करसोग/मंडी: हिमाचल प्रदेश में जिला मंडी के करसोग से किसान नेकराम शर्मा को वीरवार को मंडी में जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. करसोग के नांज गांव के नेकराम शर्मा नौ-अनाज की पारंपरिक खेती से जुड़े हैं और वे 59 वर्ष के हैं. वे नौ-अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित कर रहे हैं. पद्मश्री मिलने के बाद उन्होंने इस पुरस्कार के लिए सरकार का आभार व्यक्त किया
पारंपरिक खेती को देंगे और बढ़ावा- पद्मश्री नेकराम शर्मा इस पुरस्कार को पाकर काफी खुश हैं. नेकराम शर्मा ने कहा कि उन्होंने पारंपरिक खेती के क्षेत्र में ही कार्य किया है जिसके लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से पुरस्कृत किया गया. उन्होंने कहा कि अब वे पारंपरिक खेती को और अधिक बढ़ावा देंगे और अन्य लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करेंगे. नेकराम शर्मा ने कहा कि वे नौ-अनाज की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित कर रहे हैं. इस पुरस्कार ने उनकी काम के प्रति और जिम्मेदारी बढ़ा दी है.
बच्चों को दिया जाना चाहिए बढ़ावा- उन्होंने कहा कि वे पहले जहां दिन के 14 घंटे इस पर कार्य करते थे अब वे अब 18 घंटे कार्य करेंगे. नेकराम ने कहा कि खेतो में रासायनिक खाद का उपयोग करना बंद करना अत्यधिक आवश्यकता है. सरकार को जैविक खेती को शामिल करने के तरीके खोजने का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि जैविक खेती को और बढ़ावा दिया जाना चाहिए और बच्चों को स्कूलों से इस स्तर पर शिक्षित किया जाना चाहिए.
1980 से कर रहे पारंपरिक खेती- उन्होंने कहा कि वे 1980 से पारंपरिक खेती कर रहे हैं. वे पहले कीटनाशकों का इस्तेमाल करता थे लेकिन अब चीजें बदल गई हैं. वे अनार की खेती करते है. उन्होंने कहा कि जंगली कीट कभी भी हानिकारक नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें मारा नहीं जाना चाहिए. कीट से खेती को कोई नुकसान न हो इसके लिए एक तरीका खोजना गया है. इनके लिए एक विशेष मिश्रण बनाया गया है. जिससे आज उनके अनार का खेत कीट मुक्त है.
वर्ष 2023 अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित- करसोग के किसान नेकराम शर्मा ने इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023 की सराहना करते हुए कहा कि इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स की घोषणा के बाद लोग जागरूक हुए हैं. लोग अजैविक खेती कर बहुत सारी बीमारियां पैदा कर रहे हैं. इसलिए सभी किसान और बागवानों को जैविक खेती अपनाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव का नेतृत्व किया और भारत के प्रस्ताव को 72 देशों ने समर्थन दिया.
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