करसोग: प्रदेश में ऐसे कई मंदिर हैं, जो आज भी विज्ञान के लिए पहेली बने हुए हैं. उन्हीं मंदिरों में से एक है, जिला मंडी के करसोग का प्राचीन ममलेश्वर महादेव मंदिर. इस मंदिर में मौजूद एक अग्निकुंड हमेशा जलता रहता है. मान्यता है कि 5 हजार साल पहले पांडवों ने इस अग्निकुंड को जलाया था और तब से यह जल रहा है. कहा जाता है कि अग्निकुंड से निकलने वाली राख कभी कम या ज्यादा नहीं होती.
स्थानीय लोगों का मानना है कि अज्ञातवास के दौरान पूजा करने के लिए पांडवों ने इस अग्निकुंड को बनवाया था. कहा जाता है कि सावन के महीने में यहां पार्वती और शिव कमल पर बैठकर मंदिर में मौजूद रहते हैं.
5000 साल पुराना गेहूं का दाना
मंदिर परिसर में ऐसी कई चीजें मौजूद हैं, जो महाभारत काल से जुड़ी हुई है. उन्ही में से एक 5 हजार साल पुराना गेहूं का दाना है, जिसका वजन 250 ग्राम है. मान्यता है कि इसे पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान खाने के लिए उगाया था.
मलेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए पांच शिवलिंग का एक साथ मौजूद होना भी इस मंदिर को खास बनाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पांचों शिवलिंग खुदाई के दौरान मंदिर परिसर के क्षेत्र से निकले थे. केवल यही नहीं कई साल पहले मंदिर के पास कई शिवलिंग, शिव और विष्णु भगवान की मूर्तियां भी मिली थी. जो आज भी ममलेश्वर महादेव मंदिर में विध्यमान है.
मंदिर में रखा है भीम का ढोल
ममलेश्वर महादेव मंदिर में ऐसे कई साक्ष्य हैं जो महाभारत काल से जुड़े हुए हैं. उन्हीं में से एक मंदिर में मौजूद ढोल भी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस ढोल को अज्ञातवास के दौरान भीम ने बनवाया था. भीम खाली समय के दौरान इस ढोल को बजाया करते थे और वहां से जाते समय उन्होंने ये ढोल मंदिर में रख दिया था.
ममलेश्वर महादेव मंदिर में मौजूद इन चीजों की सच्चाई चाहे कुछ भी हो, लेकिन लोगों की इस मंदिर पर अटूट आस्था है. साल भर इस मंदिर में कई उत्सवों का आयोजन किया जाता है. पौराणिक काल से जुड़ा यह मंदिर आज भी कई रहस्यों से भरा हुआ है.
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