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माता कांढी घटाशनी का राज परिवार से है ताल्लुक, कोर्ट कचहरी के मामलों से देती हैं राहत - पगौड़ा शैली

माता कांढी घटाशनी मंडी के राज परिवार की आराध्य देवी मानी जाती है. मंडी राज महल में माता कांढी घटाशनी राज राजेश्वरी के नाम से चांदी की मूरत में विराजमान है. इन्हें कोर्ट कचहरी के मामलों में राहत देने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है. आम दिनों में यहां भक्तों का तांता लगा रहता था, लेकिन कोरोना के चलते जनता के लिए मंदिर बंद है.

Kaandi Ghatashani temple
माता कांढी घटाशनी
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Published : Aug 6, 2020, 11:40 AM IST

मंडी: छोटी काशी मंडी में रियासत काल से ही देवी देवताओं का राज दरबार के साथ अनूठा संगम रहा है. देवी देवता राज दरबार में अपना अलग महत्व भी रखते हैं. इसके तहत मंडी शहर से 20 किलोमीटर और पंहोह से 13 किलोमीटर दूर शिवा बदार में माता कांढी घटाशनी का भव्य मंदिर है.

कहा जाता है कि मंडी रियासत के 12वें राजा बान सेन का जन्म भी शिवा बदार में ही हुआ था. इसके चलते आज भी माता कांढी घटाशनी मंडी के राज परिवार की आराध्य देवी मानी जाती है. मंडी राज महल में माता कांढी घटाशनी राज राजेश्वरी के नाम से चांदी की मूरत में विराजमान है.

वीडियो

मंदिर के पुजारी सुरेंद्र पाल ने बताया कि इस खूबसूरत मंदिर में लोग माता के दर्शन करने दूर दूर से आते हैं. इसे कोर्ट कचहरी के मामलों में राहत देने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने कहा कि आम दिनों में यहां भक्तों का तांता लगा रहता था, लेकिन कोरोना के चलते जनता के लिए मंदिर बंद है.

माता कांढी घटाशनी कमेटी के सदस्य केशर सिंह ठाकुर ने बताया कि इस समय कोरोना के चलते सभी मंदिर बंद हैं. उन्होंने कहा कि मंदिरों का भक्तों के लिए बंद होना ऐसा पहली बार देखा है. माता कांढी घटाशनी और इलाके के अन्य देवी देवता साल में तीन बार पराशर ऋषि के पास जाते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते देवी देवताओं का आना जाना भी बंद ही है. उन्होंने कहा कि देवी देवता भी कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते मंदिर बंद रखने के आदेश दे रहे है.

केशर सिंह ठाकुर ने कहा कि माता कांढी घटाशनी का मंदिर कितना प्राचीन है, ये कोई नहीं जानता है. इस मंदिर का पुनर्निर्माण साल 2005 में पूरा हुआ था. इस दौरान मंदिर की बनावट प्राचीन मंदिर की तरह ही रखी गई, जिसमें कोई फेर बदल नहीं किया गया.

प्रदेश के बहुत से मंदिरों की तरह माता कांढी घटाशनी का मंदिर भी पगौड़ा शैली में बना है. इसकी लकड़ी की दीवारों, पिलर्स और छत पर बेहतरीन नक्काशी की गई है.

ये भी पढ़ें: सुकेत रियासत के महाराजा ने पुत्र प्राप्ति के लिए बनवाया था ये मंदिर, 2 बार गिर चुकी है आसमानी बिजली

मंडी: छोटी काशी मंडी में रियासत काल से ही देवी देवताओं का राज दरबार के साथ अनूठा संगम रहा है. देवी देवता राज दरबार में अपना अलग महत्व भी रखते हैं. इसके तहत मंडी शहर से 20 किलोमीटर और पंहोह से 13 किलोमीटर दूर शिवा बदार में माता कांढी घटाशनी का भव्य मंदिर है.

कहा जाता है कि मंडी रियासत के 12वें राजा बान सेन का जन्म भी शिवा बदार में ही हुआ था. इसके चलते आज भी माता कांढी घटाशनी मंडी के राज परिवार की आराध्य देवी मानी जाती है. मंडी राज महल में माता कांढी घटाशनी राज राजेश्वरी के नाम से चांदी की मूरत में विराजमान है.

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मंदिर के पुजारी सुरेंद्र पाल ने बताया कि इस खूबसूरत मंदिर में लोग माता के दर्शन करने दूर दूर से आते हैं. इसे कोर्ट कचहरी के मामलों में राहत देने वाली देवी के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने कहा कि आम दिनों में यहां भक्तों का तांता लगा रहता था, लेकिन कोरोना के चलते जनता के लिए मंदिर बंद है.

माता कांढी घटाशनी कमेटी के सदस्य केशर सिंह ठाकुर ने बताया कि इस समय कोरोना के चलते सभी मंदिर बंद हैं. उन्होंने कहा कि मंदिरों का भक्तों के लिए बंद होना ऐसा पहली बार देखा है. माता कांढी घटाशनी और इलाके के अन्य देवी देवता साल में तीन बार पराशर ऋषि के पास जाते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते देवी देवताओं का आना जाना भी बंद ही है. उन्होंने कहा कि देवी देवता भी कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते मंदिर बंद रखने के आदेश दे रहे है.

केशर सिंह ठाकुर ने कहा कि माता कांढी घटाशनी का मंदिर कितना प्राचीन है, ये कोई नहीं जानता है. इस मंदिर का पुनर्निर्माण साल 2005 में पूरा हुआ था. इस दौरान मंदिर की बनावट प्राचीन मंदिर की तरह ही रखी गई, जिसमें कोई फेर बदल नहीं किया गया.

प्रदेश के बहुत से मंदिरों की तरह माता कांढी घटाशनी का मंदिर भी पगौड़ा शैली में बना है. इसकी लकड़ी की दीवारों, पिलर्स और छत पर बेहतरीन नक्काशी की गई है.

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