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राजनीति की भेंट चढ़ रही करसोग की सब्जी मंडी, 6 साल से नहीं लग पाई बोली

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Published : Apr 3, 2019, 1:26 PM IST

79 लाख की लागत से बनी करसोग की सब्जी मंडी चढ़ रही राजनीति की भेंट. 6 साल से नहीं लग पाई बोली.

करसोग सब्जी मंडी

मंडी: लोकसभा चुनाव में वोट हथियाने के लिए कई तरह के प्रलोभन देने प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों को असल में किसानों के हितों से कोई सरोकार नहीं है. इसका बड़ा उदाहरण 79 लाख की लागत से तैयार करसोग की सब्जी मंडी है.

छह साल पहले जनता को समर्पित की गई सब्जी मंडी राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में सुनसान पड़ी है. करसोग सहित आसपास के किसानों को घर-द्वार अपने उत्पाद बेचने की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार ने साल 2011 में सब्जी मंडी का निर्माण कार्य शुरू किया था, जिसे 2013 में पूरा भी कर लिया गया था. हैरानी की बात है कि आठ दुकानों सहित ऑक्सशन यार्ड तैयार होने पर भी सब्जी मंडी में अभी बोली नहीं लगी है. ऐसे में किसानों में कांग्रेस और बीजेपी सरकार के प्रति खासी नाराजगी है.

फाइलों में धूल फांक रहा एस्टिमेट
सब्जी मंडी में बोली न लगने की वजह वैकल्पिक मार्ग का न होना है. पीडब्ल्यूडी ने मार्ग के निर्माण के लिए छह साल पहले 1.3 करोड़ का एस्टिमेट तैयार किया था. इसकी लागत अब करीब 2 करोड़ तक पहुंच गई है, जिसमें एक पुल का निर्माण कार्य भी शामिल था, लेकिन एपीएमसी मंडी के पास खर्च करने के लिए इतनी बड़ी राशि नहीं है.

मामले को फंडिंग के लिए सरकार को भेजा गया था, जिस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. ऐसे में सब्जी मंडी निर्माण पर खर्च हुई लाखों की राशि बर्बाद हो रही है. हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक आरके कौंडल का कहना है कि जल्द ही सब्जी मंडी के वैकल्पिक मार्ग का काम शुरू किया जाएगा.

मंडी: लोकसभा चुनाव में वोट हथियाने के लिए कई तरह के प्रलोभन देने प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दलों को असल में किसानों के हितों से कोई सरोकार नहीं है. इसका बड़ा उदाहरण 79 लाख की लागत से तैयार करसोग की सब्जी मंडी है.

छह साल पहले जनता को समर्पित की गई सब्जी मंडी राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में सुनसान पड़ी है. करसोग सहित आसपास के किसानों को घर-द्वार अपने उत्पाद बेचने की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार ने साल 2011 में सब्जी मंडी का निर्माण कार्य शुरू किया था, जिसे 2013 में पूरा भी कर लिया गया था. हैरानी की बात है कि आठ दुकानों सहित ऑक्सशन यार्ड तैयार होने पर भी सब्जी मंडी में अभी बोली नहीं लगी है. ऐसे में किसानों में कांग्रेस और बीजेपी सरकार के प्रति खासी नाराजगी है.

फाइलों में धूल फांक रहा एस्टिमेट
सब्जी मंडी में बोली न लगने की वजह वैकल्पिक मार्ग का न होना है. पीडब्ल्यूडी ने मार्ग के निर्माण के लिए छह साल पहले 1.3 करोड़ का एस्टिमेट तैयार किया था. इसकी लागत अब करीब 2 करोड़ तक पहुंच गई है, जिसमें एक पुल का निर्माण कार्य भी शामिल था, लेकिन एपीएमसी मंडी के पास खर्च करने के लिए इतनी बड़ी राशि नहीं है.

मामले को फंडिंग के लिए सरकार को भेजा गया था, जिस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. ऐसे में सब्जी मंडी निर्माण पर खर्च हुई लाखों की राशि बर्बाद हो रही है. हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक आरके कौंडल का कहना है कि जल्द ही सब्जी मंडी के वैकल्पिक मार्ग का काम शुरू किया जाएगा.


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From: rashmi raj <rashmiraj.51009@gmail.com>
Date: Wed, Apr 3, 2019, 11:58 AM
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To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


राजनीति की भेंट चढ़ी करसोग की सब्ज़ी मंडी
तीन सरकारें बदली मंडी नहीं लगी बोली
अब तक खर्च किये जा चुके  हैं 79 लाख 
करसोग
लोकसभा चुनाव में वोट  हथियाने को कई तरह के प्रलोभन देने वाले प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों को असल मे किसानों के हितों से कोई सरोकार ही नही है। इसका बड़ा उदाहरण  79 लाख की लागत से तैयार करसोग की सब्ज़ी मंडी है। 6 साल पहले जनता को समर्पित की गई सब्ज़ी मंडी राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में सुनसान पड़ी है। करसोग सहित आसपास के क्षेत्रों के किसानों को घरद्वार  अपने उत्पाद बेचने की सुविधा मिले इसके लिए सरकार ने वर्ष 2011 में सब्जी मंडी का निर्माण कार्य शुरू किया था, जिसे  2013 में पूरा भी कर लिया गया। हैरानी की बात है कि आठ दुकानों सहित ऑक्सशन यार्ड तैयार होने पर भी सब्जी मंडी में अभी बोली नहीं लगी है, इस बीच प्रदेश में तीन सरकार भी बदल चुकी हैं। ऐसे में किसानों में  दोनों ही बड़े दलों की रही सरकारों के प्रति भारी नाराज़गी है। 
फाइलों में धूल फांक रहा एस्टिमेट:
सब्ज़ी मंडी में बोली न लगने का वजह वैकल्पिक मार्ग का न होना है। पीडब्ल्यूडी ने मार्ग के निर्माण के लिए 6 साल पहले 1.3 करोड़ का एस्टिमेट तैयार किया था। इसकी लागत अब करीब 2 करोड़ तक पहुँच गई है।  जिसमे एक पुल का निर्माण भी शामिल था, लेकिन एपीएमसी मंडी के पास खर्च करने के लिए इतनी बड़ी राशि नहीं है। इसलिए मामले को फंडिंग के लिए सरकार को भेजा गया। जिस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। ऐसे में सब्जी मंडी निर्माण पर खर्च हुई लाखों की राशि बर्बाद हो रही है। श्याम सिंह चौहान, पूर्ण चंद कौंडल, निक्काराम व बॉबी का कहना है सरकार की लापरवाही हज़ारों किसानों को दूर दराज की मंडियों में अपने उत्पाद बेचने को ले जाने पड़ रहे। इस कारण क्षेत्र में सब्जी मंडी होने के बाद भी किसानों का पैसा और समय दोनों ही बर्बाद हो रहा है। उन्होंने सरकार से जल्द सब्ज़ी मंडी में काम शुरू करने की मांग की है।
बीओडी की बैठक लाया जाएगा मामला,
हिमाचल प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक आरके कौंडल का कहना है कि जल्द ही सब्ज़ी मंडी के वैकल्पिक मार्ग का काम शुरू किया जाएगा। इसके लिए मामले को बीओडी की बैठक में लाया जाएगा। 

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