मंडी: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से 23 वर्ष पूर्व कारगिल युद्ध में शहीद हुए एक सैनिक को आखिरकार सम्मान प्राप्त हो गया है. जिले की नाचन विधानसभा क्षेत्र के गांव साईं से संबंध रखने वाले शहीद जगदीश कुमार की प्रतिमा तकरीबन दो दशक बाद परिवार ने खुद अपने बलबूते पर स्थापित कर दी है. शहीद जगदीश कुमार के प्रतिमा के अनावरण पर शहीद जगदीश कुमार अमर रहे के नारों से पूरा साई क्षेत्र गूंज उठा.
इस दौरान शहीद जगदीश कुमार के भाई, माता-पिता, इकलौती बेटी और पूर्व सैनिकों ने भी अपना दर्द सांझा किया और प्रशासन व सरकार से गुहार लगाई है कि शहीदों की अनदेखी ना करें और राजनेता भी शहीदों के नाम पर राजनीति करना बंद करें. ग्रामीणों को सरकार और प्रशासन के दोहरे रवैया के प्रति भी गहरा मलाल है. वहीं, शहीद की इकलौती बेटी को भी आज दिन तक सरकार और प्रशासन भी नौकरी दिलाने में नाकाम साबित हुआ है. परिवार को एकमात्र एक एलपीजी एजेंसी कोर्ट के आदेशों के बाद मिली है. (Martyr Jagdish Kumar in the Kargil War)
शहीद की बेटी आंसी ने बताया कि जब वह 5-6 माह की थी तो उस समय उसके पिता कारगिल युद्ध में शहीद हो गए थे. लेकिन उस समय किए गए वादों को सरकार आज तक पूरा नहीं कर पाई है और परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी देने के नाम पर भी सरकार ने आज तक गुमराह किया है. परिवार ने एक-एक पाई जोड़ कर शहीद पिता जगदीश कुमार की प्रतिमा लगाई है. (Statue of Martyr Jagdish Kumar)
वहीं, सेवानिवृत्त शहीद जगदीश कुमार की प्रतिमा के अनावरण पर पहुंचे साईं गांव के सेवानिवृत्त सूबेदार दुर्गादास में भी सरकार और प्रशासन के प्रति गहरा रोष देखने को मिला. उन्होंने कहा कि सैनिक अपने परिवार को पीछे छोड़ सरहद पर देश की रक्षा कर रहा है. लेकिन शहीद होने पर उसके परिवार के साथ इस तरह का व्यवहार करना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि दो दशक बीत जाने के बावजूद भी सरकार शहीद जगदीश कुमार की प्रतिमा का अनावरण नहीं कर पाई जो एक शर्मनाक बात है.
वहीं, सेवानिवृत्त अधिकारी बिरी सिंह चौधरी ने बताया कि सैनिकों के परिवारों के साथ सरकार सही नहीं कर रही है. शहीद जगदीश कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे लेकिन आज तक उनके परिवार को कोई भी सुविधा सरकार नहीं दे पाई है जो एक शर्मनाक बात है. वहीं, क्षेत्र के पूर्व उपप्रधान रूप लाल ने बताया कि परिवार द्वारा कई बार सरकार और प्रशासन से प्रतिमा के अनावरण को लेकर गुहार लगाई गई लेकिन उसके बावजूद भी आज तक सरकार और प्रशासन शहीद की प्रतिमा की स्थापना नहीं कर पाया.
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