करसोग: प्रदेश में गर्भवती महिलाओं के लिए शुरू की गई जननी सुरक्षा योजना ( Janani Suraksha Yojana) सरकारी अस्पतालों में ही दम तोड़ रही है. इसका बड़ा उदाहरण करसोग सिविल अस्पताल ( karsog civil hospital) में देखने को मिल रहा है. महिला को प्रसव के लिए 22 अगस्त की तारीख दी गई थी, जिसके चलते रविवार को उपमंडल के तहत चुराग के मंडोली गांव के भूपेश कुमार अपनी पत्नी स्नेहा कुमारी को प्रसव के लिए सिविल अस्पताल लाया था, लेकिन यहां पर डॉक्टर ने प्रसव के लिए आधुनिक उपकरण की सुविधा न होने का तर्क देकर गर्भवती महिला को शिमला स्थित कमला नेहरू अस्पताल (Kamala Nehru Hospital) के लिए रेफर कर दिया.
इसके बाद महिला के पति सहित साथ आए परिजनों ने अस्पताल से एबुलेंस के लिए संपर्क किया, लेकिन परिसर में चार एबुलेंस खड़ी होने के बावजूद गर्भवती महिला को एबुलेंस सेवा देने से मना किया गया. जिसके बाद परिजनों ने 108 पर संपर्क साधा, लेकिन 108 वाले संबंधित डॉक्टर से बात करना चाहते थे. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने 108 में लाइन पर उपस्थित व्यक्ति से भी बात करने से मना कर दिया.
आखिरकार परिजनों को मुख्यमंत्री सेवा संकल्प हेल्पलाइन नंबर 1100 एकमात्र समस्या के समाधान का सहारा नजर आया, लेकिन यहां शिकायत करने पर भी समस्या का कोई समाधान नहीं निकला. इस बीच गर्भवती महिला पीड़ा से तड़पती रही. जिसको देखते हुए भूपेश कुमार को 3500 किराया चुकाकर टैक्सी हायर करनी पड़ी और गर्भवती महिला को कमला नेहरू अस्पताल पहुंचाया गया. जहां स्नेहा कुमारी को एडमिट किया गया है. ये मामला सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है.
ऐसे में गर्भवती महिला को एबुलेंस सुविधा ना मिलने से सरकार की जननी सुरक्षा योजना पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. लोगों का कहना है कि अगर गर्भवती महिलाओं को समय पर एबुलेंस सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पा रही तो ऐसी योजनाएं शुरू करने का क्या लाभ है? वहीं, बीएमओ करसोग डॉ कंवर गुलेरिया (BMO Karsog Dr. Kanwar Guleria) का कहना है कि अभी मीटिंग के लिए मंडी आया हूं. इस मामले पर रिपोर्ट ली जाएगी.
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