मंडी: छोटी काशी मंडी में 19 से 25 फरवरी तक आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की तैयारियां जोरों पर चली हैं. मेला कमेटी द्वारा शिवरात्रि मेले के आयोजन के लिए पड्डल मैदान नीलामी कर दी गई है. इस बार पड्डल मैदान पिछले साल की अपेक्षा 34 लाख रुपये अधिक में बिका है. पिछले साल मेला कमेटी ने पड्डल मैदान की नीलामी से 2 करोड़ 72 लाख रुपए अर्जित किए थे. इस बार शिवरात्रि मेला कमेटी ने पड्डल मैदान की नीलामी से 3 करोड़ 6 लाख 33 हजार रुपये अर्जित किए हैं.
एडीएम अश्वनी कुमार की अध्यक्षता में नीलामी की प्रक्रिया पूरी की गई है. बताया रहा है कि पड्डल की दुकानों की जगह एक करोड़ 85 लाख में बेची गई. जबकि तंबोला की जगह नौ लाख 33 हजार रुपये में, रेहड़ी फड़ी की नीलामी 43 लाख में, छोटे मैदान में लगने वाले झूले की नीलामी 69 लाख में की गई है. तंबोला की नीलामी से भी अच्छी खासी आय अर्जित की गई है. शिवरात्रि के दौरान तंबोला खेलने वालों की भी कमी नहीं रहती है. जिसकी लोकप्रियता देखते हुए अच्छी खासी बोली लगाई गई. तंबोला की जगह से प्रशासन 9 लाख 33 हजार की आय अर्जित करने में कामयाब रहा.
एडीएम मंडी अश्वनी कुमार ने इसकी पुष्टि की है. उन्होने कहा कि पड्डल मैदान की नीलामी की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. इस बार अच्छी आय अर्जित की गई है. यह पहला मौका है कि तीन करोड़ से ऊपर प्रशासन ने पड्डल को बेचकर ही जुटा लिए हैं. इससे शिवरात्रि के खर्चे करना आसान हो जाएंगे. हर वर्ष की भांति इस बार शिवरात्रि धूमधाम से मनाई जाएगी. सभी परंपराओं का पूरी तरह से निर्वहन किया जाएगा. देवता समिति के पंजीकृत सभी देवी देवताओं को आमंत्रण पत्र भेज दिए गए हैं.
मंडी शिवरात्रि मेले का इतिहास: लोगों का मानना है कि 1788 में मंडी के राजा ईश्वरी सेन ने जब मंडी रियासत की बागडोर संभाली थी तब उनके शासन काल में कांगड़ा के महाराजा संसार चंद की कैद से आजाद हुए थे. स्थानीय लोग अपने देवताओं के साथ राजा से मिलने मंडी पहुंचे थे. तब राजा की रिहाई और शिवरात्रि का एक साथ जश्न मनाया गया था. इसी तरह मंडी के शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई. हालांकि इससे जुड़ी और भी कई कहानियां मशहूर हैं.
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