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यहां 1750 की आबादी पर मात्र एक बस, जनता पर भारी पड़ रहा ओवरलोडिंग का फरमान

करसोग की बात करें तो यहां करीब 1.25 लाख की आबादी के लिए सरकार के पास मात्र 70 के करीब बसें हैं. इसमें निजी बसों की संख्या भी शामिल है. इस तरह से करसोग खंड में सरकार में पास 1750 की आबादी पर औसतन एक बस है.

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Published : Jun 29, 2019, 3:30 PM IST

करसोगः ओवरलोडिंग पर जारी सरकारी फरमान बसों की भारी कमी के कारण लोगों पर ही भारी पड़ने लगा है. कुल्लू में हुए सड़क हादसे के बाद नींद से जागी सरकार ने आनन-फानन में ओवरलोडिंग न करने के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन पहले ही बसों की भारी कमी की समस्या से जूझ रहे लोग अब कैसे सफर करेंगे, ये चितां का विषय है.

करसोग की बात करें तो यहां करीब 1.25 लाख की आबादी के लिए सरकार के पास मात्र 70 के करीब बसें हैं. इसमें निजी बसों की संख्या भी शामिल है. इस तरह से करसोग खंड में सरकार में पास 1750 की आबादी पर औसतन एक बस है.

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ऐसे में बसों में पहले सीट प्राप्त करने के लिए लोगों के बीच में अफरा-तफरी मच रही है. यही नहीं, बस स्टैंड में ही पूरी सीटें भरने के बाद चालक रास्ते में बसों के इंतजार में खड़ी सवारियों को भी नहीं बिठा रहे हैं. इससे लंबे रुट की सवारियों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जिससे लोगों के बीच सरकार के प्रति भी रोष बढ़ रहा है. कई स्टेशनों पर जब बस सवारियों को उतारने के लिए खड़ी की जा रही है तो लोग जबरन बसों में घुस रहे हैं, जिन्हें रोकने पर चालको और सवारियों के बीच बढ़ रही झड़पों की सूचना भी सामने आ रही है.

यही नहीं, पीछे से ही सवारियां पूरी होने से बसों को रास्ते में खड़े स्कूली छात्रों के लिए भी नहीं रोका जा रहा है. जिस कारण बच्चों को स्कूल पहुंचने में देरी ही रही है. ऐसे में अब सरकार के आदेश सभी पर भारी पड़ने लगे हैं. लोगों का कहना है कि अगर ओवरलोडिंग की समस्या को खत्म करना है तो इसके लिए पहले करसोग डिपो में बसों की संख्या को बढ़ाना होगा. तभी सरकार के आदेश सही मायने में लागू हो सकते हैं.

वहीं, करसोग बस डिपो के वर्क्स मैनेजर शमशेर सिंह का कहना है कि हेड-ऑफिस को समय-समय पर बसों की संख्या बढ़ाने की डिमांड भेजी जाती है. जैसे ही बसें मिलेंगी तो इन बसों को पहले अधिक ओवरलोडिंग वाले रूटों पर चलाया जाएगा.

करसोग डिपो में कुल 50 बसें:
करसोग डिपो में कुल 50 बसें है. इसमें भी औसतन 5 बसें या तो रिपेयर के लिए खड़ी रहती है या शादी समारोह के लिए बुक होती है. इसके अलावा शिमला डिपो की 5 के करीब बसें शिमला और करसोग रुट पर चल रही है.

15 के करीब प्राइवेट बसें करसोग के विभिन्न रूटों पर दौड़ रही है. इस तरह से कुल 70 के करीब रोजाना करसोग के विभिन्न रूटों पर दौड़ रही है, जो इतनी बड़ी आबादी के लिए बहुत ही कम है. खासकर सुबह और शाम ऑफिस और स्कूल आवर्स में हालात बेकाबू हो जा रहे हैं.

एचआरटीसी ने जारी किए हैं 2899 फ्री पास:
प्रदेश सरकार ने स्कूली छात्रों के लिए बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा दी है. ऐसे में करसोग डिपो के तहत एचआरटीसी ने छात्रों को 2,899 फ्री पास जारी किए हैं. ये पास उन स्कूलों में छात्रों को जारी किए गए हैं, जहां सड़क सुविधा है.

ऐसे में अब ओवरलोडिंग न करने के आदेशों के बाद इन सभी छात्रों की मुश्किलें भी बढ़ गई है. इसके अलावा कॉलेज के छात्रों से पैसे लेकर अलग पास जारी किए गए हैं. एचआरटीसी के पास स्कूलों के लिए अलग से बसें चलाने का भी कोई प्रावधान नहीं है.

करसोगः ओवरलोडिंग पर जारी सरकारी फरमान बसों की भारी कमी के कारण लोगों पर ही भारी पड़ने लगा है. कुल्लू में हुए सड़क हादसे के बाद नींद से जागी सरकार ने आनन-फानन में ओवरलोडिंग न करने के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन पहले ही बसों की भारी कमी की समस्या से जूझ रहे लोग अब कैसे सफर करेंगे, ये चितां का विषय है.

करसोग की बात करें तो यहां करीब 1.25 लाख की आबादी के लिए सरकार के पास मात्र 70 के करीब बसें हैं. इसमें निजी बसों की संख्या भी शामिल है. इस तरह से करसोग खंड में सरकार में पास 1750 की आबादी पर औसतन एक बस है.

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ऐसे में बसों में पहले सीट प्राप्त करने के लिए लोगों के बीच में अफरा-तफरी मच रही है. यही नहीं, बस स्टैंड में ही पूरी सीटें भरने के बाद चालक रास्ते में बसों के इंतजार में खड़ी सवारियों को भी नहीं बिठा रहे हैं. इससे लंबे रुट की सवारियों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

जिससे लोगों के बीच सरकार के प्रति भी रोष बढ़ रहा है. कई स्टेशनों पर जब बस सवारियों को उतारने के लिए खड़ी की जा रही है तो लोग जबरन बसों में घुस रहे हैं, जिन्हें रोकने पर चालको और सवारियों के बीच बढ़ रही झड़पों की सूचना भी सामने आ रही है.

यही नहीं, पीछे से ही सवारियां पूरी होने से बसों को रास्ते में खड़े स्कूली छात्रों के लिए भी नहीं रोका जा रहा है. जिस कारण बच्चों को स्कूल पहुंचने में देरी ही रही है. ऐसे में अब सरकार के आदेश सभी पर भारी पड़ने लगे हैं. लोगों का कहना है कि अगर ओवरलोडिंग की समस्या को खत्म करना है तो इसके लिए पहले करसोग डिपो में बसों की संख्या को बढ़ाना होगा. तभी सरकार के आदेश सही मायने में लागू हो सकते हैं.

वहीं, करसोग बस डिपो के वर्क्स मैनेजर शमशेर सिंह का कहना है कि हेड-ऑफिस को समय-समय पर बसों की संख्या बढ़ाने की डिमांड भेजी जाती है. जैसे ही बसें मिलेंगी तो इन बसों को पहले अधिक ओवरलोडिंग वाले रूटों पर चलाया जाएगा.

करसोग डिपो में कुल 50 बसें:
करसोग डिपो में कुल 50 बसें है. इसमें भी औसतन 5 बसें या तो रिपेयर के लिए खड़ी रहती है या शादी समारोह के लिए बुक होती है. इसके अलावा शिमला डिपो की 5 के करीब बसें शिमला और करसोग रुट पर चल रही है.

15 के करीब प्राइवेट बसें करसोग के विभिन्न रूटों पर दौड़ रही है. इस तरह से कुल 70 के करीब रोजाना करसोग के विभिन्न रूटों पर दौड़ रही है, जो इतनी बड़ी आबादी के लिए बहुत ही कम है. खासकर सुबह और शाम ऑफिस और स्कूल आवर्स में हालात बेकाबू हो जा रहे हैं.

एचआरटीसी ने जारी किए हैं 2899 फ्री पास:
प्रदेश सरकार ने स्कूली छात्रों के लिए बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा दी है. ऐसे में करसोग डिपो के तहत एचआरटीसी ने छात्रों को 2,899 फ्री पास जारी किए हैं. ये पास उन स्कूलों में छात्रों को जारी किए गए हैं, जहां सड़क सुविधा है.

ऐसे में अब ओवरलोडिंग न करने के आदेशों के बाद इन सभी छात्रों की मुश्किलें भी बढ़ गई है. इसके अलावा कॉलेज के छात्रों से पैसे लेकर अलग पास जारी किए गए हैं. एचआरटीसी के पास स्कूलों के लिए अलग से बसें चलाने का भी कोई प्रावधान नहीं है.

Intro:करसोग में बसों की कमी के आगे जनता पर ही भारी पड़ रहे सरकार के रोजाना जारी होने वाले नए फरमान, ड्राइवर और कंडक्टर भी लोगों की भीड़ के आगे हुए बेबसBody:वाह री सरकार 1750 की आवादी पर एक बस, कैसे रुकेगी ओवरलोडिंग
करसोग में बसों की कमी के आगे जनता पर ही भारी पड़ रहे सरकार के रोजाना जारी होने वाले नए फरमान, ड्राइवर और कंडक्टर भी लोगों की भीड़ के आगे हुए बेबस
करसोग
ओवरलोडिंग पर जारी सरकारी फरमान बसों की भारी कमी के कारण लोगों पर ही भारी पड़ने लगे है। कुल्लू में हुए सड़क हादसे के बाद नींद से जागी सत्कार ने आनन फानन में ओवरलोडिंग न करने के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन पहले ही बसों की भारी कमी की समस्या से जूझ रहे लोग अब कैसे सफर करेंगे इस बात पर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। करसोग की बात करें तो यहां करीब 1.25 लाख की आबादी के लिए सरकार के पास मात्र 70 के करीब बसें हैं। इसमें निजी बसों की संख्या भी शामिल है। इस तरह से करसोग खंड में सरकार में पास 1750 की आबादी पर औसतन 1 बस है। ऐसे में बसों में पहले सीट प्राप्त करने के लिए लोगों के बीच में अफरा तफरी मच रही है। यही नहीं बस स्टैंड में ही पूरी सीटें भरने के बाद चालक रास्ते में बसों के इंतजार में खड़ी सवारियों को भी नहीं बिठा रहे हैं। इससे लंबे रुट की सवारियों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे लोगों के बीच सरकार के प्रति भी रोष बढ़ रहा है। कई स्टेशनों पर जब बस सवारियों को उतारने के लिए खड़ी की जा रही है तो लोग जबरन बसों में घुस रहे हैं, जिन्हें रोकने पर चालको और सवारियों के बीच बढ़ रही झड़पों की सूचना भी सामने आ रही है। यही नहीं पीछे से ही सवारियां पूरी होने से बसों को रास्ते में खड़े स्कूली छात्रों के लिए भी नहीं रोका जा रहा है। जिस कारण बच्चों को स्कूल पहुंचने में देरी ही रही है। ऐसे में अब सरकार के आदेश सभी पर भारी पड़ने लगे हैं। लोगों का कहना है कि अगर ओवरलोडिंग की समस्या को खत्म करना है तो इसके लिए पहले करसोग डिपो में बसों की संख्या को बढ़ाना होगा। तभी सत्कार के आदेश सही मायने में लागू हो सकते हैं। वहीं करसोग बस डिपो के वर्क्स मैनेजर शमशेर सिंह का कहना है कि हेड ऑफिस को समय समय पर बसों की संख्या बढ़ाने की डिमांड भेजी जाती है। जैसे ही बसें मिलेंगी। इन बसों को पहले अधिक ओवरलोडिंग वाले रूटों पर चलाया जाएगा।

करसोग डिपो में कुल 50 बसें:
करसोग डिपो में कुल 50 बसें है। इसमें भी औसतन 5 बसें या तो रिपेयर के लिए खड़ी रहती है। शादी समरोह के लिए भी कुछ बसें बुक होती है। इसके अलावा शिमला डिपो की 5 के करीब बसें शिमला और करसोग रुट पर चल रही है। 15 के करीब प्राईवेट बसें करसोग के विभिन्न रूटों पर दौड़ रही है। इस तरह से कुल 70 के करीब रोजाना करसोग के विभिन्न रूटों पर दौड़ रही है। जो इतनी बड़ी आबादी के लिए बहुत ही कम है। खासकर सुबह और शाम ऑफिस और स्कूल आवर्स में हालात ही बेकाबू हो जाते हैं।

एचआरटीसी ने जारी किए हैं 2899 फ्री के पास:
प्रदेश सरकार ने स्कूली छात्रों के लिए बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा दी है। ऐसे में करसोग डिपो के तहत एचआरटीसी ने छात्रों को 2,899 फ्री पास जारी किए हैं। ये पास उन स्कूलों में छात्रों को जारी किए गए है जहां पर सड़क सुविधा है। ऐसे में अब ओवरलोडिंग न करने के आदेशों के बाद इन सभी छात्रों की मुश्किलें भी बढ़ गई है। इसके अलावा कॉलेज के छात्रों से पैसे लेकर अलग पास जारी किए गए हैं। एचआरटीसी के पास स्कूलों के लिए अलग से बसें चलाने का भी कोई प्रावधान नहीं है।

Conclusion:करसोग बस डिपो के वर्क्स मैनेजर शमशेर सिंह का कहना है कि हेड ऑफिस को समय समय पर बसों की संख्या बढ़ाने की डिमांड भेजी जाती है। जैसे ही बसें मिलेंगी। इन बसों को पहले अधिक ओवरलोडिंग वाले रूटों पर चलाया जाएगा।
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