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4 साल से सिंचाई स्कीम दुरुस्त करने के लिए IPH विभाग के आगे गिड़गिड़ा रहे किसान, SDM ने दिए ये निर्देश

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Published : Oct 15, 2019, 9:02 PM IST

Updated : Oct 16, 2019, 3:29 PM IST

वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के दावों की पोल सरकार के अपने ही विभाग ने खोल दी है. करसोग के सबसे अधिक धान की पैदावार करने वाले कैरगी और जगौती गांव में सिचाई के लिए अलग-अलग खड्डों से जिन दो नहरों के निर्माण किया गया था, उसकी कई बार आईपीएच विभाग को शिकायत करने पर भी चार सालों से रिपेयर नहीं हुई.

सुरेंद्र कुमार, SDM करसोग

करसोग: हिमाचल में वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के दावों की पोल सरकार के अपने ही विभाग ने खोल दी है. करसोग के सबसे अधिक धान की पैदावार करने वाले कैरगी और जगौती गांव में सिचाई के लिए अलग-अलग खड्डों से जिन दो नहरों के निर्माण किया गया था, उसकी कई बार आईपीएच विभाग को शिकायत करने पर भी चार सालों से रिपेयर नहीं हुई.

अब इन नहरों का पानी खेतों में पहुंचने के बजाए पीडब्ल्यूडी की साथ लगती करसोग लालग सड़क में बेकार बहकर बर्बाद हो रहा है, जिस कारण पीडब्ल्यूडी ने दो साल पहले ही की गई टारिंग जगह-जगह पर उखड़ने से सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई है.

दोनों ही गांव के करीब 150 किसानों ने कई बार आईपीएच विभाग से लिखित और मौखिक रूप से मामला उठाया है, लेकिन विभाग पर इसका कोई भी असर नहीं हुआ. नतीजन इन दोनों की गांव में 600 बीघा भूमि पर की जाने वाली धान की खेती का एरिया अब पर्याप्त सिंचाई सुविधा न होने से सिमट कर सिर्फ 100 बीघा रह गया है.

वीडियो.

कम पैदावार होने से किसानों को हर साल लाखों का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं, बेकार बह रहे पानी के कारण जो टारिंग उखड़ गई है वह नुकसान अलग से हुआ है. खून पसीने की कमाई को इस तरह बर्बाद होता देखकर किसान दोनों ही विभागों के उच्चाधिकारियों से स्थिति का जायजा लेने की भी लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन दोनों ही सरकारी विभागों ने मौके पर जाना जरूरी नहीं समझा.आखिर में सिस्टम के आगे थके हारे किसानों ने एसडीएम से मौके पर आने की गुहार लगाई. किसानो ने एसडीएम को एक शिकायत पत्र सौंपा, जिसमें 91 लोगों के हस्ताक्षर मौजूद हैं.


55 लाख आए नहर रिपेयर को वो भी नहीं किया खर्च:
किसानों की आय बढ़े इसके लिए कमांड एरिया डेवलपमेंट (सीएडी) से भी आईपीएच विभाग नहरों की रिपेयर के लिए करीब 55 लाख की राशि प्राप्त हुई है, लेकिन धान की फसल अब कटाई के लिए तैयार है. विभाग से अभी तक नहर की रिपेयर का 10 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया है. बावजूद इसके नहरों की रिपेयर का काम छोटे-छोटे टुकड़ों में कई ठेकेदारों को बांटा गया है, जिसका जिक्र ग्रामीणों ने एसडीएम से की गई लिखित शिकायत में भी किया है.

आईपीएच विभाग एसडीओ बीएस ठाकुर का कहना है कि गांव के लोगों ने ही फसल का कार्य पूरा न होने तक काम करने की मांग की थी, जिसके बाद रिपेयर के कार्य को रोका गया था. उस समय तक रिपेयर का 10 फीसदी काम पूरा हो चुका था. एसडीएम करसोग सुरेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि गांव के लोगों ने लिखित तौर पर शिकायत की है. इस बारे में तुरंत प्रभाव से संबंधित विभाग के अधिकारियों को मौके का निरीक्षण कर कार्य पूरा करने के आदेश जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि वे खुद भी मौके पर जाकर मामले को देखेंगे.

करसोग: हिमाचल में वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के दावों की पोल सरकार के अपने ही विभाग ने खोल दी है. करसोग के सबसे अधिक धान की पैदावार करने वाले कैरगी और जगौती गांव में सिचाई के लिए अलग-अलग खड्डों से जिन दो नहरों के निर्माण किया गया था, उसकी कई बार आईपीएच विभाग को शिकायत करने पर भी चार सालों से रिपेयर नहीं हुई.

अब इन नहरों का पानी खेतों में पहुंचने के बजाए पीडब्ल्यूडी की साथ लगती करसोग लालग सड़क में बेकार बहकर बर्बाद हो रहा है, जिस कारण पीडब्ल्यूडी ने दो साल पहले ही की गई टारिंग जगह-जगह पर उखड़ने से सड़क गड्ढों में तब्दील हो गई है.

दोनों ही गांव के करीब 150 किसानों ने कई बार आईपीएच विभाग से लिखित और मौखिक रूप से मामला उठाया है, लेकिन विभाग पर इसका कोई भी असर नहीं हुआ. नतीजन इन दोनों की गांव में 600 बीघा भूमि पर की जाने वाली धान की खेती का एरिया अब पर्याप्त सिंचाई सुविधा न होने से सिमट कर सिर्फ 100 बीघा रह गया है.

वीडियो.

कम पैदावार होने से किसानों को हर साल लाखों का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं, बेकार बह रहे पानी के कारण जो टारिंग उखड़ गई है वह नुकसान अलग से हुआ है. खून पसीने की कमाई को इस तरह बर्बाद होता देखकर किसान दोनों ही विभागों के उच्चाधिकारियों से स्थिति का जायजा लेने की भी लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन दोनों ही सरकारी विभागों ने मौके पर जाना जरूरी नहीं समझा.आखिर में सिस्टम के आगे थके हारे किसानों ने एसडीएम से मौके पर आने की गुहार लगाई. किसानो ने एसडीएम को एक शिकायत पत्र सौंपा, जिसमें 91 लोगों के हस्ताक्षर मौजूद हैं.


55 लाख आए नहर रिपेयर को वो भी नहीं किया खर्च:
किसानों की आय बढ़े इसके लिए कमांड एरिया डेवलपमेंट (सीएडी) से भी आईपीएच विभाग नहरों की रिपेयर के लिए करीब 55 लाख की राशि प्राप्त हुई है, लेकिन धान की फसल अब कटाई के लिए तैयार है. विभाग से अभी तक नहर की रिपेयर का 10 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया है. बावजूद इसके नहरों की रिपेयर का काम छोटे-छोटे टुकड़ों में कई ठेकेदारों को बांटा गया है, जिसका जिक्र ग्रामीणों ने एसडीएम से की गई लिखित शिकायत में भी किया है.

आईपीएच विभाग एसडीओ बीएस ठाकुर का कहना है कि गांव के लोगों ने ही फसल का कार्य पूरा न होने तक काम करने की मांग की थी, जिसके बाद रिपेयर के कार्य को रोका गया था. उस समय तक रिपेयर का 10 फीसदी काम पूरा हो चुका था. एसडीएम करसोग सुरेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि गांव के लोगों ने लिखित तौर पर शिकायत की है. इस बारे में तुरंत प्रभाव से संबंधित विभाग के अधिकारियों को मौके का निरीक्षण कर कार्य पूरा करने के आदेश जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि वे खुद भी मौके पर जाकर मामले को देखेंगे.

Intro:चार साल से आईपीएच विभाग के आगे गिड़गड़ा रहे थे दो गांव किसान, आखिर में अब एसडीएम को लिखित तौर पर की शिकायत, एसडीएम ने तुरंत प्रभाव से आईपीएच और पीडब्ल्यूडी की दिए मौके पर जाने के आदेश।Body:यहां सरकारी लाचार सिस्टम से हारे अन्नदाता, नहर की रिपेयर न होने से 600 की जगह 100 बीघा में ही कर रहे धान की खेती

करसोग
हिमाचल में वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दुगना करने के दावों की पोल सरकार के अपने की विभाग ने खोल दी है। वो ऐसे की करसोग के सबसे अधिक धान की पैदावार करने वाले कैरगी और जगौती गांव में सिचाई के लिए अलग अलग खड्डों से जिन दो नहरों के निर्माण किया गया था, उसकी कई बार आईपीएच विभाग को शिकायत करने पर भी 4 सालों से रिपेयर नहिं हुई है। अब इन नहरों का पानी खेतों में पहुंचने के बजाए पीडब्ल्यूडी की साथ लगती करसोग लालग सड़क में बेकार बहकर बर्बाद हो रहा है। जिस कारण पीडब्ल्यूडी द्वारा दो साल पहले ही की गई टारिंग जगह जगह पर उखड़ने से सड़क गड्डों में तब्दील हो गई है। दोनों ही गांव के करीब 150 किसानों ने कई बार आईपीएच विभाग से लिखित और मौखिक रूप से मामला भी उठाया, लेकिन विभाग पर इसका कोई भी असर नहीं हुआ। नतीजन इन दोनों की गांव में 600 बीघा भूमि पर की जाने वाली धान की खैतीं का एरिया अब पर्याप्त सिंचाई सुविधा न होने से सिमट कर सिर्फ 100 बीघा तक पहुंच गया है। इससे अब कम पैदावार होने से इन किसानों को हर साल लाखों का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं बेकार बह रहे पानी के कारण जो टारिंग उखड़ गई है वह नुकसान अलग से हुआ है। खून पसीने की कमाई को इस तरह बर्बाद होता देकर किसान दोनों ही विभागों के उच्चाधिकारियों से स्थिति का जायजा लेने की भी लगातार मांग कर रहे है, लेकिन दोनों ही सरकारी विभागों ने मौके पर जाना जरूरी नहीं समझा। आखिर में सिस्टम के आगे थकेहारे किसानों ने एसडीएम से मौका करने की गुहार लगाई है। इस बारे में किसानों ने लिखित तौर पर एक शिकायत पत्र सौपा है, जिसमें 91 लोगों के हस्ताक्षर मौजूद हैं।

55 लाख आया रिपेयर को वो भी नहीं किया खर्च:
किसानों की आय बढ़े इसके लिए कमांड एरिया डवलपमेंट (सीएडी) से भी आईपीएच विभाग नहरों की रिपेयर के लिए करीब 55 लाख की राशि प्राप्त हुई है, लेकिन धान की फसल अब कटाई के लिए तैयार है, लेकिन विभाग से अभी तक नहर की रिपेयर का 10 फीसदी काम भी पूरा नहीं हो पाया है। बावजूद इसके कि नहरों की रिपेयर का काम छोटे छोटे टुकड़ों में कई ठेकेदारों को बांटा गया है। जिसका जिक्र ग्रामीणों ने एसडीएम से की गई लिखित शिकायत में भी किया है। उधर आईपीएच विभाग एसडीओ बीएस ठाकुर का कहना है कि गांव लोगों ने ही फसल का कार्य पूरा न होने तक काम के करने की मांग की थी। जिसके बाद रिपेयर के कार्य को रोका गया था। उस समय तक रिपेयर का 10 फीसदी कार्य पूरा हो चुका था।

अधिकारियों को मौके पर जाने के आदेश जारी: एसडीएम
एसडीएम करसोग सुरेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि गांव के लोगों ने लिखित तौर पर शिकायत की है। इस बारे में तुरंत प्रभाव से संबंधित विभाग के अधिकारियों को मौके का निरक्षण कर कार्य पूरा करने के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वे खुद भी मौके पर जाकर मामले को देखेंगे।Conclusion:एसडीएम करसोग सुरेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि गांव के लोगों ने लिखित तौर पर शिकायत की है। इस बारे में तुरंत प्रभाव से संबंधित विभाग के अधिकारियों को मौके का निरक्षण कर कार्य पूरा करने के आदेश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वे खुद भी मौके पर जाकर मामले को देखेंगे।
Last Updated : Oct 16, 2019, 3:29 PM IST
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