मंडी: भाई-भतीजावाद और चहेतों को नौकरियां देने के आरोपों से घिरी आईआईटी मंडी पर एक बार फिर से नियमों को ताकपर रखकर काम करने का आरोप लगा है. इस बार आईआईटी मंडी के पूर्व निदेशक टीमोथी ए गोंजाल्विस को दी गई प्रोफेसर एमेरिटस ऑनरेरी की उपाधि पर विवाद खड़ा हुआ है.
आईआईटी मंडी के ही पूर्व कर्मचारी सुजीत स्वामी ने आरटीआई के माध्यम जानकारी जुटाकर इस बात का खुलासा किया है कि पूर्व निदेशक इस उपाधि के योग्य नहीं क्योंकि इसके लिए जो शर्तें और मापदंड तय किए गए हैं, उन्हें पूर्व निदेशक पूरा नहीं करते.
सुजीत स्वामी के अनुसार प्रो. टीमोथी ए गोंजाल्विस आईआईटी मद्रास के नियमित कर्मचारी रहे और वर्ष 2010 से 2020 तक आईआईटी मंडी के निदेशक रहे. आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार प्रो टीमोथी का यह कार्यकाल डेपुटेशन के तहत रहा न कि नियमित तौर पर था.
नियमनुसार यह उपाधि केवल आईआईटी मंडी के उस कर्मचारी को ही दी जा सकती है, जो आईआईटी मंडी से सेवानिवृत हुए एवं जिसने रेगुलर पोजिशन पर कम से कम 10 साल तक लगातार सर्विस प्रोफेसर के तहत सेवाएं दी हों. प्रो. टीमोथी आईआईटी मद्रास से जून 2019 में सेवानिवृत हो चुके थे, जबकि उनका कॉन्ट्रेक्ट आईआईटी मंडी में जारी रहा और वह यहां अपना कॉन्ट्रेक्ट पूरा करते रहे.
सुजीत स्वामी ने इस संदर्भ में मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन और आईआईटी मंडी की बीओजी यानी बोर्ड ऑफ गवर्नर को लिखित में शिकायत देकर, दी गयी उपाधि एवं सुविधाओं को वापस लेने की मांग उठाई है. वहीं, आईआईटी मंडी प्रबंधन ने इस संदर्भ में स्पष्टीकरण जारी करते हुए सुजीत स्वामी की तरफ से लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है और स्पष्ट किया है कि प्रो. टीमोथी ए गोंजाल्विस को नियमों के तहत की यह उपाधि दी गई है.
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