मंडी: देश में कोविड-19 संक्रमण के इलाज में नेरचौक मेडिकल कॉलेज भी कोरोना प्लाज्मा थेरेपी तकनीक के क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा बनेगा. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने ब्लड प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 संक्रमित मरीजों के उपचार के ट्रायल की अनुमति दे दी है.आईसीएमआर ने इस क्लिनिकल ट्रायल में शामिल होने के लिए नेरचौक मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों को भी आमंत्रित किया है.
वहीं, प्लाज्मा थेरेपी का क्लिनिकल ट्रायल सफल होने पर कोरोना से ठीक हुए मरीजों के ब्लड प्लाज्मा से कोविड-19 रोग से पीड़ित अन्य मरीजों का उपचार बेहतर तरीके से किया जा सकेगा.
गुरुवार को इस संदर्भ में नेरचौक मेडिकल कॉलेज प्रबंधन बैठक करेगा और इस संदर्भ में चिकित्सा विशेषज्ञों की राय पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. नेरचौक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिसिंपल डॉ. रजनीश पठानिया ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने कहा कि चीन में प्लाज्मा थेरेपी की मदद से इलाज में सकात्मक नतीजे देखे गए हैं. माना जा रहा है कि प्लाज्मा थेरेपी तकनीक कोविड-19 संक्रमण के इलाज में उम्मीद की एक किरण हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज को यह मौका मिला है.
क्या है प्लाजमा थेरेपी
कोरोना वायरस से ठीक हुए व्यक्ति के शरीर से निकाले गए खून से कोरोना पीड़ित 4 अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है. प्लाज्मा थेरेपी सिस्टम किसी संक्रमण से उबर कर ठीक हुए मरीजों की धारणा पर काम करता है. इसमें ठीक हुए मरीजों के शरीर में वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाली प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाती हैं. इसके बाद उस वायरस से पीड़ित नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हुए मरीज का खून डालकर इन एंटीबॉडीज के जरिए नए मरीज के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म किया जा सकता है.
नेरचौक मेडिकल कॉलेज बना कोविड-19 अस्पताल
बता दें कि नेरचौक मेडिकल कॉलेज को सरकार की तरफ से कोविड-19 समर्पित अस्पताल बनाया गया है. वर्तमान में यहां केवल कोरोना से संबंधित संदिग्धों व मरीजों का उपचार किया जा रहा है. अब तक यहां 4 कोरोना मरीजों को ठीक किया गया है और यहां कोरोना संदिग्धों के सैंपल्स की जांच भी की जा रही है.