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सुंदरनगर में मछुआरों को लॉकडाउन में नहीं मिली मदद, सरकार से लगाई मदद की गुहार

सुंदरनगर में मछुआरों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई. मछुआरों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान कोई मदद नहीं मिली. अब मछलियों के प्रजनन का समय शुरू होने से नदी-नालों में प्रतिबंध लग गया है. ऐसे में परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. वहीं, संबंधित विभाग के अधिकारियों का कहना है लाइसेंस शुदा तो हैं, लेकिन वह असंगठित हैं. सरकार उनसे किसी प्रकार की रॉयल्टी नहीं लेती है.

Fishermen in Sundernagar
मछुआरों को लॉकडाउन में नहीं मिली मदद.
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Published : Jul 17, 2020, 5:15 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 5:48 PM IST

सुंदरनगर: मंडी जिले में नदी-नालों में मछली पकड़ने वाले मछुआरों को रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है. कोरोना संकट काल में मछुआरों का काम लाॅकडाउन के चलते बंद रहा, अब मछलियों के प्रजनन का समय शुरू होने के चलते मत्स्य आखेट पर अगस्त महीने तक प्रतिबंध लग गया. जिले के बल्ह घाटी के सोयरा गांव में सिर्फ मछली पकड़कर अपने परिवार का पेट पालने वाले कई परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बल्ह के बालकराम ने बताया कि लाॅकडाउन में भी कोई सहायता या राहत राशि नहीं दी गई औप ना ही उन्हें मछली पकड़ने के लिए जाल बनाने के लिए विभाग की तरफ से धागा दिया गया. जिसके कारण उन्हें जाल बनाने सहित आदि सामानों के लिए जेब से पैसा खर्चना पड़ा. उन्होंने बताया कि सभी लाइसेंस धारक हैं, लेकिन कोरोना संकट काल में सरकार और प्रशासन से कोई राहत नहीं मिली. अब मीडिया के माध्यस से मदद की गुहार लगाई. साथ ही रेजर वायर के मछुआरों के सामान राहत पैकेज देने की सरकार से मांग की. इनके परिवारों पर आए रोजी-रोटी के संकट का टाला जा सके.

वीडियो.

वहीं, जब इस बारे में मत्स्य विभाग मंडी मंडल के सहायक निदेशक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि किसी भी आपादा की स्थिति में मुआवजे का प्रावधान केवल रेजर वायर/बांध में पंजीकृत मछुआरों को हैं. मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक खेम सिंह ठाकुर ने बताया कि नदी नालों में मछली मछली पकड़ने वाले मछुआरे लाइसेंस शुदा तो हैं, लेकिन वह असंगठित हैं. सरकार उनसे किसी प्रकार की रॉयल्टी नहीं लेती है. जिसके चलते इन्हें मुआवजे की राशि नहीं मिल सकती.

उन्होंने बताया कि ऐसे मछुआरों के लिए बीमा सुविधा दी गई जिसका मछुआरे और मछली पालन से जुड़े लोग लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे मछुआरों का मामला उनके और विभाग के ध्यान में है, लेकिन इनके लिए अभी तक सरकार की तरफ से किसी प्रकार की सहयता उपलब्ध नहीं हुई हैं.

ये भी पढ़ें : करसोग नगर पंचायत में नहीं रहना चाहते हैं ममेल वार्ड के लोग, DC मंडी को भेजी आपत्तियां

सुंदरनगर: मंडी जिले में नदी-नालों में मछली पकड़ने वाले मछुआरों को रोजी-रोटी की चिंता सताने लगी है. कोरोना संकट काल में मछुआरों का काम लाॅकडाउन के चलते बंद रहा, अब मछलियों के प्रजनन का समय शुरू होने के चलते मत्स्य आखेट पर अगस्त महीने तक प्रतिबंध लग गया. जिले के बल्ह घाटी के सोयरा गांव में सिर्फ मछली पकड़कर अपने परिवार का पेट पालने वाले कई परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

बल्ह के बालकराम ने बताया कि लाॅकडाउन में भी कोई सहायता या राहत राशि नहीं दी गई औप ना ही उन्हें मछली पकड़ने के लिए जाल बनाने के लिए विभाग की तरफ से धागा दिया गया. जिसके कारण उन्हें जाल बनाने सहित आदि सामानों के लिए जेब से पैसा खर्चना पड़ा. उन्होंने बताया कि सभी लाइसेंस धारक हैं, लेकिन कोरोना संकट काल में सरकार और प्रशासन से कोई राहत नहीं मिली. अब मीडिया के माध्यस से मदद की गुहार लगाई. साथ ही रेजर वायर के मछुआरों के सामान राहत पैकेज देने की सरकार से मांग की. इनके परिवारों पर आए रोजी-रोटी के संकट का टाला जा सके.

वीडियो.

वहीं, जब इस बारे में मत्स्य विभाग मंडी मंडल के सहायक निदेशक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि किसी भी आपादा की स्थिति में मुआवजे का प्रावधान केवल रेजर वायर/बांध में पंजीकृत मछुआरों को हैं. मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक खेम सिंह ठाकुर ने बताया कि नदी नालों में मछली मछली पकड़ने वाले मछुआरे लाइसेंस शुदा तो हैं, लेकिन वह असंगठित हैं. सरकार उनसे किसी प्रकार की रॉयल्टी नहीं लेती है. जिसके चलते इन्हें मुआवजे की राशि नहीं मिल सकती.

उन्होंने बताया कि ऐसे मछुआरों के लिए बीमा सुविधा दी गई जिसका मछुआरे और मछली पालन से जुड़े लोग लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे मछुआरों का मामला उनके और विभाग के ध्यान में है, लेकिन इनके लिए अभी तक सरकार की तरफ से किसी प्रकार की सहयता उपलब्ध नहीं हुई हैं.

ये भी पढ़ें : करसोग नगर पंचायत में नहीं रहना चाहते हैं ममेल वार्ड के लोग, DC मंडी को भेजी आपत्तियां

Last Updated : Jul 17, 2020, 5:48 PM IST
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