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चेक बाउंस मामले में आरोपियों को सजा, कारावास के साथ भरना होगा हर्जाना - चेक बाउंस

चेक बाउंस मामले में आरोपियों को सजा, कारावास के साथ भरना होगा हर्जाना, चेक बाउंस मामले में कोर्ट नंबर-1 सुंदरनगर हकीकत धांडा की अदालत ने चेक बाउंस सही होने पर आरोपी को 6 माह का कारावास और शिकायतकर्ता को 2 लाख रुपये हर्जाना देने का फैसला सुनाया.

चेक बाउंस मामले में आरोपियों को सजा
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Published : Aug 31, 2019, 11:19 AM IST

सुंदरनगर: चेक बाउंस मामले में एडिशनल न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट नंबर-1 सुंदरनगर हकीकत धांडा की अदालत ने चेक बाउंस सही होने पर आरोपी को 6 माह का कारावास और शिकायतकर्ता को 2 लाख रुपये हर्जाना देने का फैसला सुनाया है. शिकायतकर्ता संजीव कुमार निवासी गांव नालनी ने अधिवक्ता पंडित अरूण प्रकाश आर्य के माध्यम से दोषी देवीशरण के खिलाफ चेक बाउंस होने पर अदालत में एनआई एक्ट (Negotiable Instruments Act) 1881 की धारा 138 में मुकदमा दर्ज करवाया था.

जानकारी देते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता पंडित अरूण प्रकाश आर्य ने कहा कि दोषी देवीशरण ने शिकायतकर्ता से पैसे उधार लिए थे. उन्होंने कहा कि दोषी ने इसके भुगतान के लिए शिकायतकर्ता को 1 लाख 50 हजार रुपये का एक चेक दिया था. चेक देते समय शिकायतकर्ता को भरोसा दिलाया गया था कि इसे बैंक में पेश करने पर कैश हो जाएगा.

अरूण आर्य ने कहा कि दोषी देवीशरण ने उपरोक्त राशि को शिकायतकर्ता को चुकता नहीं किया और दोषी के खाते में पैसे न होने की वजह से चेक बाउंस हो गया. जिससे दोषी राशि वापस लौटाने में असफल रहा. मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को 6 माह का साधारण कारावास और 2 लाख रुपये हर्जाना, हर्जाना न देने की सूरत में अतिरिक्त 15 दिन के कारावास की सजा सुनाई है.

वहीं एक और मामले में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर-2 सुंदरनगर अनीश कुमार की अदालत ने चेक बाउंस मामला सही साबित होने पर आरोपी को 4 माह का कारावास और शिकायतकर्ता को 1 लाख 50 हजार रुपये हर्जाना देने का फैसला सुनाया है. शिकायतकर्ता हिमाचल प्रदेश राज्य को-ऑपरेटिव बैंक सुंदरनगर ब्रांच के मैनेजर गोविंद राम के माध्यम से परमा राम के खिलाफ चेक बाउंस होने पर अदालत में एनआई एक्ट (Negotiable Instruments Act) 1881 की धारा 138 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था.

जानकारी देते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता चुनी लाल अवस्थी ने कहा कि दोषी परमा राम ने उपरोक्त बैंक से लोन लिया था. उन्होंने कहा कि दोषी ने इस लोन के भुगतान के लिए बैंक को 1 लाख 50 हजार रुपये का एक चेक दिया था. चेक देते समय शिकायतकर्ता को भरोसा दिलाया था कि इसे बैंक में पेश करने पर कैश हो जाएगा.

अधिवक्ता सीएल अवस्थी ने कहा कि दोषी परमा राम द्वारा उपरोक्त लोन राशि को बैंक को चुकता नहीं किया है. दोषी के खाते में पैसे न होने की वजह से चेक बाउंस हो गया था और दोषी लोन राशि वापस लौटने में असफल रहा. उन्होंने कहा कि मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को 4 माह का साधारण कारावास और 1 लाख 50 हजार रुपये का हर्जाना और हर्जाना न देने की सूरत में अतिरिक्त एक माह के कारावास की सजा सुनाई है.

सुंदरनगर: चेक बाउंस मामले में एडिशनल न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट नंबर-1 सुंदरनगर हकीकत धांडा की अदालत ने चेक बाउंस सही होने पर आरोपी को 6 माह का कारावास और शिकायतकर्ता को 2 लाख रुपये हर्जाना देने का फैसला सुनाया है. शिकायतकर्ता संजीव कुमार निवासी गांव नालनी ने अधिवक्ता पंडित अरूण प्रकाश आर्य के माध्यम से दोषी देवीशरण के खिलाफ चेक बाउंस होने पर अदालत में एनआई एक्ट (Negotiable Instruments Act) 1881 की धारा 138 में मुकदमा दर्ज करवाया था.

जानकारी देते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता पंडित अरूण प्रकाश आर्य ने कहा कि दोषी देवीशरण ने शिकायतकर्ता से पैसे उधार लिए थे. उन्होंने कहा कि दोषी ने इसके भुगतान के लिए शिकायतकर्ता को 1 लाख 50 हजार रुपये का एक चेक दिया था. चेक देते समय शिकायतकर्ता को भरोसा दिलाया गया था कि इसे बैंक में पेश करने पर कैश हो जाएगा.

अरूण आर्य ने कहा कि दोषी देवीशरण ने उपरोक्त राशि को शिकायतकर्ता को चुकता नहीं किया और दोषी के खाते में पैसे न होने की वजह से चेक बाउंस हो गया. जिससे दोषी राशि वापस लौटाने में असफल रहा. मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को 6 माह का साधारण कारावास और 2 लाख रुपये हर्जाना, हर्जाना न देने की सूरत में अतिरिक्त 15 दिन के कारावास की सजा सुनाई है.

वहीं एक और मामले में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी कोर्ट नंबर-2 सुंदरनगर अनीश कुमार की अदालत ने चेक बाउंस मामला सही साबित होने पर आरोपी को 4 माह का कारावास और शिकायतकर्ता को 1 लाख 50 हजार रुपये हर्जाना देने का फैसला सुनाया है. शिकायतकर्ता हिमाचल प्रदेश राज्य को-ऑपरेटिव बैंक सुंदरनगर ब्रांच के मैनेजर गोविंद राम के माध्यम से परमा राम के खिलाफ चेक बाउंस होने पर अदालत में एनआई एक्ट (Negotiable Instruments Act) 1881 की धारा 138 के तहत मुकदमा दर्ज करवाया था.

जानकारी देते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता चुनी लाल अवस्थी ने कहा कि दोषी परमा राम ने उपरोक्त बैंक से लोन लिया था. उन्होंने कहा कि दोषी ने इस लोन के भुगतान के लिए बैंक को 1 लाख 50 हजार रुपये का एक चेक दिया था. चेक देते समय शिकायतकर्ता को भरोसा दिलाया था कि इसे बैंक में पेश करने पर कैश हो जाएगा.

अधिवक्ता सीएल अवस्थी ने कहा कि दोषी परमा राम द्वारा उपरोक्त लोन राशि को बैंक को चुकता नहीं किया है. दोषी के खाते में पैसे न होने की वजह से चेक बाउंस हो गया था और दोषी लोन राशि वापस लौटने में असफल रहा. उन्होंने कहा कि मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को 4 माह का साधारण कारावास और 1 लाख 50 हजार रुपये का हर्जाना और हर्जाना न देने की सूरत में अतिरिक्त एक माह के कारावास की सजा सुनाई है.

Intro:सुंदरनगर : चेक बाउंस मामले में 6 माह का कारावास के साथ देना होगा 2 लाख रूपए हर्जानाBody:सुंदरनगर : अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी कोर्ट नंबर-1 सुंदरनगर हकीकत धांडा की अदालत ने चेक बाउंस मामला सिद्ध होने पर आरोपी को 6 माह का कारावास व शिकायतकर्ता को 2 लाख रूपए हर्जाना देने का फैसला सुनाया। शिकायतकर्ता संजीव कुमार पुत्र रोशनलाल निवासी गांव नालनी,डाकघर मलोह जिला मंडी ने अधिवक्ता पंडित अरूण प्रकाश आर्य के माध्यम से दोषी देवीशरण पुत्र बालक राम, निवासी गांव नालनी, डाकघर जुगाहण, तहसील सुंदरनगर जिला मंंडी के खिलाफ चेक बाउंस होने पर अदालत में एनआई एक्ट,1881 की धारा 138 में मुकद्दमा दर्ज करवाया था। जानकारी देते हुए शिकायतकर्ता के अधिवक्ता पंडित अरूण प्रकाश आर्य ने कहा कि दोषी देवीशरण ने शिकायतकर्ता से पैसे उधार लिए थे। उन्होंने कहा कि दोषी ने इसके भुगतान के लिए शिकायतकर्ता को 1 लाख 50 हजार रूपए का एक चेक दिया था। उन्होंने कहा कि चेक देते समय शिकायतकर्ता को भरोसा दिलाया था कि इसे बैंक में पेश करने पर कैश हो जाएगा। अधिवक्ता अरूण आर्य ने कहा कि दोषी देवीशरण द्वारा उपरोक्त राशि को शिकायतकर्ता को चुकता नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि दोषी के खाते में पैसे न होने की वजह से चेक बाउंस हो गया था और दोषी राशि वापिस लौटने में असफल रहा। उन्होंने कहा कि मामले में अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को 6 माह का साधारण कारावास व 2 लाख रूपए हर्जाना और हर्जाना न देने की सूरत में अतिरिक्त 15 दिन के कारावास की सजा सुनाई है।Conclusion:
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