मंडी: कोरोना वायरस के बीच ग्रामीण इलाकों में मनरेगा ने रोजगार के द्वार खोल दिए हैं. जिससे ग्रामीणों में खुशी की लहर है. खास बात यह है कि एक जगह मनरेगा कार्य के दौरान सिर्फ दस मजदूर ही काम कर रहे हैं. वहीं, काम के दौरान भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया जा रहा है.
ईटीवी भारत ने मंडी जिला के सदर विकास खंड के गोखड़ा गांव में मनरेगा कार्य के दौरान बरती जा रही सावधानियों और मजदूरों को मिले रोजगार को लेकर जायजा लिया. निचला लोट पंचायत में चल रहे दो मनरेगा कार्यों में मजदूर पूरी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए काम करते हुए दिखे. कर्फ्यू के दौरान ग्रामीणों को अपनी दिहाड़ी की चिंता सता रही थी, लेकिन मनरेगा के तहत रोजगार मिलने पर मजदूरों के चेहरे खिल गए हैं.
लोट पंचायत की प्रधान अनिता कुमारी ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा बार-बार रोजगार की मांग की जा रही थी. सरकार से मनरेगा कार्य में छूट की अनुमति के बाद यह कार्य शुरू किया गया है. इसके तहत दस मजदूरों को काम पर बुलाया गया है. उन्होंने बताया कि वर्क प्लेस पर हैंड वॉश समेत अन्य सभी सुविधाएं मुहैया करवाई गई हैं. इसके अलावा काम के वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करवाया जा रहा है.
अनिता कुमारी ने बताया कि वर्तमान में मनरेगा के तहत पंचायत में दो कार्य चल रहे हैं. जिनमें एक सिंचाई योजना की कूहल रिपेयर है. वहीं, दूसरा पंचायत में मनरेगा के तहत डंगा निर्माण कार्य चला हुआ है. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर दिए गए सभी दिशा निर्देशों के तहत ही कार्य शुरू किया गया है और सभी नियमों का पालन भी किया जा रहा है.
मनरेगा मजूदरों का कहना है कि एक तरह उन्हें जहां लॉकडाउन में अपनी रोजी रोटी की चिंता सता रही थी, वहीं सरकार ने मनरेगा के तहत कार्य की अनुमति देकर उन्हें राहत दी है. उन्होंने बताया कि रोजगार के साथ साथ कूहल रिपयेर से किसानों को भी फायेदा मिलेगा.
बता दें कि सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार मनरेगा के तहत सशर्त निर्माण कार्य की अनुमति दी गई है. मंडी जिला में मनरेगा मजदूरों की संख्या लाखों में है. ऐसे में लॉकडाउन के बीच मनरेगा कार्य शुरू होने से मजदूरों ने राहत की सांस ली है.
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