मंडी: पत्नी की शारीरिक उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने मामले में कोर्ट ने सुनवाई की है. मामले में कोर्ट ने आरोपी पति को दोषी करार देते हुए 7 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने दोनों मामलों में अभियोग साबित होने पर पति को दोषी करार दिया है. साथ ही दोषी पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.
अतिरिक्त सत्र न्यायालय सुंदरनगर ने शुक्रवार को आरोपी पति को पत्नी का शारीरिक उत्पीड़न और आत्महत्या के लिए उकसाने मामले में आईपीसी की धारा 306 में 7 वर्ष की कठोर कारावास के साथ 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. इसके साथ ही न्यायालय ने पति को पत्नी का शारीरिक उत्पीड़न करने पर आईपीसी की धारा 498 ए में 2 वर्ष का कठोर कारावास और 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा भी सुनाई है. वहीं, जुर्माना अदा न करने की सूरत में न्यायालय ने 6 महीने अतिरिक्त कठोर कारावास की सजा आदेश दिया है.
न्यायालय ने पत्नी का शारीरिक उत्पीड़न करने और आत्महत्या के लिए उकसाने मामले में दोषी सीता राम, निवासी जड़ोल, सुंदरनगर (मंडी) को सजा सुनाई है. दोनों मामले में सजा बराबर चलेंगी. उप जिला न्यायवादी सुंदरनगर विनय वर्मा ने बताया 10 अगस्त 2014 को सिविल अस्पताल सुंदरनगर में एक महिला को जली हुई अवस्था में लाया गया. इस पर पुलिस थाना सुंदरनगर में सूचना मिलने पर कार्रवाई शुरू कर दी. मामले में पुलिस थाना सुंदरनगर सब इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार ने कार्रवाई की.
पीड़ित महिला सीमा देवी पत्नी सीता राम ने पुलिस और डॉक्टर के समक्ष अपना ब्यान दर्ज करवाया. पीड़िता ने अपने पति के मारपीट करने और गाली गलौज से तंग आकर खुद पर किरोसीन तेल छिड़ककर आग लगाने का बयान दर्ज करवाया था. पीड़िता ने बताया था कि पति के उत्पीड़न से तंग आकर उसने आत्महत्या का मन बना लिया था. मामले में पीड़िता को 85 प्रतिशत जलने के कारण हालत गंभीर होने पर सिविल अस्पताल सुंदरनगर से पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया. जहां 16 अगस्त 2014 को सीमा देवी की मौत हो गई.
पुलिस ने आरोपी पति सीता राम के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 ए और 306 के तहत एफआईआर दर्ज किया था. पुलिस की जांच में आरोपी पति द्वारा पहले भी पत्नी का शारीरिक उत्पीड़न करने की शिकायत थाना में दर्ज होने का रिकॉर्ड मिला था. जांच पूर्ण होने पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 498 ए और 306 में चालान तैयार कर कोर्ट में पेश किया गया. विनय वर्मा ने कहा अभियोजन पक्ष द्वारा मामले में न्यायालय के समक्ष 22 गवाहों के बयान दर्ज कराए गए. वहीं न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उपरोक्त सजाएं सुनाई हैं.
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