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मधुमक्खी पालन से आत्मनिर्भर बने मंडी के मनोज कुमार, अन्य युवाओं को भी दे रहे रोजगार - बागवानी विभाग मंडी

हिमाचल सरकार की मुख्यमंत्री मधु विकास योजना की मदद से अनेकों युवा शहद की मक्खियों का व्यवसाय अपनाकर लाभान्वित हो रहे हैं. ऐसे हजारों सफल युवा उद्यमियों की तरह ही मंडी जिला की कोटली तहसील के सेहली गांव के मनोज कुमार ने भी इस योजना का लाभ लेकर सफलता की नई कहानी रची है.

beekeeping business
मनोज कुमार.
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Published : Oct 23, 2020, 7:48 AM IST

मंडी: जिला के सेहली गांव के मनोज कुमार मधुमक्खी व्यवसाय से न केवल आत्मनिर्भर हुए हैं, बल्कि अन्य लोगों के लिए रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. मनोज सालाना करीब 25 क्विंटल के करीब शहद उत्पादन कर रहे हैं, जिसकी प्रति किलो कीमत 500 से 700 रुपये के करीब है. इसके अलावा बगीचों में पॉलिनेशन सहायता के लिए बागवान उन्हें प्रति बक्सा एक हजार रुपये की अदायगी करते हैं.

मनोज को पिछले साल सारा खर्च निकाल कर इस कारोबार में 3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. 43 वर्षीय मनोज बताते हैं कि उन्होंने दिसंबर 2018 में मधुमक्खियों के 50 बक्सों के साथ काम शुरू किया था. इसके लिए उन्हें प्रदेश सरकार से 1 लाख 76 हजार की सरकारी की सहायता मिली.

उनका कहना है कि सरकार की ये मदद उनका जीवन बदलने वाली साबित हुई. उन्होंने सरकारी मदद से एक लाख 60 हजार रुपये मधुमक्खी और बक्सों की खरीद पर और 16 हजार जरूरी उपकरण खरीदने पर खर्च किये. 50 हजार रुपये अपनी बचत से उपयोग कर काम को गति दी. इसमें बागवानी विभाग सुंदरनगर और नौणी विश्वविद्यालय से मौन पालन और रानी मक्खी तैयार करने का प्रशिक्षण उनके बड़े काम आया. मनोज कुमार 50 बक्सों से शुरू हुआ ये सफर 240 बक्सों तक पहुंच गया है. पिछले साल सारा खर्च निकाल कर इस कारोबार में तीन लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है.

सेब की अच्छी पैदावार में सहायक है मधुमक्खी

मनोज कुमार बताते हैं कि सेब सीजन में हिमाचल के ऊपरी इलाकों के बागवान उन्हें विशेषतौर पर बुलाते हैं, क्योंकि मधुमक्खियां बगीचों में सफल पॉलिनेशन को सुनिश्चित कर सेब की अच्छी पैदावार में सहायक होती हैं. इसके लिए बागवान उन्हें प्रति बक्सा एक हजार रुपये की अदायगी करते हैं. इसके अलावा फ्लावरिंग के सीजन में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान भी उन्हें बुलाते हैं. सरसों के एक सीजन में जहां दो हजार किलो तक शहद हो जाता है. वहीं सफेदा के फूलों के सीजन में 700 किलो के करीब उत्पादन होता है.

योजना से मंडी के 1213 किसान लाभान्वित

बागवानी विभाग मंडी के उपनिदेशक अशोक धीमान बताते हैं कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत बीते पौने तीन सालों में मंडी जिला में 1213 किसानों को करीब 85 लाख रुपये की मदद दी गई है. अशोक बताते हैं कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत मधुमक्खी पालक को 50 मधुमक्खी कालोनियों या यूनिट तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. इसके लिए 80 प्रतिशत लागत राशि या 1,600 रुपये प्रति मधुमक्खी कालोनी दी जाती है.

बता दें कि हिमाचल सरकार मधुमक्खी पालन व्यवसाय को स्वरोजगार के उत्तम साधन के रूप में प्रोत्साहित कर रही है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का इस ओर विशेष जोर है कि युवाओं को इस व्यवसाय को अपनाने को प्रोत्साहित किया जाए. इस मकसद से मुख्यमंत्री मधु विकास योजना शुरू की गई है, जिसके तहत लोगों को अनेक सुविधाएं एवं उपदान दिया जा रहा है. इसी क्रम में मंडी जिला में भी मधुमक्खी पालन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.

मंडी: जिला के सेहली गांव के मनोज कुमार मधुमक्खी व्यवसाय से न केवल आत्मनिर्भर हुए हैं, बल्कि अन्य लोगों के लिए रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. मनोज सालाना करीब 25 क्विंटल के करीब शहद उत्पादन कर रहे हैं, जिसकी प्रति किलो कीमत 500 से 700 रुपये के करीब है. इसके अलावा बगीचों में पॉलिनेशन सहायता के लिए बागवान उन्हें प्रति बक्सा एक हजार रुपये की अदायगी करते हैं.

मनोज को पिछले साल सारा खर्च निकाल कर इस कारोबार में 3 लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है. 43 वर्षीय मनोज बताते हैं कि उन्होंने दिसंबर 2018 में मधुमक्खियों के 50 बक्सों के साथ काम शुरू किया था. इसके लिए उन्हें प्रदेश सरकार से 1 लाख 76 हजार की सरकारी की सहायता मिली.

उनका कहना है कि सरकार की ये मदद उनका जीवन बदलने वाली साबित हुई. उन्होंने सरकारी मदद से एक लाख 60 हजार रुपये मधुमक्खी और बक्सों की खरीद पर और 16 हजार जरूरी उपकरण खरीदने पर खर्च किये. 50 हजार रुपये अपनी बचत से उपयोग कर काम को गति दी. इसमें बागवानी विभाग सुंदरनगर और नौणी विश्वविद्यालय से मौन पालन और रानी मक्खी तैयार करने का प्रशिक्षण उनके बड़े काम आया. मनोज कुमार 50 बक्सों से शुरू हुआ ये सफर 240 बक्सों तक पहुंच गया है. पिछले साल सारा खर्च निकाल कर इस कारोबार में तीन लाख रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है.

सेब की अच्छी पैदावार में सहायक है मधुमक्खी

मनोज कुमार बताते हैं कि सेब सीजन में हिमाचल के ऊपरी इलाकों के बागवान उन्हें विशेषतौर पर बुलाते हैं, क्योंकि मधुमक्खियां बगीचों में सफल पॉलिनेशन को सुनिश्चित कर सेब की अच्छी पैदावार में सहायक होती हैं. इसके लिए बागवान उन्हें प्रति बक्सा एक हजार रुपये की अदायगी करते हैं. इसके अलावा फ्लावरिंग के सीजन में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान भी उन्हें बुलाते हैं. सरसों के एक सीजन में जहां दो हजार किलो तक शहद हो जाता है. वहीं सफेदा के फूलों के सीजन में 700 किलो के करीब उत्पादन होता है.

योजना से मंडी के 1213 किसान लाभान्वित

बागवानी विभाग मंडी के उपनिदेशक अशोक धीमान बताते हैं कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत बीते पौने तीन सालों में मंडी जिला में 1213 किसानों को करीब 85 लाख रुपये की मदद दी गई है. अशोक बताते हैं कि मुख्यमंत्री मधु विकास योजना के तहत मधुमक्खी पालक को 50 मधुमक्खी कालोनियों या यूनिट तक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. इसके लिए 80 प्रतिशत लागत राशि या 1,600 रुपये प्रति मधुमक्खी कालोनी दी जाती है.

बता दें कि हिमाचल सरकार मधुमक्खी पालन व्यवसाय को स्वरोजगार के उत्तम साधन के रूप में प्रोत्साहित कर रही है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का इस ओर विशेष जोर है कि युवाओं को इस व्यवसाय को अपनाने को प्रोत्साहित किया जाए. इस मकसद से मुख्यमंत्री मधु विकास योजना शुरू की गई है, जिसके तहत लोगों को अनेक सुविधाएं एवं उपदान दिया जा रहा है. इसी क्रम में मंडी जिला में भी मधुमक्खी पालन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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