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मंडीः आखिर कब शुरू होगा कोरोना मरीजों के लिए फैब्रिकेटेड अस्पताल?

लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक में बन रहे कोरोना मरीजों के लिए फैब्रिकेटेड अस्पताल का काम पूरा होने में देरी हो रही है. इस पर एमएस डॉ. जीवानंद चौहान ने बताया कि निर्माण कार्य की रोजाना मॉनिटरिंग की जा रही है और 30 अप्रैल तक कार्य पूरा होने की संभावना है. उन्होंने माना कि निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ और इसे पूरा करने में भी समय लग रहा है.

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Published : Apr 25, 2021, 6:02 PM IST

सुंदरनगर/मंडीः देश-प्रदेश में जिस रफ्तार से कोरोना का कहर बढ़ता रहा है उस रफ्तार से नेरचौक में बन रहे कोरोना मरीजों के लिए फैब्रिकेटेड अस्पताल का काम पूरा होने में देरी हो रही है. राज्य सरकार ने प्रदेश के 4 स्थानों पर कोरोना मरीजों के लिए फैब्रिकेटेड अस्पताल बनाने का निर्णय लिया था.

इसमें से नालागढ़, शिमला और कांगड़ा जिलों में फैब्रिकेटेड अस्पताल बनकर तैयार हो गए हैं जबकि सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिला में बन रहे अस्पताल का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. यहां 6 करोड़ की लागत से 108 बिस्तरों की सुविधा वाले फैब्रिकेटेड अस्पताल का निर्माण अभी भी 50 से 60 फीसदी ही हो पाया है. यह काम सीबीआरआई रुड़की को दिसंबर 2020 में दिया गया था.

वीडियो.

धीमे कार्य होने पर सीएम ने जाहिर की नाराजगी

पहले निर्माण कार्य पूरा करने की तारीख 31 मार्च तय की गई थी. 5 अप्रैल को सीएम जयराम ठाकुर ने यहां औचक निरीक्षण करके धीमी गति से निर्माण कार्य पर नाराजगी जाहिर की थी, जिसके बाद कंपनी ने 15 अप्रैल तक काम पूरा करने का आश्वासन दिया था. अब 30 अप्रैल अंतिम तारीख रखी गई है लेकिन धरातल का काम देखकर ऐसा नहीं लग रहा कि इस बार भी निर्माण कार्य समय पर पूरा हो पाएगा.

30 अप्रैल तक कार्य पूरा होने की संभावना

लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक के एमएस डॉ. जीवानंद चौहान ने बताया कि निर्माण कार्य की रोजाना मॉनिटरिंग की जा रही है और 30 अप्रैल तक कार्य पूरा होने की संभावना है. उन्होंने माना कि निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ और इसे पूरा करने में भी समय लग रहा है.

फैब्रिकेटेड कोरोना अस्पताल में ये होंगी सुविधाएं

इस फैब्रिकेटेड कोरोना अस्पताल में 5 हॉल होंगे, जिनमें से 4 हॉल सिर्फ वार्ड के रूप में इस्तेमाल होंगे और यहां मरीजों को रखा जाएगा, जिनमें कुल 108 बिस्तर लगाए जाएंगे. 24 बिस्तरों का एक वार्ड ऐसा होगा जहां पर हर बिस्तर के साथ वेंटिलेटर लगा होगा जबकि बाकी बिस्तरों के साथ ऑक्सीजन की सुविधा होगी. वहीं, कोविड मरीजों के लिए अलग से ऑपरेशन थिएटर और लेबर रूम क निर्माण भी किया जा रहा है. अस्पताल में 22 डॉक्टर, 70 नर्स और 30 वॉर्ड बॉय रोटेशन में तैनात रहेंगे.

फैब्रिकेटेड अस्पताल का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने की मांग

वहीं, स्थानीय लोगों ने निर्माण कार्य में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की है कि यदि इस अस्पताल का निर्माण पहले हो गया होता तो शायद मेडिकल कॉलेज नेरचौक को फैब्रिकेटेड कोविड अस्पताल में अभी नहीं बदला जाता. मेडिकल कॉलेज की ओपीडी सामान्य रोगियों के लिए बंद होने और कोविड अस्पताल के निर्माण कार्य में देरी होने से लगों में भारी आक्रोश है. स्थानीय निवासियों ने इसे जल्द पूरा करने की मांग उठाई है.

गौर रहे कि मंडी जिला में बढ़ रहे कोरोना मामलों को लेकर मरीजों को जो परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं उसकी कुछ तस्वीरें हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई हैं. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि विशेष वर्ग के मरीजों के लिए प्रदान की जाने वाली सुविधा को जल्द से जल्द मुहैया करवाया जाए, ताकि उन्हें बेहतर उपचार मिल सके.

पढ़ें- हिमाचल हाईकोर्ट का आदेश, अब जिला अदालतों में सिर्फ जरूरी मामलों की होगी सुनवाई

सुंदरनगर/मंडीः देश-प्रदेश में जिस रफ्तार से कोरोना का कहर बढ़ता रहा है उस रफ्तार से नेरचौक में बन रहे कोरोना मरीजों के लिए फैब्रिकेटेड अस्पताल का काम पूरा होने में देरी हो रही है. राज्य सरकार ने प्रदेश के 4 स्थानों पर कोरोना मरीजों के लिए फैब्रिकेटेड अस्पताल बनाने का निर्णय लिया था.

इसमें से नालागढ़, शिमला और कांगड़ा जिलों में फैब्रिकेटेड अस्पताल बनकर तैयार हो गए हैं जबकि सीएम जयराम ठाकुर के गृह जिला में बन रहे अस्पताल का काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. यहां 6 करोड़ की लागत से 108 बिस्तरों की सुविधा वाले फैब्रिकेटेड अस्पताल का निर्माण अभी भी 50 से 60 फीसदी ही हो पाया है. यह काम सीबीआरआई रुड़की को दिसंबर 2020 में दिया गया था.

वीडियो.

धीमे कार्य होने पर सीएम ने जाहिर की नाराजगी

पहले निर्माण कार्य पूरा करने की तारीख 31 मार्च तय की गई थी. 5 अप्रैल को सीएम जयराम ठाकुर ने यहां औचक निरीक्षण करके धीमी गति से निर्माण कार्य पर नाराजगी जाहिर की थी, जिसके बाद कंपनी ने 15 अप्रैल तक काम पूरा करने का आश्वासन दिया था. अब 30 अप्रैल अंतिम तारीख रखी गई है लेकिन धरातल का काम देखकर ऐसा नहीं लग रहा कि इस बार भी निर्माण कार्य समय पर पूरा हो पाएगा.

30 अप्रैल तक कार्य पूरा होने की संभावना

लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक के एमएस डॉ. जीवानंद चौहान ने बताया कि निर्माण कार्य की रोजाना मॉनिटरिंग की जा रही है और 30 अप्रैल तक कार्य पूरा होने की संभावना है. उन्होंने माना कि निर्माण कार्य देरी से शुरू हुआ और इसे पूरा करने में भी समय लग रहा है.

फैब्रिकेटेड कोरोना अस्पताल में ये होंगी सुविधाएं

इस फैब्रिकेटेड कोरोना अस्पताल में 5 हॉल होंगे, जिनमें से 4 हॉल सिर्फ वार्ड के रूप में इस्तेमाल होंगे और यहां मरीजों को रखा जाएगा, जिनमें कुल 108 बिस्तर लगाए जाएंगे. 24 बिस्तरों का एक वार्ड ऐसा होगा जहां पर हर बिस्तर के साथ वेंटिलेटर लगा होगा जबकि बाकी बिस्तरों के साथ ऑक्सीजन की सुविधा होगी. वहीं, कोविड मरीजों के लिए अलग से ऑपरेशन थिएटर और लेबर रूम क निर्माण भी किया जा रहा है. अस्पताल में 22 डॉक्टर, 70 नर्स और 30 वॉर्ड बॉय रोटेशन में तैनात रहेंगे.

फैब्रिकेटेड अस्पताल का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने की मांग

वहीं, स्थानीय लोगों ने निर्माण कार्य में हो रही देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की है कि यदि इस अस्पताल का निर्माण पहले हो गया होता तो शायद मेडिकल कॉलेज नेरचौक को फैब्रिकेटेड कोविड अस्पताल में अभी नहीं बदला जाता. मेडिकल कॉलेज की ओपीडी सामान्य रोगियों के लिए बंद होने और कोविड अस्पताल के निर्माण कार्य में देरी होने से लगों में भारी आक्रोश है. स्थानीय निवासियों ने इसे जल्द पूरा करने की मांग उठाई है.

गौर रहे कि मंडी जिला में बढ़ रहे कोरोना मामलों को लेकर मरीजों को जो परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं उसकी कुछ तस्वीरें हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल भी हुई हैं. ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि विशेष वर्ग के मरीजों के लिए प्रदान की जाने वाली सुविधा को जल्द से जल्द मुहैया करवाया जाए, ताकि उन्हें बेहतर उपचार मिल सके.

पढ़ें- हिमाचल हाईकोर्ट का आदेश, अब जिला अदालतों में सिर्फ जरूरी मामलों की होगी सुनवाई

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