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मंडी में पहाड़ियां बजा रही खतरे की घंटी, हणोगी में खिसक रही है पहाड़ी - चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे

पत्थरों के गिरने और पहाड़ों के दरकने का सिलसिला बीते कुछ वर्षों से बढ़ता जा रहा है. दो वर्ष पहले बड़ी-बड़ी चट्टानें हणोगी माता मंदिर परिसर पर आ गिरी थी. कोई जानी नुकसान तो नहीं हुआ था, लेकिन मंदिर का द्वार और आसपास की दुकानें काफी क्षतिग्रस्त हुई थी.

Mountains of Hanogi mandi are slipping
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Published : Jul 24, 2019, 12:54 PM IST

Updated : Jul 24, 2019, 9:18 PM IST

मंडीः चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पंडोह से औट तक खतरों का हाईवे बनकर रह गया है. आए दिन पहाड़ी से पत्थर गिरना और कभी भी पहाड़ों का दरक जाना, इस हाईवे की पहचान बनता जा रहा है. इसके बाद जिला प्रशासन ने आईआईटी मंडी के सहयोग से पहाड़ी पर सेंसर लगाए, ताकि पहाड़ी के खिसकने का संकेत पहले ही मिल जाए और बड़ी अनहोनी से बचा जा सके. दो वर्ष पहले जो सेंसर पहाड़ी पर लगाए गए थे उनमें इस बार काफी ज्यादा मूवमेंट दर्ज की जा रही है.

Mountains of Hanogi mandi are slipping
चेतावनी बोर्ड.

संकेत स्पष्ट है कि पहाड़ियां धीरे-धीरे खिसक रही हैं और किसी बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रही हैं. डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि जो सेंसर लगाए गए हैं उनमें पहाड़ी के खिसकने की मूवमेंट दर्ज की जा रही है और इसकी रोकथाम के कोई बड़ी योजना बनाने पर काम करना शुरू कर दिया गया है.

Mountains of Hanogi mandi are slipping
दरकती पहाड़ी.

बता दें कि पंडोह से औट तक फोरलेन का निर्माण कार्य भी चला हुआ है, लेकिन यहां पर सुखद बात यह है कि यह फोरलेन टनलों के माध्यम से बनाया जा रहा है. जब टनलों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा तो फिर खतरों वाले हाईवे से यातायात कम हो जाएगा.

इस कार्य में अभी तीन से चार सालों का समय लगने वाला है. इस क्षेत्र में कब आपकी चलती गाड़ी पर पत्थर आकर गिर जाए ये कोई नहीं जानता. बीते वर्षों में पहाड़ से चलती गाडि़यों पर पत्थर गिरने के कारण कुछ लोग काल का ग्रास बन चुके हैं, जबकि कुछ चोटिल होकर आज भी नसीब को कोस रहे हैं.

Mountains of Hanogi mandi are slipping
बैठक की अध्यक्षता करते डीसी मंडी, ऋग्वेद ठाकुर.

टैक्सी चालकों और स्थानीय लोगों की मानें तो इस हाईवे पर सफर करना जान जोखिम में डालने जैसा है. यही कारण है कि स्थानीय लोग या तो यहां से मजबूरी में जाते हैं या फिर वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेते हैं. लोगों ने प्रशासन व सरकार से इस ओर विशेष ध्यान देने की गुहार लगाई है.

वीडियो.

पढ़ेंः धर्मशाला के सराह गोसदन में लापरवाही की इंतहा, इलाज न मिल पाने से हो रही गायों की मौत

मंडीः चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पंडोह से औट तक खतरों का हाईवे बनकर रह गया है. आए दिन पहाड़ी से पत्थर गिरना और कभी भी पहाड़ों का दरक जाना, इस हाईवे की पहचान बनता जा रहा है. इसके बाद जिला प्रशासन ने आईआईटी मंडी के सहयोग से पहाड़ी पर सेंसर लगाए, ताकि पहाड़ी के खिसकने का संकेत पहले ही मिल जाए और बड़ी अनहोनी से बचा जा सके. दो वर्ष पहले जो सेंसर पहाड़ी पर लगाए गए थे उनमें इस बार काफी ज्यादा मूवमेंट दर्ज की जा रही है.

Mountains of Hanogi mandi are slipping
चेतावनी बोर्ड.

संकेत स्पष्ट है कि पहाड़ियां धीरे-धीरे खिसक रही हैं और किसी बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रही हैं. डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि जो सेंसर लगाए गए हैं उनमें पहाड़ी के खिसकने की मूवमेंट दर्ज की जा रही है और इसकी रोकथाम के कोई बड़ी योजना बनाने पर काम करना शुरू कर दिया गया है.

Mountains of Hanogi mandi are slipping
दरकती पहाड़ी.

बता दें कि पंडोह से औट तक फोरलेन का निर्माण कार्य भी चला हुआ है, लेकिन यहां पर सुखद बात यह है कि यह फोरलेन टनलों के माध्यम से बनाया जा रहा है. जब टनलों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा तो फिर खतरों वाले हाईवे से यातायात कम हो जाएगा.

इस कार्य में अभी तीन से चार सालों का समय लगने वाला है. इस क्षेत्र में कब आपकी चलती गाड़ी पर पत्थर आकर गिर जाए ये कोई नहीं जानता. बीते वर्षों में पहाड़ से चलती गाडि़यों पर पत्थर गिरने के कारण कुछ लोग काल का ग्रास बन चुके हैं, जबकि कुछ चोटिल होकर आज भी नसीब को कोस रहे हैं.

Mountains of Hanogi mandi are slipping
बैठक की अध्यक्षता करते डीसी मंडी, ऋग्वेद ठाकुर.

टैक्सी चालकों और स्थानीय लोगों की मानें तो इस हाईवे पर सफर करना जान जोखिम में डालने जैसा है. यही कारण है कि स्थानीय लोग या तो यहां से मजबूरी में जाते हैं या फिर वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेते हैं. लोगों ने प्रशासन व सरकार से इस ओर विशेष ध्यान देने की गुहार लगाई है.

वीडियो.

पढ़ेंः धर्मशाला के सराह गोसदन में लापरवाही की इंतहा, इलाज न मिल पाने से हो रही गायों की मौत

Intro:मंडी। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे पंडोह से औट तक खतरों का हाईवे बनकर रह गया है। आए दिन पहाड़ी से पत्थर गिरना और कभी भी पहाड़ों का दरक जाना, इस हाईवे की पहचान बनता जा रहा है। पत्थरों के गिरने और पहाड़ों के दरकने का सिलसिला बीते कुछ वर्षों से बढ़ता जा रहा है।Body:दो वर्ष पहले बड़ी-बड़ी चट्टानें हणोगी माता मंदिर परिसर पर आ गिरी थी। कोई जानी नुकसान तो नहीं हुआ था लेकिन मंदिर का द्वार और आसपास की दुकानें काफी क्षतिग्रस्त हुई थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने आईआईटी मंडी के सहयोग से पहाड़ी पर सेंसर लगाए। ताकि पहाड़ी के खिसकने का संकेत पहले ही मिल जाए और बड़ी अनहोनी से बचा जा सके। दो वर्ष पहले जो सेंसर पहाड़ी पर लगाए गए थे उनमें इस बार काफी ज्यादा मूवमेंट दर्ज की जा रही है। यानी के संकेत स्पष्ट है कि पहाडि़यां धीरे-धीरे खिसक रही हैं और किसी बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रही हैं। डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने बताया कि जो सेंसर लगाए गए हैं उनमें पहाड़ी के खिसकने की मूवमेंट दर्ज की जा रही है और इसकी रोकथाम के कोई बड़ी योजना बनाने पर काम करना शुरू कर दिया गया है।

बाइट फाइल 02 - ऋग्वेद ठाकुर, डीसी मंडी

पंडोह से औट तक फोरलेन का निर्माण कार्य भी चला हुआ है। लेकिन यहां पर सुखद बात यह है कि यह फोरलेन टनलों के माध्यम से बनाया जा रहा है। जब टनलों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा तो फिर खतरों वाले हाईवे से यातायात कम हो जाएगा। लेकिन इस कार्य में अभी तीन से चार वर्षों का समय लगने वाला है। वर्तमान ड़ी क्षेत्र में कब आपकी चलती गाड़ी पर पत्थर आकर गिर जाए और आपकी जान पर बन आए, कोई पता नहीं चलता। बीते वर्षों में पहाड़ से चलती गाडि़यों पर पत्थर गिरने के कारण कुछ लोग काल का ग्रास बन चुके हैं जबकि कुछ चोटिल होकर आज भी नसीब को कोस रहे हैं। टैक्सी चालक खेम सिंह राव, सैंज निवासी गवीश शर्मा और पनारसा निवासी दलीप ठाकुर ने बताया कि इस हाईवे पर सफर करना जान जोखिम में डालने जैसा है। यही कारण है कि स्थानीय लोग या तो यहां से मजबूरी में जाते हैं या फिर वैकल्पिक मार्ग का सहारा लेते हैं। इन्होंने प्रशासन व सरकार से इस ओर विशेष ध्यान देने की गुहार लगाई है।

बाइट्स फाइल तीन क्रमानुसार
बाइट - खेम सिंह राव, टैक्सी चालक
बाइट - गवीश शर्मा, सैंज निवासी
बाइट - दलीप ठाकुर, पनारसा निवासी

Conclusion:अभी बरसात का मौसम चला हुआ है इस मौसम में पहाड़ो से पत्थर आदि गिरने का ज्यादा खतरा बना रहता है। बीती दो बरसातों के दौरान भी यहां कई बार हादसे हो चुके हैं। अभी भी कई गाडि़यों पर पत्थर गिर चुके हैं जिसमें कुछ जाने भी गई हैं। अब प्रशासन कब तक इस बारे में पूरा मास्टर प्लान तैयार करता है यह भविष्य में ही पता चल पाएगा।
Last Updated : Jul 24, 2019, 9:18 PM IST
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