मंडी: पहाड़ी प्रदेश हिमाचल अपनी संस्कृति और रीति रिवाज के लिए पूरे देशभर में जाना जाता है, वहीं यहां के व्यंजनों की भी काफी चर्चा होती है. 12 जिलों में फैले इस प्रदेश में हर जिले के अपने खास व्यंजन हैं, जिन्हें शादी समारोह या अन्य खास मौकों पर परोसा जाता है. शादी समारोह और अन्य सामूहिक कार्यक्रमों में मेहमानों को धाम परोसने का रिवाज है.
आजकल हिमाचल प्रदेश में शादियों का सीजन चला हुआ है. हिमाचल में शादियों में मेहमानों को धाम परोसी जाती है. अलग अलग जिलों हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर में अलग अलग धाम परोसी जाती है. धाम का नाम सुनकर मुंह में पानी आ जाता है. हर जिले में धाम तैयार करने और परोसने का तरीका अलग अलग है. धाम चाहे मंडयाली हो, बिलासपुरी या कांगड़ी हो. इसका स्वाद लाजवाब होता है.
![मंडयाली धाम](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-02-2025/23519191_bcb_aspera.png)
पीएम मोदी भी कर चुके हैं कई बार तारीफ
मंडी जिला की मंडयाली धाम भी हिमाचल सहित अन्य राज्यों में भी काफी लोकप्रिय है. पीएम मोदी भी मंडयाली धाम के मुरीद हैं. वो कई बार मंचों से मंडयाली धाम और सेप्पू बड़ी के स्वाद की तारीफ कर चुके हैं. पीएम मोदी, अमित शाह सहित अन्य तमाम बड़े नेता जब भी मंडी आते हैं तो मंडयाली धाम का स्वाद चखना नहीं भूलते हैं. मंडयाली धाम को कोर्स मील की तरह परोसा जाता है. मंडयाली धाम में बदाणे या कद्दू का मीठा स्टार्टर के तौर सबसे पहले परोसा जाता है और झोल यानी कढ़ी सबसे अंत में परोसी जाती है.
![पंगत में बैठकर खाते हैं धाम](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-02-2025/23519191_mandyali_aspera.png)
सेप्पू बड़ी मंडयाली धाम की खास डिश
पिछले दस सालों से लोगों को मंडयाली धाम खिला रहे बोटी जोगिंद्र सिंह ने बताया कि, 'मंडयाली धाम में छह से सात व्यंजन बनते हैं. इस धाम को बनाने के लिए खास तरह के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है. ये बर्तन पीतल के बने होते हैं, जिसे चरोटी या बल्टोई कहा जाता है. मंडयाली धाम में बदाणे या कद्दू का मीठा स्टार्टर के तौर सबसे पहले परोसा जाता है. बदाणे का मीट्ठा मूंग दाल से तैयार किया जाता है. सेप्पू बड़ी इसकी मुख्य डिश है. इसे बनाने में दहीं और पालक का प्रयोग किया जाता है. इसके बाद धाम में मदरा परोसा जाता है. इसमें राजमाह, घंडयाली, मटर पनीर आदि व्यंजन शामिल होते हैं. मदरे कई तरह के होते हैं और इन्हें तैयार करने में दहीं का भी इस्तेमाल होता है. मदरा परोसने के बाद माह की दाल परोसी जाती है जो काफी चटपटे फ्लेवर में होती है. इसके बाद पीली चने की दाल, मूंग दाल परोसी जाती है. खट्टा परोसा जाता है जिसे कद्दू और काले चने से तैयार किया जाता है. आखिरी में कढ़ी परोसी जाती है. इसे झोल भी कहते हैं. झोल धाम को पचाने में मदद करता है.'
![मंडयाली धाम](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-02-2025/23519191_ioi_aspera.jpg)
प्याज लहसुन का नहीं होता है इस्तेमाल
बोटी जोगिंद्र सिंह ने बताया कि मंडयाली धाम की एक और खास बात ये है कि इसे बनाने के लिए लहसुन और प्याज का जरा भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है और पीसे हुए मसालों की जगह खड़े मसाले ही प्रयोग में लाए जाते हैं. इस धाम को बनाने के लिए तेल की जगह घी का ही इस्तेमाल किया जाता है. धाम को टौर के पत्तों पर पंगत में बैठकर खाया जाता है और इसे परोसने वाले को बोटी कहा जाता है. धाम बनाने और परोसने वाले व्यक्ति को बोटी कहा जाता है. बोटी धोती और बनियान में ही पंगत में बैठे लोगों को धाम परोसता है.
![मंडयाली धाम बनाते बोटी](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/11-02-2025/23519191_mmm_aspera.jpg)
अब ढाबों पर भी बन रही मंडयाली धाम
मंडी के स्थानीय निवासी आकाश शर्मा ने बताया कि आयुर्वेद में भी मंडयाली धाम का जिक्र आता है, जिसे स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक माना गया है. पहले मंडयाली धाम शादी-विवाह या खास मौके पर ही मेहमानों को परोसी जाती थी, लेकिन अब ये बाजार में ढाबे पर भी तैयार की जा रही है. धीरे धीरे इसका व्यवसायी करण भी हो गया है और इसे नई पहचान मिल रही है.
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