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हिमाचल में इन शर्तों पर मिलता है बंदूक का लाइसेंस, जानें प्रक्रिया - बंदूक लाइसेंस धारक मंडी

प्रदेश में बंदूक का लाइसेंस लेने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं और इन्हीं नियमों के अनुसार लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले को लाइसेंस दिया जाता है. वहीं, लाइसेंस देने से पहले इस बात का विशेष ख्याल रखा जाता है कि लाइसेंस होल्डर को बंदूक चलानी आती है या नहीं और वो बंदूक को संभाल कर रख सकता है या नहीं. वहीं, जिला मंडी में 10 हजार के करीब लोगों को बंदूक लाइसेंस जारी किए गए हैं.

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Published : Feb 28, 2021, 12:43 PM IST

मंडी: अपनी हिफाजत और संपत्ति की सुरक्षा के लिए आज के समय में बंदूक बेहद ही जरूरी मानी जाती है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में महज तीन तरह की बंदूक का लाइसेंस जारी किया जाता है. आम नागरिकों के लिए शॉर्टगन, हैंडगन और स्पोर्टस गन के लाइसेंस ही जारी किए जाते हैं. बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय आपको स्पष्ट रूप से लिखना होता है कि आप किस लिए बंदूक का लाइसेंस लेना जाते हैं. आमतौर पर बंदूक का लाइसेंस संपत्ति की सुरक्षा, निजी सुरक्षा और शिकार के समय इस्तेमाल की जाने वाली बंदूक के लिए जारी किया जाता है.

लाइसेंस प्रक्रिया के लिए पहुंचे लोग
लाइसेंस प्रक्रिया के लिए पहुंचे लोग

इन स्थितियों में जारी किया जाता है बंदूक का लाइसेंस

एडीएम(अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट) मंडी श्रवण मांटा ने बताया कि जिला मंडी में बंदूक लाइसेंस आर्म एक्ट के तहत ही दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिला में 10 हजार के करीब लोगों को बंदूक लाइसेंस जारी किए गए हैं. जिन्हें चार श्रेणियों में बांटा गया है. सबसे पहले फसल संरक्षण जिसमें फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए यह लाइसेंस दिया जाता है. दूसरा पशु या मवेशी संरक्षण जिसमें लाइसेंस आमतौर पर गद्दी समुदाय के लोगों को जंगली जानवरों से भेड़ बकरियों की रक्षा के लिए दिया जाता है. तीसरे चरण में आत्मरक्षा जिसमें लाइसेंस किसी व्यक्ति द्वारा खुद की जान को खतरा बताते हुए दिया जाता है. चौथी स्पोर्ट्स की श्रेणी में खेल की गतिविधियों से संबंधित लाइसेंस जारी किया जाता है. एडीएम ने कहा कि लाइसेंस बनवाने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत S4 फॉर्म भरा जाता है और इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर एप्लीकेशन रद्द कर दी जाती है.

वीडियो रिपोर्ट.

ये है बंदूक लाइसेंस लेने की प्रक्रिया

बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए एडीएम ऑफिस से एप्लीकेशन खरीदने के बाद यहीं अप्लाई करना होता है. एप्लीकेशन जमा होने के बाद इसे पुलिस जांच के लिए भेजा जाता है. पुलिस जांच में आपराधिक जांच और व्यक्ति के पते सहित दूसरी अन्य जानकारियां इकट्ठा की जाती है. पुलिस जांच के बाद ही एडीएम ऑफिस से लाइसेंस देने की प्रक्रिया पूरी होती है.

लाइसेंस धारक की होती है पूरी जांच

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आशीष शर्मा ने बताया कि बंदूक लाइसेंस के लिए जमा एप्लीकेशन को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भेजा जाता है. एसपी ऑफिस से इसे संबंधित थाना क्षेत्र में फॉरवर्ड किया जाता है. थाना इंचार्ज एप्लीकेशन का वेरिफिकेशन करता है और संबंधित व्यक्ति की पंचायत से भी डिटेल ली जाती है. उन्होंने बताया कि सभी डिटेल सही पाए जाने के बाद पुलिस लाइन में तैनात आर्म्स के द्वारा S1 फॉर्म पर संबंधित व्यक्ति की रिपोर्ट भेजी जाती है.

लाइसेंस को रिन्यू करवाने के लिए प्रक्रिया

एडीएम मंडी श्रवण मांटा ने बताया कि बंदूक का लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए संबंधित लाइसेंस धारक की पुलिस की वेरिफिकेशन की जाती है. इसके बाद लाइसेंस धारक का एक बार फिर से आपराधिक रिकॉर्ड जांचा जाता है. एडीएम ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद पुलिस प्रशासन के माध्यम से जिला में बंदूक लाइसेंस रिव्यु का कार्य जारी है. श्रवण मांटा ने कहा कि फैमिली हेयर पॉलिसी के तहत भी बंदूक के लाइसेंस लाइसेंसधारक के बाद परिवार के अन्य सदस्य के नाम भी किए जाते हैं.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन के बाद खेल गतिविधियां शुरू, खिलाड़ियों के सामने हैं ये चुनौतियां

ये भी पढ़ें- मुंबई में हिमाचल के ऑटो वाले 'बाबा'! गरीबी में थ्री व्हीलर बन गया घर, सोशल मीडिया ने बदल दी जिंदगी

मंडी: अपनी हिफाजत और संपत्ति की सुरक्षा के लिए आज के समय में बंदूक बेहद ही जरूरी मानी जाती है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि भारत में महज तीन तरह की बंदूक का लाइसेंस जारी किया जाता है. आम नागरिकों के लिए शॉर्टगन, हैंडगन और स्पोर्टस गन के लाइसेंस ही जारी किए जाते हैं. बंदूक के लाइसेंस के लिए आवेदन करते समय आपको स्पष्ट रूप से लिखना होता है कि आप किस लिए बंदूक का लाइसेंस लेना जाते हैं. आमतौर पर बंदूक का लाइसेंस संपत्ति की सुरक्षा, निजी सुरक्षा और शिकार के समय इस्तेमाल की जाने वाली बंदूक के लिए जारी किया जाता है.

लाइसेंस प्रक्रिया के लिए पहुंचे लोग
लाइसेंस प्रक्रिया के लिए पहुंचे लोग

इन स्थितियों में जारी किया जाता है बंदूक का लाइसेंस

एडीएम(अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट) मंडी श्रवण मांटा ने बताया कि जिला मंडी में बंदूक लाइसेंस आर्म एक्ट के तहत ही दिए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिला में 10 हजार के करीब लोगों को बंदूक लाइसेंस जारी किए गए हैं. जिन्हें चार श्रेणियों में बांटा गया है. सबसे पहले फसल संरक्षण जिसमें फसल को जंगली जानवरों से बचाने के लिए यह लाइसेंस दिया जाता है. दूसरा पशु या मवेशी संरक्षण जिसमें लाइसेंस आमतौर पर गद्दी समुदाय के लोगों को जंगली जानवरों से भेड़ बकरियों की रक्षा के लिए दिया जाता है. तीसरे चरण में आत्मरक्षा जिसमें लाइसेंस किसी व्यक्ति द्वारा खुद की जान को खतरा बताते हुए दिया जाता है. चौथी स्पोर्ट्स की श्रेणी में खेल की गतिविधियों से संबंधित लाइसेंस जारी किया जाता है. एडीएम ने कहा कि लाइसेंस बनवाने के लिए आर्म्स एक्ट के तहत S4 फॉर्म भरा जाता है और इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर एप्लीकेशन रद्द कर दी जाती है.

वीडियो रिपोर्ट.

ये है बंदूक लाइसेंस लेने की प्रक्रिया

बंदूक का लाइसेंस बनवाने के लिए एडीएम ऑफिस से एप्लीकेशन खरीदने के बाद यहीं अप्लाई करना होता है. एप्लीकेशन जमा होने के बाद इसे पुलिस जांच के लिए भेजा जाता है. पुलिस जांच में आपराधिक जांच और व्यक्ति के पते सहित दूसरी अन्य जानकारियां इकट्ठा की जाती है. पुलिस जांच के बाद ही एडीएम ऑफिस से लाइसेंस देने की प्रक्रिया पूरी होती है.

लाइसेंस धारक की होती है पूरी जांच

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आशीष शर्मा ने बताया कि बंदूक लाइसेंस के लिए जमा एप्लीकेशन को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में भेजा जाता है. एसपी ऑफिस से इसे संबंधित थाना क्षेत्र में फॉरवर्ड किया जाता है. थाना इंचार्ज एप्लीकेशन का वेरिफिकेशन करता है और संबंधित व्यक्ति की पंचायत से भी डिटेल ली जाती है. उन्होंने बताया कि सभी डिटेल सही पाए जाने के बाद पुलिस लाइन में तैनात आर्म्स के द्वारा S1 फॉर्म पर संबंधित व्यक्ति की रिपोर्ट भेजी जाती है.

लाइसेंस को रिन्यू करवाने के लिए प्रक्रिया

एडीएम मंडी श्रवण मांटा ने बताया कि बंदूक का लाइसेंस रिन्यू करवाने के लिए संबंधित लाइसेंस धारक की पुलिस की वेरिफिकेशन की जाती है. इसके बाद लाइसेंस धारक का एक बार फिर से आपराधिक रिकॉर्ड जांचा जाता है. एडीएम ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद पुलिस प्रशासन के माध्यम से जिला में बंदूक लाइसेंस रिव्यु का कार्य जारी है. श्रवण मांटा ने कहा कि फैमिली हेयर पॉलिसी के तहत भी बंदूक के लाइसेंस लाइसेंसधारक के बाद परिवार के अन्य सदस्य के नाम भी किए जाते हैं.

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