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मंडी में बंदर पीड़क जंतु घोषित, 1 साल तक सरकार ने बंदरों को मारने की दी इजाजत - मंडी में बंदर

मंडी जिला की 10 तहसीलों के किसान अपनी निजी भूमि में फसलों को बचाने के लिए अगले एक साल तक बंदरों को मार सकते हैं. हिमाचल सरकार की ओर से इसके लिए इजाजत दे दी गई है. मंडी जिला की तहसील सुन्दरनगर, मंडी, चच्योट, थुनाग, करसोग, सरकाघाट, धर्मपुर, जोगिंद्रनगर, पघर व लडभड़ोल में बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है.

Monkey declared Vermin in Mandi
मंडी में बंदर पीड़क जंतु घोषित
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Published : May 28, 2020, 8:33 PM IST

मंडी: हिमाचल प्रदेश में बंदरों के बढ़ रहे आतंक को देखते हुए अब सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित किया है. इस घोषणा के बाद अब किसान अपनी फसलों की रक्षा करने के लिए बंदरों को मार सकते हैं, लेकिन किसान बंदरों को केवल अपनी निजी भूमि पर ही मार सकते हैं, जबकि वन भूमि में बंदरों के शिकार पर पाबंदी रहेगी.

हिमाचल सरकार के दिशा निर्देशों के बाद मंडी जिला में भी बंदरों को पीड़त जानवर घोषित किया गया है. मंडी जिला की 10 तहसीलों में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया गया है. जिसके तहत किसान अब फसल को नुकसान से बचाने के लिए बंदरों को मार सकते हैं.

वीडियो.

वन मंडल अधिकारी मंडी सुरेद्र सिंह कश्यप ने जानकारी देते हुए बताया कि बंदरों के आतंक को देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को इन्हें प्रदेश में वर्मिन घोषित करने का प्रस्ताव भेजा था. तर्क दिया गया था कि वन भूमि से बाहर भी बंदर काफी ज्यादा मात्रा में बढ़ गए हैं और वे लगातार प्रदेश के किसानों की उम्मीदों को उजाड़ रहे हैं. जिसके बाद सरकार ने प्रदेश में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया है.

मंडी जिला की तहसील सुन्दरनगर, मंडी, चच्योट, थुनाग, करसोग, सरकाघाट, धर्मपुर, जोगिंद्रनगर, पघर व लडभड़ोल में ही बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है. जबकि बाकि बची 7 तहसीलों व 10 उप तहसीलों को इसमें नहीं जोड़ा गया है.

वन मंडलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह कश्यप ने बताया कि मंडी की 10 तहसीलों में आगामी एक वर्ष तक बंदरों को मारने की परमीशन किसनों को दी गई है, लेकिन वन भूमि पर बंदरों को नहीं मारा जा सकता है. रीसस मकाक श्रेणी के बंदरों को आने वाले समय में फसलों को बचाने के लिए मारा जा सकता है.

पढ़ें: हिमाचल बीजेपी अध्यक्ष के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के हाथ लगा 'बटेर'

मंडी: हिमाचल प्रदेश में बंदरों के बढ़ रहे आतंक को देखते हुए अब सरकार ने बंदरों को वर्मिन घोषित किया है. इस घोषणा के बाद अब किसान अपनी फसलों की रक्षा करने के लिए बंदरों को मार सकते हैं, लेकिन किसान बंदरों को केवल अपनी निजी भूमि पर ही मार सकते हैं, जबकि वन भूमि में बंदरों के शिकार पर पाबंदी रहेगी.

हिमाचल सरकार के दिशा निर्देशों के बाद मंडी जिला में भी बंदरों को पीड़त जानवर घोषित किया गया है. मंडी जिला की 10 तहसीलों में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया गया है. जिसके तहत किसान अब फसल को नुकसान से बचाने के लिए बंदरों को मार सकते हैं.

वीडियो.

वन मंडल अधिकारी मंडी सुरेद्र सिंह कश्यप ने जानकारी देते हुए बताया कि बंदरों के आतंक को देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को इन्हें प्रदेश में वर्मिन घोषित करने का प्रस्ताव भेजा था. तर्क दिया गया था कि वन भूमि से बाहर भी बंदर काफी ज्यादा मात्रा में बढ़ गए हैं और वे लगातार प्रदेश के किसानों की उम्मीदों को उजाड़ रहे हैं. जिसके बाद सरकार ने प्रदेश में बंदरों को वर्मिन घोषित कर दिया है.

मंडी जिला की तहसील सुन्दरनगर, मंडी, चच्योट, थुनाग, करसोग, सरकाघाट, धर्मपुर, जोगिंद्रनगर, पघर व लडभड़ोल में ही बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया है. जबकि बाकि बची 7 तहसीलों व 10 उप तहसीलों को इसमें नहीं जोड़ा गया है.

वन मंडलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह कश्यप ने बताया कि मंडी की 10 तहसीलों में आगामी एक वर्ष तक बंदरों को मारने की परमीशन किसनों को दी गई है, लेकिन वन भूमि पर बंदरों को नहीं मारा जा सकता है. रीसस मकाक श्रेणी के बंदरों को आने वाले समय में फसलों को बचाने के लिए मारा जा सकता है.

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