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सेवानिवृत्त अध्यापक ने पेश की मानवता की मिसाल, शरीर दान करने का लिया निर्णय - सेवानिवृत्त अध्यापक सोहन लाल डोगरा

सुंदरनगर के सेवानिवृत्त अध्यापक सोहन लाल डोगरा ने देहदान करने का फैसला लिया. मेडिकल कॉलेज नेरचौक में सभी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली हैं.

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Published : Feb 12, 2020, 2:50 PM IST

मंडी: मानवता के लिए शरीर दान करना इंसान के लिए सबसे बड़ा पुण्य है, ऐसे ही पुण्य के भागी बने हैं उपमंडल सुंदरनगर के सेवानिवृत्त अध्यापक सोहनलाल डोगरा. उन्होंने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का संकल्प लिया है.

दानी सोहन लाल डोगरा ग्राम पंचायत के बैहली गांव से सबंध रखते है. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया. शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त कला अध्यापक व राज्यस्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित 64 वर्षीय सोहन लाल डोगरा ने देहदान का निर्णय लिया है.

वीडियो.

देहदानी सोहन लाल डोगरा ने कहा कि मृत्यु के बाद हमारे शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आएं और उसके बाद उनके शरीर संस्थान में प्रशिक्षण करने वाले प्रशिक्षु डॉक्टरों के प्रशिक्षण में काम आए.

सोहन लाल ने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद सिर्फ राख का ढेर रह जाता है।.अगर मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर सौभाग्य की और कोई बात नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि देहदान को महादान कहा जाता है. इसे महादान की श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि मृत देह मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षु डॉक्टरों के लिए एक साइलेंट टीचर की तरह काम आती है.

देहदान करने वाले सोहन लाल ने कहा कि मरणोपरांत उनकी देह को तुरंत लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल नेरचौक पहुंचा दिया जाए. उन्होंने उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, कर्मकांड, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया है. उन्होंने क्षेत्र के लोगों से भी अपील की है कि मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए आगे आएं.

ये भी पढ़ें: अद्भुत हिमाचल: क्या है 'लूण लोटा’ जिससे डराकर होती है वोट लेने की कोशिश

मंडी: मानवता के लिए शरीर दान करना इंसान के लिए सबसे बड़ा पुण्य है, ऐसे ही पुण्य के भागी बने हैं उपमंडल सुंदरनगर के सेवानिवृत्त अध्यापक सोहनलाल डोगरा. उन्होंने मरणोपरांत मानवता के लिए अपने शरीर के समस्त अंगदान व देहदान करने का संकल्प लिया है.

दानी सोहन लाल डोगरा ग्राम पंचायत के बैहली गांव से सबंध रखते है. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक जाकर देहदान की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया. शिक्षा विभाग से सेवानिवृत्त कला अध्यापक व राज्यस्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित 64 वर्षीय सोहन लाल डोगरा ने देहदान का निर्णय लिया है.

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देहदानी सोहन लाल डोगरा ने कहा कि मृत्यु के बाद हमारे शरीर के काम आने वाले अंग आंखें, गुर्दे, ब्रेन पार्ट सहित अन्य अंग जरूरतमंद, असहाय व गरीब लोगों की जान बचाने के काम आएं और उसके बाद उनके शरीर संस्थान में प्रशिक्षण करने वाले प्रशिक्षु डॉक्टरों के प्रशिक्षण में काम आए.

सोहन लाल ने कहा कि यह शरीर मृत्यु और दाह संस्कार के बाद सिर्फ राख का ढेर रह जाता है।.अगर मानव कल्याण में हमारे अंग या देह काम आए तो इससे बढ़कर सौभाग्य की और कोई बात नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि देहदान को महादान कहा जाता है. इसे महादान की श्रेणी में इसलिए रखा गया है क्योंकि मृत देह मेडिकल कॉलेज के प्रशिक्षु डॉक्टरों के लिए एक साइलेंट टीचर की तरह काम आती है.

देहदान करने वाले सोहन लाल ने कहा कि मरणोपरांत उनकी देह को तुरंत लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज व अस्पताल नेरचौक पहुंचा दिया जाए. उन्होंने उनकी मृत्यु के उपरांत रिश्तेदारों से किसी भी प्रकार के शोक समारोह, कर्मकांड, मृत्युभोज और अन्य कार्यक्रम न करने का आह्वान किया है. उन्होंने क्षेत्र के लोगों से भी अपील की है कि मानवता के लिए इस प्रकार के काम के लिए आगे आएं.

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