मंडी: हिमाचल में आई आपदा में कई लोगों की जान चली गई तो कईयों का सब कुछ तबाह हो गया. अब इन लोगों के पास आपदा में मिले गहरे जख्म के सिवाय कुछ भी नहीं है. भारी बारिश और लैंडस्लाइड से बेघर हुए लोग राहत शिविर में रहने को मजबूर हैं, लेकिन स्थायी समाधान नहीं होने से प्रभावितों के सब्र का बांध टूटने लगा है. कुछ ऐसा ही हाल मंडी जिले के ज्वाली गांवों के लोगों का है. जिन्होंने गुहार लगाई है कि सरकार हमारी जिम्मेदारी ले या फिर हमें गोली मार दे.
सरकाघाट उपमंडल के पटड़ीघाट स्कूल में बने अस्थायी राहत शिविर में रह रहे ज्वाली गांव के प्रभावितों का सब्र का बांध अब टूटता नजर आ रहा है. बीती 12, 13 और 14 अगस्त को आसमान से कहर कुछ इस कदर बरपा कि पूरा गांव ही विस्थापित हो गया. कुछ लोगों के घर जमींदोज हो गए. वहीं, बाकी लोगों की घर ऐसी स्थिति में हैं, जिनमें रहना संभव ही नहीं है. ऐसे में इस गांव के 55 प्रभावित परिवारों को प्रशासन ने पटड़ीघाट स्कूल में बनाए अस्थायी राहत शिविर में ठहराया हुआ है.
ज्वाली गांव की हालत यह है कि यहां जाने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही, लेकिन प्रभावितों के सब्र का बांध अब टूटने लग गया है. प्रभावितों का एक ही सवाल है कि आखिर कब तक वे इसी तरह स्कूल में अपनी जिंदगी काटेंगे. सरकार इनके लिए कोई स्थायी समाधान निकाले. प्रभावितों को जमीन उपलब्ध करवाए और घर बनाने में मदद करे.
प्रभावित रोशनी देवी, भोलू राम, और धर्मू ने बताया कि उनका पूरा गांव भूस्खलन की जद में आ गया है. गांव का कुछ हिस्सा धंस गया है. जबकि कुछ धंसने की कगार पर है. जो घर बचे हैं, उनमें इतनी बड़ी-बड़ी दरारें आ गई है कि वो कभी भी ढह सकते हैं. गांव का कोई भी घर रहने लायक नहीं बचा है.
प्रभावितों का कहना कि उनका सारा सामान घरों में ही मौजूद है, लेकिन वहां तक जाने की किसी की हिम्मत नहीं हो रही है. गांव का स्कूल भी ढह गया है. बच्चों का भविष्य भी अंधकार में जाता हुआ दिखाई दे रहा है. आपदा की मार झेल रहे लोगों ने कहा कि सरकार या तो उनकी जिम्मेवारी ले या फिर गोली मार दे. क्योंकि जिस तरह की जिंदगी ये अभी जी रहे हैं, उसे कब तक जिएंगे, इसका कोई पता नहीं?
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