मंडी: प्रदेश के मंडी जिले में मानसून सीजन में मंडी जिल में आफत बनकर बरसी बारिश से जहां सैकड़ो लोगों को बेघर होना पड़ा है, वहीं, बाढ़ से कई किसान भी प्रभावित हुए हैं. प्रदेश का मिनी पंजाब कही जाने वाली बल्हघाटी भी इस बारिश से पूरी तरह जलमग्न हो गई थी. जिस कारण बल्हघाटी के किसानों के पास तो अब खेती करने के लिए जमीन तक नहीं बची है. ऐसे में किसान सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं.
दरअसल, बल्हघाटी के डडौर और स्योहली गांव के किसान कृष्णानंद, हंस राज, दुर्गा राम, संत राम और आलम राम ने बताया कि 12, 13 और 14 अगस्त को हुई भारी बारिश के कारण सुकेती खड्ड का जलस्तर बढ़ गया. इस खड्ड में बीबीएमबी प्रबंधन द्वारा भारी मात्रा में सिल्ट फेंकी गई थी. जब बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई तो यह सिल्ट और पत्थर जमीन कटाव करते हुए इनके खेतों में जा घुसे. आज आलम यह है कि हजारों बीघा जमीन बर्बाद हो चुका है. जबकि जो जमीन बची है, उसमें भारी मात्रा में सिल्ट और पत्थर भरे पड़े हैं. यह भूमि अब खेती करने लायक नहीं बची है. बता दें कि इस भूमि पर किसानों ने नकदी फसलें उगा रखी थी और उन्हें बाजार में बेचना था, लेकिन उससे पहले ही सारी फसलें सिल्ट और पत्थरों के नीचे दबकर बर्बाद हो गई हैं.
किसानों का यह भी आरोप है कि सरकार, विधायक और प्रशासन इनकी कोई सुध नहीं ले रहे हैं. इन्होंने अपने नुकसान के लिए बीबीएमबी प्रबंधन को जिम्मेवार ठहराया है. जिनके द्वारा सिल्ट छोड़े जाने के कारण किसानों का यह नुकसान हुआ है. इन्होंने मांग उठाई है कि सुकेती खड्ड का सही ढंग से चैनलाईजेशन किया जाए, ताकि भविष्य में इन्हें इस प्रकार की आपदा का सामना न करना पड़े. वहीं, जब इस बारे में कृषि विभाग मंडी उपनिदेशक राजेश डोकरा ने बताया कि मंडी जिला में बरसात के सीजन के दौरान विभाग को लगभग 63 करोड़ का नुकसान पहुंचा है. नुकसान की रिपोर्ट भी सरकार को भेज दी गई है, जिसके आधार पर मंडी जिला को 50 लाख की राशि मुआवजे के तौर पर स्वीकृत हो गई है. यह राशि जिला के सभी उपमंडलों में भेज दी गई है और जल्द ही किसानों के खाते में यह राशि पहुंच जाएगी.
बता दें कि मंडी जिला की बल्हघाटी में किसान मौसमी फसलों के अलावा बड़ी मात्रा में नकदी फसलों की भी खेती करते हैं. यहां पर बड़ी मात्रा में सब्जी उत्पादन होता है और इसकी सप्लाई प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों को भी जाती है, लेकिन इस बार की बरसात से किसानों की हजारों बीघा जमीन बर्बाद हो गई है. जिससे अब आने वाले समय में सब्जी के उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है.
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