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किसानों ने 750 रुपये किलो खरीदा बीज, अब 14 से 20 रुपये किलो बिक रही बीन - कीटनाशक दवा

करसोग में खरीफ सीजन में बीन ली जाने वाली प्रमुख नकदी फसल है. करसोग में किसानों ने फसल बिजाई के लिए खेत तैयार करने, बीज और खाद सहित कीटनाशक दवा के लिए बैंकों से लोन लिया है, लेकिन अब अच्छे दाम न मिलने से किसानों को किश्त निकालनी भी मुश्किल हो गई है.

बीन्स
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Published : Aug 28, 2021, 6:06 PM IST

Updated : Aug 28, 2021, 6:42 PM IST

करसोग/मंडी: देश सहित प्रदेश की मंडियों में बीन के अच्छे रेट नहीं मिलने से हजारों किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं. करसोग में खरीफ सीजन में बीन ली जाने वाली प्रमुख नकदी फसल है. किसानों ने 750 रुपये किलो बीज खरीद कर बीन की बिजाई की थी, लेकिन अब यही फसल मंडियों में सप्ताह भर से 14 से 20 रुपये किलो बिक रही है. जिससे किसानों को बीन की फसल पर किया गया खर्च निकलना भी मुश्किल हो गया है.

उपमंडल करसोग में किसानों ने फसल बिजाई के लिए खेत तैयार करने, बीज और खाद सहित कीटनाशक दवा के लिए बैंकों से लोन लिया है, लेकिन अब अच्छे दाम न मिलने से किसानों को किश्त निकालनी भी मुश्किल हो गई. वहीं, सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि बीज और दवाइयों की कीमत लगातार बढ़ रही है.

इसके अतिरिक्त कृषि पैदावार लेने पर भी खर्च बढ़ा है, जबकि मंडियों में पहुंचने पर किसानों को उत्पाद के अच्छे भाव नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में किसानों की आय भला कैसे दोगुनी होगी? किसानों का कहना है कि अगर सरकार सच में किसानों का फायदा चाहती है तो सब्जियों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाना चाहिए. ताकि किसानों का घर चलाने का सालभर का खर्च निकल सके.

वीडियो.

करसोग सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों में ली जाने वाली बीन की फसल देश की बड़ी मंडियों में भेजी जाती है. यहां से कलकत्ता सहित गुजरात, अहमदाबाद, और महाराष्ट्र की मंडियों में हिमाचल का बीन भेजा जाता है, लेकिन नासिक सहित अन्य राज्य की मंडियों में लोकल बीन आने की वजह से इस बार हिमाचल के बीन की डिमांड अभी कम है. आढ़तियों के मुताबिक बाहरी राज्य में लोकल बीन की फसल समाप्त होते ही अगले कुछ दिनों में बीन के भाव में तेजी आ सकती है.

प्रदेश आढ़ती संघ के प्रधान नाहर सिंह चौधरी का कहना है कि जिन बड़ी मंडियों में हिमाचल से बीन भेजी जाती है. इन राज्य में अभी लोकल बीन चल रही है. जिस वजह से अभी बीन के भाव कम है. उनका कहना है कि एक से डेढ़ सप्ताह में बाहरी राज्य में बीन खत्म हो जाएगी. इसके बाद प्रदेश बीन के रेट बढ़ सकते हैं.

वहीं, किसान युवराज शर्मा का कहना है कि किसानों ने 800 रुपये किलो तक बीन का बीज खरीदा है. इस पर खाद और दवाइयों सहित पैदावार पर आने वाली लागत अलग से है, जबकि मंडियों में किसानों को बीन का अच्छा भाव नहीं मिल रहा है. ऐसे में भला कैसे किसानों की आय दोगुनी होगी. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में कुछ सोचना चाहिए.

ये भी पढ़ें- ये नारेबाजी दिल्ली में चलती है यहां नहीं, ये सुनकर गुस्साए टिकैत ने कही ये बात

करसोग/मंडी: देश सहित प्रदेश की मंडियों में बीन के अच्छे रेट नहीं मिलने से हजारों किसानों के चेहरे मुरझा गए हैं. करसोग में खरीफ सीजन में बीन ली जाने वाली प्रमुख नकदी फसल है. किसानों ने 750 रुपये किलो बीज खरीद कर बीन की बिजाई की थी, लेकिन अब यही फसल मंडियों में सप्ताह भर से 14 से 20 रुपये किलो बिक रही है. जिससे किसानों को बीन की फसल पर किया गया खर्च निकलना भी मुश्किल हो गया है.

उपमंडल करसोग में किसानों ने फसल बिजाई के लिए खेत तैयार करने, बीज और खाद सहित कीटनाशक दवा के लिए बैंकों से लोन लिया है, लेकिन अब अच्छे दाम न मिलने से किसानों को किश्त निकालनी भी मुश्किल हो गई. वहीं, सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का दावा कर रही है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि बीज और दवाइयों की कीमत लगातार बढ़ रही है.

इसके अतिरिक्त कृषि पैदावार लेने पर भी खर्च बढ़ा है, जबकि मंडियों में पहुंचने पर किसानों को उत्पाद के अच्छे भाव नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में किसानों की आय भला कैसे दोगुनी होगी? किसानों का कहना है कि अगर सरकार सच में किसानों का फायदा चाहती है तो सब्जियों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाना चाहिए. ताकि किसानों का घर चलाने का सालभर का खर्च निकल सके.

वीडियो.

करसोग सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों में ली जाने वाली बीन की फसल देश की बड़ी मंडियों में भेजी जाती है. यहां से कलकत्ता सहित गुजरात, अहमदाबाद, और महाराष्ट्र की मंडियों में हिमाचल का बीन भेजा जाता है, लेकिन नासिक सहित अन्य राज्य की मंडियों में लोकल बीन आने की वजह से इस बार हिमाचल के बीन की डिमांड अभी कम है. आढ़तियों के मुताबिक बाहरी राज्य में लोकल बीन की फसल समाप्त होते ही अगले कुछ दिनों में बीन के भाव में तेजी आ सकती है.

प्रदेश आढ़ती संघ के प्रधान नाहर सिंह चौधरी का कहना है कि जिन बड़ी मंडियों में हिमाचल से बीन भेजी जाती है. इन राज्य में अभी लोकल बीन चल रही है. जिस वजह से अभी बीन के भाव कम है. उनका कहना है कि एक से डेढ़ सप्ताह में बाहरी राज्य में बीन खत्म हो जाएगी. इसके बाद प्रदेश बीन के रेट बढ़ सकते हैं.

वहीं, किसान युवराज शर्मा का कहना है कि किसानों ने 800 रुपये किलो तक बीन का बीज खरीदा है. इस पर खाद और दवाइयों सहित पैदावार पर आने वाली लागत अलग से है, जबकि मंडियों में किसानों को बीन का अच्छा भाव नहीं मिल रहा है. ऐसे में भला कैसे किसानों की आय दोगुनी होगी. उन्होंने कहा कि सरकार को इस बारे में कुछ सोचना चाहिए.

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Last Updated : Aug 28, 2021, 6:42 PM IST
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