करसोग: कोरोना काल में पहले से ही त्रस्त किसानों पर मौसम की भी तगड़ी मार पड़ी है. करसोग में दो माह के लंबे सूखे के कारण किसानों की आधे से ज्यादा फसल खेतों में नष्ट हो गई है. इस तरह से किसानों को फसल पर आई लागत का मूल्य भी प्राप्त नहीं हो पाया है.
करसोग के अधिकतर क्षेत्रों में किसानों ने खरीफ सीजन में मक्की सहित धान व दालों की बिजाई की थी, लेकिन लंबे सूखे की वजह से किसानों की 50 फीसदी से अधिक फसल बर्बाद हो गई. इसके बाद जो कुछ फसल बची है, उस पर सूखे का साफ असर दिख रहा है.
वहीं, सरकार ने अभी तक फसलों को हुए नुकसान का आंकलन तक नहीं किया है. ऐसे में कोरोना महामारी के इस दौर में किसानों की कमर टूट गई है. इसको देखते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य परिषद ने सूखे से फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर किसानों को मुआवजा दिए जाने की मांग की है, ताकि अगली फसल आने तक किसानों को कुछ राहत मिल सके.
2000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर मक्की की बिजाई
करसोग उपमंडल में दो हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर मक्की की बिजाई की गई है. ऐसे में इस बार पहले से अधिक मक्की की पैदावार होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन मानसून सीजन में सामान्य से कम बारिश होने और लंबे चले आ रहे सूखे की वजह से किसानों की अच्छी पैदावार होने की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. मौसम की बेरुखी से दालों की उत्पादन पर भी असर पड़ा है.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राज्य परिषद सचिव श्याम सिंह चौहान का कहना है कि दो महीने से बारिश नहीं हो रही है, जिससे पूरा प्रदेश सूखे की चपेट में आ गया है. उन्होंने कहा कि किसानों की आधे से भी ज्यादा की फसल सूखे के कारण बर्बाद हो गई है. इसलिए नुकसान का तुरंत प्रभाव से आंकलन कर किसानों को मुआवजा दिया जाए.