ञों ने किसानों को भविष्य में ऐसा न करने की भी सलाह दी. इसके अतिरिक्त जहां मुर्झान रोग से टमाटर के पौधे सूख गए हैं, इस खाली पड़ी जगह पर किसानों को अन्य फसल जैसे फ्रासबीन आदि लगाने को कहा गया है, ताकि अगली साथ ही अगली फसल ली जा सके और किसानों को नुकसान न उठाना पड़े.

मुर्झान रोग की लक्षण

किसानों को शुरू में मुर्झान रोग के लक्षण पता नहीं चलते हैं. जिस कारण आगे चलकर पूरे खेत में लगी टमाटर की फसल बर्बाद हो जाती है. जिससे किसानों का बहुत अधिक नुकसान हो जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार मुर्झान रोग लगने पर सबसे पहले टमाटर के पौधे की कौंपल लुढ़कने लगती है. इसके बाद फिर पूरा पौधा ही लुढ़क कर सूख जाएगा.

पहले एक दो पौधों से शुरू हुआ ये रोग समय पर काबू न पाए जाने की स्थिति में पूरे खेत में फैल जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस रोग को रोकने टमाटर की रोपाई करने से पहले खेत मेढे बनाई जानी चाहिए. इसके साथ ही मेढे के दौरान बनी नालियों की भी साथ में ही मलचिंग की जानी चाहिए. इससे एक तो घास नहीं उगेगी दूसरे मलचिंग से जमीन में नमी भी बरकरार रहेगी.

कृषि विभाग करसोग के विषय वार्ता विशेषज्ञ रामकृष्ण चौहान का कहना है कि कोटलु में टमाटर की फसल में मुरुझान रोग लगा है. किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए फील्ड विजिट की गई. जिसमें किसानों को मुरझान रोग लगने के कारणों और इसके रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी दी गई.

पढे़ंः बेदर्द अफसराशाही: दिव्यांग महिला के कंधों पर सौंप दी 13 हजार उपभोक्ताओं का बिल जमा करने की जिम्मेदारी

करसगो/मंडीः वैश्विक महामारी कोरोना की इस मुश्किल घड़ी में पहले ही आर्थिक तंगी की मार झेल रहे किसानों की परेशानी टमाटर में लगे मुरझान रोग ने और बढ़ा दी है. करसोग के सब्जी बाहुल क्षेत्र कोटलु में लगे मुरझन रोग से टमाटर की फसल बर्बाद होने लगी है. जिससे किसानों के आगे गंभीर संकट पैदा हो गया है.

इसकी सूचना मिलते ही कृषि विशेषज्ञ खेतों में पहुंचे और किसानों को रोग के रोकथाम के बारे में जानकारी दी. कोटलु सहित आसपास के क्षेत्रों में टमाटर की फसल किसानों की आर्थिक का एक मुख्य साधन है. यहां करीब 150 बीघा भूमि पर टमाटर की रोपाई की गई है. विशेषज्ञों की मानें तो मुरझान एक ऐसा खतरनाक रोग है, जिस पर अगर समय रहते काबू नहीं पाया गया, तो ये आसपास की पूरी फसल को बर्बाद कर देगा.

वीडियो रिपोर्ट.

हालांकि कृषि विभाग के विशेषज्ञ ने टमाटर रोग में लगने वाले मुरझान रोग ने निपटने के टिप्स दिए हैं. इसके साथ किसानों को भविष्य में इस तरह की समस्या से न जूझना पड़े, इसके लिए कई तरह की सावधानियां बरतने की भी सलाह दी गई है. करसोग में कुल 700 बीघा भूमि पर टमाटर की खेती होती है और यहां हर साल करीब 28 हजार क्विंटल टमाटर का उत्पादन रहता है.

सीधे खेत में टमाटर की रोपाई करने से पैदा हुई दिक्कत:

विशेषज्ञों के मुताबिक मुरझान रोग की सबसे अधिक दिक्कत सीधे खेत में की गई रोपाई से आई है. इन खेतों में किसानों ने टमाटर की दो लाइनों के बीच में मिट्टी चढ़ा दी थी. जिस वजह से एक तो टमाटर की जड़ें जख्मी हो गई और खुदाई से खेत की नमी भी चली गई.

जिससे टमाटर के पौधों को मुरझान रोग ने आसानी से अपनी चपेट में ले लिया. विशेषज्ञों ने किसानों को भविष्य में ऐसा न करने की भी सलाह दी. इसके अतिरिक्त जहां मुर्झान रोग से टमाटर के पौधे सूख गए हैं, इस खाली पड़ी जगह पर किसानों को अन्य फसल जैसे फ्रासबीन आदि लगाने को कहा गया है, ताकि अगली साथ ही अगली फसल ली जा सके और किसानों को नुकसान न उठाना पड़े.

मुर्झान रोग की लक्षण

किसानों को शुरू में मुर्झान रोग के लक्षण पता नहीं चलते हैं. जिस कारण आगे चलकर पूरे खेत में लगी टमाटर की फसल बर्बाद हो जाती है. जिससे किसानों का बहुत अधिक नुकसान हो जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार मुर्झान रोग लगने पर सबसे पहले टमाटर के पौधे की कौंपल लुढ़कने लगती है. इसके बाद फिर पूरा पौधा ही लुढ़क कर सूख जाएगा.

पहले एक दो पौधों से शुरू हुआ ये रोग समय पर काबू न पाए जाने की स्थिति में पूरे खेत में फैल जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक इस रोग को रोकने टमाटर की रोपाई करने से पहले खेत मेढे बनाई जानी चाहिए. इसके साथ ही मेढे के दौरान बनी नालियों की भी साथ में ही मलचिंग की जानी चाहिए. इससे एक तो घास नहीं उगेगी दूसरे मलचिंग से जमीन में नमी भी बरकरार रहेगी.

कृषि विभाग करसोग के विषय वार्ता विशेषज्ञ रामकृष्ण चौहान का कहना है कि कोटलु में टमाटर की फसल में मुरुझान रोग लगा है. किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए फील्ड विजिट की गई. जिसमें किसानों को मुरझान रोग लगने के कारणों और इसके रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी दी गई.

पढे़ंः बेदर्द अफसराशाही: दिव्यांग महिला के कंधों पर सौंप दी 13 हजार उपभोक्ताओं का बिल जमा करने की जिम्मेदारी

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