मंडी: हिमाचल प्रदेश में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कोविड अस्तपाल के रूप में कार्य कर रहे लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक के आईसीयू में उपचाराधीन मरीज ठीक होने के बाद भी यहां से अपने घर जाने को तैयार नहीं हो रहे हैं. इस वजह से कॉलेज प्रबंधन भी परेशान हैं. इससे अन्य गंभीर मरीजों को उपचार देने में मुश्किल हो रही है.
मरीजों में कोरोना का भय
मेडिकल कॉलेज नेरचौक के एमएस डॉ. जीवानंद चौहान ने बताया कि आईसीयू में जो मरीज उपचाराधीन हैं, वो ठीक होने के बाद भी बेड नहीं छोड़ रहे हैं. इसके पीछे का मुख्य कारण उनके मन में बना हुआ डर है. डर के कारण ही संक्रमित लोग आईसीयू बेड को नहीं छोड़ रहे हैं.
आईसीयू बेड छोड़ने को तैयार नहीं मरीज
एमएस डॉ. जीवानंद चौहान बताया कि आईसीयू बेड की संख्या सीमित होती है और जब किसी कोरोना संक्रमित की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है तभी उसे आईसीयू में शिफ्ट किया जाता है. जब वह मरीज ठीक हो जाता है तो उसे छुट्टी देकर घर भेज दिया जाता है और होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी जाती है.
तीमारदारों से अनुरोध
एमएस ने ऐसे मरीजों और उनके तीमारदारों से अनुरोध किया है कि छुट्टी मिलने के बाद वे अपने घर पर रहें और नियमों का पालन करें. ताकि अन्य गंभीर मरीजों को भी बेहतर उपचार मिल सके.
मेडिकल कॉलेज में एम्बुलेंस की कमी
वहीं, दूसरी तरफ जिला के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की तरफ से डिस्चार्ज हो चुके मरीजों को घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस सुविधा भी काफी देरी से उपलब्ध करवाई जा रही है. इस कारण भी मरीज काफी लंबे समय तक यहीं पर रूकने को मजबूर हो रहे हैं.
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