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हिम महोत्सव में हिमाचली हिमक्राफ्ट उत्पादों एवं व्यंजनों की भारी डिमांड, तीन दिनों में 40 लाख की बिक्री - हिम महोत्सव

Him Mahotsav Celebration in Delhi: दिल्ली हाट में सजा हिम महोत्सव में हिमक्राफ्ट उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों की मांग बढ़ने लगी है. पिछले 3 दिनों में ही करीब 40 लाख की बिक्री हो चुकी है. ऐसे में क्रिसमस और नववर्ष को देखते हुए विभाग को 5 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार की उम्मीद है. पढ़ें पूरी खबर..

Himcraft in great demand at Him Mahotsav
हिम महोत्सव में हिमक्राफ्ट उत्पादों एवं हिमाचली व्यंजनों की भारी मांग
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 20, 2023, 10:10 PM IST

Updated : Dec 21, 2023, 9:25 AM IST

करसोग: दिल्ली हाट में प्रदेश सरकार की ओर से 30 दिसंबर तक आयोजित होने वाले ‘हिम महोत्सव’ में हिमक्राफ्ट उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों की भारी मांग चल रही है. दरअसल, हिम महोत्सव में 3 दिनों में ही करीब 40 लाख की बिक्री हो चुकी है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र के लोगों सहित विदेशी मेहमानों ने भी यहां जमकर खरीदारी कर रहे हैं. ऐसे में क्रिसमस और नववर्ष को देखते हुए विभाग को 5 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार का अनुमान है.

बता दें कि हिमक्राफ्ट ( हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम लिमिटेड), हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम और कला, भाषा एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से प्रदेश के कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों की बिक्री के लिए एक प्रभावी मंच उपलब्ध करवाया गया है.

इसकी अधिक डिमांड: हिम महोत्सव में कुल्लू और किन्नौरी शॉल, लाहौली मोजे और दस्ताने, चमड़े पर जरी और रेशम के धागे से महीन कारीगरी से तैयार चंबा चप्पल और धातु शिल्प का कमाल चंबा थाल, कांगड़ा पेंटिंग तथा कांगड़ा चाय और बांस, शिल्प उत्पाद, भेड़ ऊन, अंगोरा, पश्मीना, याक ऊन की हाथ से बुनी गई शॉल, सिरमौरी लोईया और स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए अचार, जैम सहित हिमाचली व्यंजनों में कांगड़ा, चंबा और मंडयाली धाम मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.

दिल्ली हाट में विभाग की ओर से हिमक्राफ्ट के 35, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के प्रदेश के 20 स्वयं सहायता समूहों, हिमकोस्टे के 5 और हिमाचली व्यंजनों की बिक्री के लिए 5 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं. विभाग की ओर दिल्ली एनसीआर के लोगों को आकर्षित करने के लिए हिमाचल के विभिन्न जिलों के लोक नृत्यों का आयोजन भी किया जा रहा है. इस तरह हिम महोत्सव में कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूह के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों के साथ-साथ हिमाचल की लोक संस्कृति को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार का उद्देश्य प्रदेश की अनूठी कला, संस्कृति और व्यंजनों को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाना है.

हिमक्राफ्ट के प्रबंध निदेशक जतिन लाल ने बताया कि दिल्ली में प्रदेश के हस्तशिल्प, हथकरघा, स्वयं सहायता समूह के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों को काफी सराहा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हिम महोत्सव के माध्यम से प्रदेश के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों से लोगों को रूबरू करवाया जा रहा है, जिससे बड़े महानगरों से भी इन उत्पादों के ऑर्डर प्राप्त हो सकें. कारीगरों की व्यावसायिक गतिविधियों को विस्तार मिलने के साथ-साथ इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली हाट में हिम महोत्सव का शुभारंभ किया, हिमाचली संस्कृति की विशिष्टता को दिया जा रहा बढ़ावा

करसोग: दिल्ली हाट में प्रदेश सरकार की ओर से 30 दिसंबर तक आयोजित होने वाले ‘हिम महोत्सव’ में हिमक्राफ्ट उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों की भारी मांग चल रही है. दरअसल, हिम महोत्सव में 3 दिनों में ही करीब 40 लाख की बिक्री हो चुकी है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र के लोगों सहित विदेशी मेहमानों ने भी यहां जमकर खरीदारी कर रहे हैं. ऐसे में क्रिसमस और नववर्ष को देखते हुए विभाग को 5 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार का अनुमान है.

बता दें कि हिमक्राफ्ट ( हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम लिमिटेड), हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम और कला, भाषा एवं संस्कृति विभाग के माध्यम से प्रदेश के कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों की बिक्री के लिए एक प्रभावी मंच उपलब्ध करवाया गया है.

इसकी अधिक डिमांड: हिम महोत्सव में कुल्लू और किन्नौरी शॉल, लाहौली मोजे और दस्ताने, चमड़े पर जरी और रेशम के धागे से महीन कारीगरी से तैयार चंबा चप्पल और धातु शिल्प का कमाल चंबा थाल, कांगड़ा पेंटिंग तथा कांगड़ा चाय और बांस, शिल्प उत्पाद, भेड़ ऊन, अंगोरा, पश्मीना, याक ऊन की हाथ से बुनी गई शॉल, सिरमौरी लोईया और स्वयं सहायता समूह द्वारा बनाए गए अचार, जैम सहित हिमाचली व्यंजनों में कांगड़ा, चंबा और मंडयाली धाम मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.

दिल्ली हाट में विभाग की ओर से हिमक्राफ्ट के 35, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के प्रदेश के 20 स्वयं सहायता समूहों, हिमकोस्टे के 5 और हिमाचली व्यंजनों की बिक्री के लिए 5 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं. विभाग की ओर दिल्ली एनसीआर के लोगों को आकर्षित करने के लिए हिमाचल के विभिन्न जिलों के लोक नृत्यों का आयोजन भी किया जा रहा है. इस तरह हिम महोत्सव में कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूह के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों के साथ-साथ हिमाचल की लोक संस्कृति को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. सरकार का उद्देश्य प्रदेश की अनूठी कला, संस्कृति और व्यंजनों को एक ब्रांड के रूप में स्थापित कर इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाना है.

हिमक्राफ्ट के प्रबंध निदेशक जतिन लाल ने बताया कि दिल्ली में प्रदेश के हस्तशिल्प, हथकरघा, स्वयं सहायता समूह के उत्पादों और हिमाचली व्यंजनों को काफी सराहा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हिम महोत्सव के माध्यम से प्रदेश के हथकरघा और हस्तशिल्प उत्पादों से लोगों को रूबरू करवाया जा रहा है, जिससे बड़े महानगरों से भी इन उत्पादों के ऑर्डर प्राप्त हो सकें. कारीगरों की व्यावसायिक गतिविधियों को विस्तार मिलने के साथ-साथ इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.

ये भी पढ़ें: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिल्ली हाट में हिम महोत्सव का शुभारंभ किया, हिमाचली संस्कृति की विशिष्टता को दिया जा रहा बढ़ावा

Last Updated : Dec 21, 2023, 9:25 AM IST
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