मंडी: देवभूमि हिमाचल में देव समाज का अहम स्थान माना जाता है. बहुत सी ऐसी परंपराएं है जो सदियों से चली आ रही है और आज भी उनका निर्वहन हो रहा है. ऐसी ही एक मान्यता उत्तरसाल टिहरी के प्रमुख देव आदि ब्रम्हा को लेकर है. उन्हें मंडी शहर का रक्षक माना जाता है.
देवता का मूल स्थान मंडी से करीब 40 किलोमीटर दूर है. देव शिवरात्रि महोत्सव के दौरान मंडी तक पैदल रास्ता तय कर पहुंचते हैं. देव रथ के साथ 300 कारदार शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते हैं. देवता राजदेवता माधव राय मंदिर में मिलन के पश्चात पड्डल मैदान में मेले की शोभा बढ़ाते हैं.
ईटीवी भारत हिमाचल से विशेष बातचीत में देव आदि ब्रह्मा के कारदार झाबे राम ने बताया कि सदियों से चली आ रही परंपरा को आज भी निभाया जाता है. राजाओं के दौर में जब मंडी शहर में महामारी फैली थी तो देव आदि ब्रह्मा ने सुरक्षा कवच मंडी शहर को प्रदान किया था. आज भी अपने मूल स्थान पर प्रस्थान करने से पहले देवता शिवरात्रि महोत्सव के दौरान अंतिम दिन मंडी शहर को सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं. इस प्रक्रिया को स्थानीय भाषा में कार बांधना कहा जाता है.
किंवदंती है कि शहर में एक राक्षस हर रोज एक व्यक्ति को अपना शिकार बनाता था. इससे दुखी होकर राजा ने देवता से शहर की सुरक्षा करने की प्रार्थना की. तब से लेकर आज तक देवता हर वर्ष मेले के समय मंडी शहर में सुरक्षा कार बांधते आए हैं.
गौर रहे कि हिमाचल में आयोजित होने वाले करीब सभी मेलों में देवताओं का प्रमुख स्थान हैं. देव आदि ब्रह्मा मंडी शिवरात्रि महोत्सव की शोभा बढ़ाने के साथ लोगों को कवच भी प्रदान करते हैं. देवभूमि के हर देवी देवता की अपनी एक अलग कहानी और मान्यताएं हैं. रियासतों के दौर से ही देवी देवता जिम्मेदारियों का निर्वहन करते आ रहे हैं.