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हिमाचल में तेजी से फैल रही है ये भयानक बीमारी, जानें कैसे कर सकते हैं बचाव

विशेषज्ञों की मानें तो शुगर सिर्फ मीठे से होने वाला रोग नहीं है आरामपरस्त जीवनशैली, बेढंगी दिनचर्या, खानपान की आदतें भी इसका बड़ा कारण है. मधुमेह रोगियों को हर समय मौत का खतरा बना रहता है. प्रदेश में बढ़ रही गुर्दे की बीमारी हो या फिर दिल के दौरे पड़ने से हो रही मौतें, इसके पीछे मधुमेह एक बड़ा कारण है. ऐसे में मधुमेह रोग रोकने का बचाव ही एक मात्र साधन है.

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Published : Jun 6, 2019, 4:40 PM IST

करसोग: खानपान की बदलती आदतों व आरामपरस्त जीवन की चाह ने लोगों को मधुमेह (डायबिटीज) का शिकार बना दिया है. कुछ साल पहले तक शहरों की बीमारी समझे जाने वाली डायबिटीज से अब गांवों भी अछूते नहीं हैं. अकेले करसोग सिविल अस्पताल की बात करें तो यहां पिछली साल ओपीडी में 984 शुगर के मामले दर्ज हुए हैं. इसमें 4 रोगी टाइप वन और 980 रोगी टाइप टू के हैं. इसके अलावा डिस्पेंसरियों में जांच के दौरान सामने आए शुगर के रोगियों की संख्या अलग से है.

विशेषज्ञों की मानें तो शुगर सिर्फ मीठे से होने वाला रोग नहीं है आरामपरस्त जीवनशैली, बेढंगी दिनचर्या, खानपान की आदतें भी इसका बड़ा कारण है. मधुमेह रोगियों को हर समय मौत का खतरा बना रहता है. प्रदेश में बढ़ रही गुर्दे की बीमारी हो या फिर दिल के दौरे पड़ने से हो रही मौतें, इसके पीछे मधुमेह एक बड़ा कारण है. ऐसे में मधुमेह रोग रोकने का बचाव ही एक मात्र साधन है.

बीएमओ राकेश प्रताप, करसोग सिविल अस्पताल

करसोग सिविल अस्पताल के बीएमओ राकेश प्रताप का कहना है कि पिछले साल के रिकॉर्ड के मुताबिक इस वक्त हमारे अस्पताल करसोग में 1 हज़ार करीब मधुमेह रोगी हैं. इसमें टाइप वन और टाइप टू दोनों तरह के मधुमेह रोगी हैं. टाइप वन जिसमें इंसुलिन की कमी है और इन्हें इंजेक्शन लगाने पड़ रहे हैं. बाकी टाइप टू के मरीज इलाज ले रहे हैं. इनको निशुल्क दवाईयां दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि पहले शुगर की बीमारी शहरों में देखने को मिलती थी, आजकल के समय में खानपान की खराब आदतों के कारण गांवों में भी शुगर के मामले देखने को मिल रहे हैं.


ये हैं मधुमेह के लक्षण:
* ज्यादा पेशाब की शिकायत
* अधिक भूख लगना
* अधिक प्यास लगना
* वजन कम होना।
* हर समय सुस्ती फैलना
* शरीर में बार-बार फोड़े होना
* घाव का जल्द न भरना।
ये है मधुमेह के कारण:
* वंशानुगत
* गांव से शहर की तरफ लोगों का पलायन
* जंक फ़ूड व शीतल पेय का अत्याधिक सेवन
* गाड़ियों व लिफ्ट का अत्यधिक प्रयोग करना
* शारीरिक मेहनत कम करना
* मोटापा होना

ऐसे करें बचाव:
* वजन कम रखें
* नियमित तौर पर व्यायाम करना
* खानपान में तेल और घी कम प्रयोग
* चीनी का कम प्रयोग
* चिंता मुक्त रहना
* समय समय पर स्वास्थ्य जांच करवाना.

करसोग: खानपान की बदलती आदतों व आरामपरस्त जीवन की चाह ने लोगों को मधुमेह (डायबिटीज) का शिकार बना दिया है. कुछ साल पहले तक शहरों की बीमारी समझे जाने वाली डायबिटीज से अब गांवों भी अछूते नहीं हैं. अकेले करसोग सिविल अस्पताल की बात करें तो यहां पिछली साल ओपीडी में 984 शुगर के मामले दर्ज हुए हैं. इसमें 4 रोगी टाइप वन और 980 रोगी टाइप टू के हैं. इसके अलावा डिस्पेंसरियों में जांच के दौरान सामने आए शुगर के रोगियों की संख्या अलग से है.

विशेषज्ञों की मानें तो शुगर सिर्फ मीठे से होने वाला रोग नहीं है आरामपरस्त जीवनशैली, बेढंगी दिनचर्या, खानपान की आदतें भी इसका बड़ा कारण है. मधुमेह रोगियों को हर समय मौत का खतरा बना रहता है. प्रदेश में बढ़ रही गुर्दे की बीमारी हो या फिर दिल के दौरे पड़ने से हो रही मौतें, इसके पीछे मधुमेह एक बड़ा कारण है. ऐसे में मधुमेह रोग रोकने का बचाव ही एक मात्र साधन है.

बीएमओ राकेश प्रताप, करसोग सिविल अस्पताल

करसोग सिविल अस्पताल के बीएमओ राकेश प्रताप का कहना है कि पिछले साल के रिकॉर्ड के मुताबिक इस वक्त हमारे अस्पताल करसोग में 1 हज़ार करीब मधुमेह रोगी हैं. इसमें टाइप वन और टाइप टू दोनों तरह के मधुमेह रोगी हैं. टाइप वन जिसमें इंसुलिन की कमी है और इन्हें इंजेक्शन लगाने पड़ रहे हैं. बाकी टाइप टू के मरीज इलाज ले रहे हैं. इनको निशुल्क दवाईयां दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि पहले शुगर की बीमारी शहरों में देखने को मिलती थी, आजकल के समय में खानपान की खराब आदतों के कारण गांवों में भी शुगर के मामले देखने को मिल रहे हैं.


ये हैं मधुमेह के लक्षण:
* ज्यादा पेशाब की शिकायत
* अधिक भूख लगना
* अधिक प्यास लगना
* वजन कम होना।
* हर समय सुस्ती फैलना
* शरीर में बार-बार फोड़े होना
* घाव का जल्द न भरना।
ये है मधुमेह के कारण:
* वंशानुगत
* गांव से शहर की तरफ लोगों का पलायन
* जंक फ़ूड व शीतल पेय का अत्याधिक सेवन
* गाड़ियों व लिफ्ट का अत्यधिक प्रयोग करना
* शारीरिक मेहनत कम करना
* मोटापा होना

ऐसे करें बचाव:
* वजन कम रखें
* नियमित तौर पर व्यायाम करना
* खानपान में तेल और घी कम प्रयोग
* चीनी का कम प्रयोग
* चिंता मुक्त रहना
* समय समय पर स्वास्थ्य जांच करवाना.


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From: rashmi raj <rashmiraj.51009@gmail.com>
Date: Thu, Jun 6, 2019, 11:51 AM
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To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


खानपान ने बिगड़ा काम गांवों में पहुंचा मधुमेह

करसोग सिविल अस्पताल मे  शुगर के 1 हज़ार रोगियों की हुई पहचान।

करसोग

खानपान की बदलती आदतों व आरामपरस्त जीवन की चाह ने लोगों को मधुमेह (डायबिटीज) का शिकार बना दिया है। कुछ साल पहले तक शहरों की बीमारी समझे जाने वाली डायविटीज से अब गांवों भी अछूते नहीं हैं। इस तरह से मधुमेह रोग केवल साधन संपन्न लोगों है रोग ही नहीं रह गया है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। अकेले करसोग सिविल अस्पताल की बात करें तो यहां पिछली साल ओपीडी में 984 शुगर के मामले दर्ज हुए है। इसमें 4 रोगी टाइप वन और 980 रोगी टाइप टू के हैं। इसके अलावा डिस्पेंसरियों में जांच के दौरान सामने आए शुगर के रोगियों की संख्या अलग से है। विशेषज्ञों की मानें तो शुगर सिर्फ मीठे से होने वाला रोग नहीं है आरामपरस्त जीवनशैली, बेढंगी दिनचर्या, खानपान की आदतें भी इसका बड़ा कारण है। मधुमेह रोगियों को हर समय मौत का खतरा बना रहता है। प्रदेश में बढ़ रही गुर्दे की बीमारी हो या फिर दिल के दौरे पड़ने से हो रही मौतें, इसके पीछे मधुमेह एक बड़ा कारण है। ऐसे में मधुमेह रोग रोकने का बचाव ही एक मात्र साधन है। करसोग सिविल अस्पताल के बीएमओ राकेश प्रताप का कहना है कि पिछले साल के रिकॉर्ड के मुताबिक इस वक्त हमारे अस्पताल करसोग में 1 हज़ार करीब मधुमेह रोगी है। इसमें टाइप वन और टाइप टू दोनों तरह के मधुमेह रोगी है। टाइप वन जिसमें इंसुलिन की कमी है और इन्हें इंजेक्शन लगाने पड़ रहे हैं। बाकी टाइप टू के मरीज इलाज ले रहे है। इनको निशुल्क दवाईयां दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पहले शुगर की बीमारी शहरों में देखने को मिलती थी, आजकल के समय में खानपान की खराब आदतों के कारण गांवों में भी शुगर के मामले देखने को मिल रहे हैं। 
ये मधुमेह के लक्षण:
- ज्यादा पेशाब की शिकायत
-अधिक भूख लगना
-अधिक प्यास लगना
-वजन कम होना।
-हर समय सुस्ती फैलना।
-शरीर में बार-बार फोड़े होना।
-घाव का जल्द न भरना।
ये है मधुमेह के कारण:
-वंशानुगत
-गांव से शहर की तरफ लोगों का पलायन
-जंक फ़ूड व शीतल पेय का अत्याधिक सेवन।
-गाड़ियों व लिफ्ट का अत्यधिक प्रयोग करना।
- शारीरिक मेहनत कम करना।
-मोटापा होना
ऐसे करें बचाव:
-वजन कम रखें
-नियमित तौर पर व्यायाम करना।
-खानपान में तेल और घी कम प्रयोग
-चीनी का कम प्रयोग
-चिंता मुक्त रहना।
-समय समय पर स्वास्थ्य जांच करवाना।


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