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Mandi News: 16 साल के बेटे ने तोड़ा दम तो मां-बाप ने मेडिकल कॉलेज को दान की बॉडी, वजह जानकर आंख भर आएगी

मंडी जिले में एक दंपति ने अनूठी मिसाल पेश की है. दंपति ने अपने 16 वर्षीय दिव्यांग बेटे का मौत के बाद अंतिम संस्कार न करके, शव रिसर्च के लिए मेडिकल कॉलेज नेरचौक को दान कर दिया, ताकि भविष्य में किसी और के बच्चे के साथ ऐसा न हो. (Disable Vansh Body Donated to Medical College Nerchowk Mandi)

Disable Vansh Body Donated to Medical College Nerchowk Mandi
मंडी के दंपति ने मेडिकल कॉलेज को दान की बेटे की बॉडी
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 30, 2023, 1:58 PM IST

Updated : Oct 30, 2023, 3:29 PM IST

16 साल के बेटे ने तोड़ा दम तो मां-बाप ने मेडिकल कॉलेज को दान की बॉडी,

मंडी: दिल पर पत्थर रखकर एक दंपति ने अपने कलेजे के टुकड़े के शव का मोह छोड़ उसे रिसर्च के लिए दान कर दिया, ताकि भविष्य में किसी ओर बच्चे के साथ ऐसा न हो. मंडी शहर के साथ लगते चडयारा गांव में एक दंपति ने अनूठी मिसाल पेश की है. दरअसल दंपति ने अपने 16 वर्षीय दिव्यांग बेटे के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया, बल्कि रिसर्च के लिए शव को मेडिकल कॉलेज नेरचौक को दान कर दिया. दंपति की इस पहल की हर ओर सराहना हो रही है, हर कोई उनकी हिम्मत और जब्जे को सलाम कर रहा है.

जन्म के साथ ही हुई थी कॉम्प्लिकेशन: चडयारा गांव के बलविंदर कुमार और मीनाक्षी ने बताया कि 2007 में उनके घर उनके बेटे वंश का जन्म हुआ था. जन्म के साथ ही उनके बेटे को कुछ कॉम्प्लिकेशन हो गई थी. उन्होंने हर संभव जगह अपने बेटे का इलाज करवाया, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद वंश की बीमारी का कुछ पता नहीं चल पाया. समय के साथ-साथ उन्हें मालूम हुआ कि उनका बेटा वंश न तो चल-फिर सकता है और न ही बोल सकता है. उन्होंने अपनी तरफ से वंश के पालन पोषण में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन वह ठीक नहीं हुआ.

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बेटे की मौत से गम में डूबा परिवार

शव दान करने का पहले से किया था फैसला: दिवंग्त वंश के पिता बलविंदर कुमार पेशे से शिक्षक हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें पहले ही बता रखा था कि वंश कभी भी दुनिया को अलविदा कह सकता है. ऐसे में उन्होंने और उनकी पत्नी मीनाक्षी ने पहले से ही ये तय कर रखा था कि वे अपने बेटे के शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे, बल्कि उसके शव को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर देंगे, ताकि डॉक्टर रिसर्च करके यह पता लगा सकें कि आखिर वंश को क्या दिक्कत थी और क्यों थी. जिससे भविष्य में दूसरे किसी बच्चे को ऐसी परेशानी न झेलनी पड़े.

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दिवंगत वंश की बच्चपन में माता-पिता के साथ तस्वीर

दंपति की रिश्तेदारों ने भी की सराहना: बलविंदर कुमार ने बताया कि बीते शनिवार को जब वंश की तबीयत बिगड़ी और उसे मेडिकल कॉलेज नेरचौक ले जाया गया तो, वहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद परिवार ने वहीं पर अपने बेटे के शव को दान कर दिया. दिवंग्त वंश का एक छोटा भाई भी है जो 14 साल का है और नौंवी कक्षा में पढ़ता है. वहीं, बलविंदर कुमार और मीनाक्षी के इस सराहनीय कदम की सभी रिश्तेदार भी तारीफ कर रहे हैं. दिवंग्त वंश के मामा और चाचा ने इसे बेहतरीन कदम बताया. जिससे आगे चलकर बहुत से बच्चों को इसका लाभ मिलेगा और उन बच्चों को इस तकलीफ से नहीं गुजरना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें: Mandi Accident News: ओवरटेक करते हुए ASP की गाड़ी ने स्कूटी सवार को मारी टक्कर, CCTV वीडियो आया सामने

ये भी पढ़ें: वंदे भारत ट्रेन की चपेट में आकर मां और दो बेटियों की मौत, बंद रेलवे फाटक पार करते समय हादसा

16 साल के बेटे ने तोड़ा दम तो मां-बाप ने मेडिकल कॉलेज को दान की बॉडी,

मंडी: दिल पर पत्थर रखकर एक दंपति ने अपने कलेजे के टुकड़े के शव का मोह छोड़ उसे रिसर्च के लिए दान कर दिया, ताकि भविष्य में किसी ओर बच्चे के साथ ऐसा न हो. मंडी शहर के साथ लगते चडयारा गांव में एक दंपति ने अनूठी मिसाल पेश की है. दरअसल दंपति ने अपने 16 वर्षीय दिव्यांग बेटे के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया, बल्कि रिसर्च के लिए शव को मेडिकल कॉलेज नेरचौक को दान कर दिया. दंपति की इस पहल की हर ओर सराहना हो रही है, हर कोई उनकी हिम्मत और जब्जे को सलाम कर रहा है.

जन्म के साथ ही हुई थी कॉम्प्लिकेशन: चडयारा गांव के बलविंदर कुमार और मीनाक्षी ने बताया कि 2007 में उनके घर उनके बेटे वंश का जन्म हुआ था. जन्म के साथ ही उनके बेटे को कुछ कॉम्प्लिकेशन हो गई थी. उन्होंने हर संभव जगह अपने बेटे का इलाज करवाया, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद वंश की बीमारी का कुछ पता नहीं चल पाया. समय के साथ-साथ उन्हें मालूम हुआ कि उनका बेटा वंश न तो चल-फिर सकता है और न ही बोल सकता है. उन्होंने अपनी तरफ से वंश के पालन पोषण में कोई कमी नहीं छोड़ी, लेकिन वह ठीक नहीं हुआ.

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बेटे की मौत से गम में डूबा परिवार

शव दान करने का पहले से किया था फैसला: दिवंग्त वंश के पिता बलविंदर कुमार पेशे से शिक्षक हैं. उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें पहले ही बता रखा था कि वंश कभी भी दुनिया को अलविदा कह सकता है. ऐसे में उन्होंने और उनकी पत्नी मीनाक्षी ने पहले से ही ये तय कर रखा था कि वे अपने बेटे के शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे, बल्कि उसके शव को मेडिकल रिसर्च के लिए दान कर देंगे, ताकि डॉक्टर रिसर्च करके यह पता लगा सकें कि आखिर वंश को क्या दिक्कत थी और क्यों थी. जिससे भविष्य में दूसरे किसी बच्चे को ऐसी परेशानी न झेलनी पड़े.

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दिवंगत वंश की बच्चपन में माता-पिता के साथ तस्वीर

दंपति की रिश्तेदारों ने भी की सराहना: बलविंदर कुमार ने बताया कि बीते शनिवार को जब वंश की तबीयत बिगड़ी और उसे मेडिकल कॉलेज नेरचौक ले जाया गया तो, वहां पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. जिसके बाद परिवार ने वहीं पर अपने बेटे के शव को दान कर दिया. दिवंग्त वंश का एक छोटा भाई भी है जो 14 साल का है और नौंवी कक्षा में पढ़ता है. वहीं, बलविंदर कुमार और मीनाक्षी के इस सराहनीय कदम की सभी रिश्तेदार भी तारीफ कर रहे हैं. दिवंग्त वंश के मामा और चाचा ने इसे बेहतरीन कदम बताया. जिससे आगे चलकर बहुत से बच्चों को इसका लाभ मिलेगा और उन बच्चों को इस तकलीफ से नहीं गुजरना पड़ेगा.

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Last Updated : Oct 30, 2023, 3:29 PM IST
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