मंडीः रजवाड़ा शाही खत्म होने के बाद पहली बार अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मंडी में देव खेल का आयोजन किया गया. देव खेल में चौहारघाटी के प्रमुख देवी देवताओं ने शिरकत की. देव खेल की अगवानी बड़ा देव हुरंग नारायण ने की.
देव खेल दैवीय शक्तियों के साथ संपर्क साधने की एक प्रक्रिया है, जिसमें भविष्य में होने वाली दुर्घटनाओं, आपात स्थितियों को रोकने का दैवीय प्रयास होता है. इस प्रक्रिया से बुरी शक्तियां भी दूर भागती है और आयोजन से मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं.
राजाओं के दौर में शिवरात्रि महोत्सव के दौरान देव खेल का आयोजन किया जाता था, लेकिन राजाओं का दौर खत्म होने के बाद जब ये मेला प्रशासन और सरकार के हाथ में गया तो देव खेल का आयोजन बंद कर दिया गया. एक बार फिर इसका आयोजन करीब सात दशक बाद किया गया. इस बार शिवरात्रि मेले में कई ऐसे आयोजन किए गए हैं जो रियासतों के दौर में किए जाते थे. जिसमें चोला नाटी भी शामिल है. वहीं, 1008 कन्याओं का पूजन भी पहली दफा शिवरात्रि महोत्सव में पिछले शनिवार को किया गया है.
इन प्रमुख देवी देवताओं के गुरों ने की शिरकत
ऐतिहासिक सेरी मंच पर करीब 10 बजे यह दैवीय कारज शुरू हुआ. चौहार घाटी के 10 देवी-देवता इसमें मौजूद रहे. जिसकी अगवानी बड़ा देव हुरंग नारायण ने की. देव पशाकोट, देव गेहरी, देव घड़ौनी, देव पेखरा गेहरी, देव दरुण गेहरी, देव त्रैलु गेहरी और भराड़ी भद्रकाली के गुरों ने शिरकत की.बड़ादेव हुरंग नारायण के गुर ने कहा कि देव खेल का आयोजन एक दैवीय कारज है. जिसमें बुरी शक्तियों को दूर भगाया जाता है और ईश्वर के साथ संपर्क साधा जाता है.