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बैलों के पूजन के साथ राज्य स्तरीय नलवाड़ मेला शुरू, बड़ी संख्या में पहुंचे लोग - हिमाचल की हिंदी खबरें

सात दिवसीय राज्य स्तरीय नलवाड़ मेला मंगलवार को आरंभ हो (Nalwad fair inaugurated in Sundernagar)गया. इसका शुभारंभ विधायक सुंदरनगर राकेश जम्वाल ने नगौण खड्ड में खूंटी गाड़कर कर ध्वजारोहण कर किया. उन्होंने कहा कि बैलों के पूजन के साथ विधिवत मेले का शुभारंभ हो गया

Nalwad fair inaugurated in Sundernagar
राज्य स्तरीय नलवाड़ मेला शुरू
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Published : Mar 22, 2022, 5:50 PM IST

सुंदरनगर: सात दिवसीय राज्य स्तरीय नलवाड़ मेला मंगलवार को आरंभ हो (Nalwad fair inaugurated in Sundernagar)गया. इसका शुभारंभ विधायक सुंदरनगर राकेश जम्वाल ने नगौण खड्ड में खूंटी गाड़कर कर ध्वजारोहण कर किया. उन्होंने कहा कि बैलों के पूजन के साथ विधिवत मेले का शुभारंभ हो गया. कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों से मेले का आयोजन नहीं होने के कारण इस वर्ष किसानों और लोगों के बीच उत्साह देखने को मिल रहा है.

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उन्होंने कहा कि समय के बदलाव के साथ लोगों के पास बैल कम हो गए. इस कारण इस मेले को पशु मेला के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया था. उन्होने कहा कि पशुधन लेकर मेले में आया जाए और क्रय-विक्रय करना चाहिए. उत्तर भारत के सबसे बड़े नलवाड़ मेले में पुरातन स्वरूप धीरे-धीरे खत्म हो रहा. मेले में बैलों के लिए उपयोग में आने वाली रस्सियां, घंटियां, छिकड़ी,नकेल आदि बेचने वाले व्यापारीयों का सामान बिकने का क्रम कम हो गया. वहीं, मेलों के स्वरूप में आ रहे बदलाव से पुरातन संस्कृति को संजोए रखने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है.

ये भी पढ़ें :राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेला: वॉयस ऑफ पंजाब गौरव कौंडल के नाम रही दूसरी सांस्कृतिक संध्या

सुंदरनगर: सात दिवसीय राज्य स्तरीय नलवाड़ मेला मंगलवार को आरंभ हो (Nalwad fair inaugurated in Sundernagar)गया. इसका शुभारंभ विधायक सुंदरनगर राकेश जम्वाल ने नगौण खड्ड में खूंटी गाड़कर कर ध्वजारोहण कर किया. उन्होंने कहा कि बैलों के पूजन के साथ विधिवत मेले का शुभारंभ हो गया. कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों से मेले का आयोजन नहीं होने के कारण इस वर्ष किसानों और लोगों के बीच उत्साह देखने को मिल रहा है.

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उन्होंने कहा कि समय के बदलाव के साथ लोगों के पास बैल कम हो गए. इस कारण इस मेले को पशु मेला के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया था. उन्होने कहा कि पशुधन लेकर मेले में आया जाए और क्रय-विक्रय करना चाहिए. उत्तर भारत के सबसे बड़े नलवाड़ मेले में पुरातन स्वरूप धीरे-धीरे खत्म हो रहा. मेले में बैलों के लिए उपयोग में आने वाली रस्सियां, घंटियां, छिकड़ी,नकेल आदि बेचने वाले व्यापारीयों का सामान बिकने का क्रम कम हो गया. वहीं, मेलों के स्वरूप में आ रहे बदलाव से पुरातन संस्कृति को संजोए रखने के लिए प्रशासन जुटा हुआ है.

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