मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी(आईआईटी) के इनोवेटर्स ने एक नई तकनीक का आविष्कार किया है. इस तकनीक की मदद से दिमागी समस्याओं के साथ-साथ मस्तिष्क में नसों के कार्यों और रक्त प्रवाह में बदलाव का अध्ययन करना आसान होगा. इस तकनीक से दिमागी बीमारियों का जल्द पता चलेगा और इलाज भी समय पर संभव होगा.
मंडी के इनोवेटर्स ने नई तकनीक का किया आविष्कार
डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी, एसोसिएट प्रोफेसर, कम्प्युटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी के नेतृत्व में किए गए इस शोध के परिणाम आईईईई जर्नल ऑफ ट्रांसलेशनल इंजीनियरिंग इन हेल्थ एंड मेडिसिन में प्रकाशित किए गए. गौरतलब है कि टीम को इस आविष्कार के लिए हाल में यूएस पेटेंट भी मिल गया है. डॉ. रॉय चौधरी के इस शोध में सहयोगी हैं डॉ. अभिजीत दास, न्यूरोलॉजिस्ट, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेस, कोलकाता और डॉ. अनिर्बन दत्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, रेस्टोरेटिव न्यूरोरिहैबलिटेशन, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग, बफलो विश्वविद्यालय, अमेरिका.
आविष्कार के लिए मिल चुका है यूएस पेटेंट
यह शोध एसोसिएट प्रोफेसर, कंप्यूटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी डॉ. शुभजीत रॉय चौधरी के नेतृत्व में किया गया है. इसके परिणाम आईईईई जर्नल ऑफ ट्रांसलेशनल इंजीनियरिंग इन हेल्थ एंड मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं. इस शोध में डॉ. अभिजीत दास, न्यूरोलॉजिस्ट, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस, कोलकाता और डॉ. अनिर्बन दत्ता, एसोसिएट प्रोफेसर, रेस्टोरेटिव न्यूरो रिहैबलिटेशन, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग, बफलो विश्वविद्यालय, अमेरिका ने भी मदद की है. इस आविष्कार के लिए हाल में यूएस पेटेंट भी मिल गया है.
बीमारियों की रोकथाम के लिए जरूरी
आईआईटी मंडी टीम के आविष्कार का आधार यह तथ्य है कि नर्व की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) और रक्त वाहिकाओं (वास्कुलेचर) जिसे न्यूरोवस्कुलर कपलिंग (एनवीसी) कहा जाता है. उनके बीच जटिल परस्पर प्रतिक्रियाएं होती हैं, जिससे मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह नियंत्रित होता है. इस्केमिक स्ट्रोक जैसी बीमारियों का एनवीसी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. न्यूरोवस्कुलर अनकपलिंग के चलते ऐसे मामले होते हैं जिनमें नर्व के इम्पल्स रक्त प्रवाह का संचार नहीं कर पाते हैं. इसलिए एनवीसी का समय से पता लगना ऐसी बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है.
लक्षण से पहले ही बीमारी होने का होगा पूर्वानुमान
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस तकनीक से नसों के कार्य और मस्तिष्क के रक्त संचार का एक साथ आकलन करने से स्ट्रोक और उच्च रक्तचाप के मामलों में तुरंत उपचार का निर्णय लेना आसान होगा. यह डिवाइस पार्किंसंस जैसी बीमारियों के बढ़ने की गति समझने में भी मदद करेगा और लक्षण प्रकट होने से पहले इन बीमारियों के होने का पूर्वानुमान भी दे सकता है. इस विधि में मल्टी मोडल ब्रेन स्टिमुलेशन सिस्टम का उपयोग किया गया है.
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