करसोग: सही डाइट न लेने और खराब लाइफस्टाइल का बुरा असर अब ग्रामीण क्षेत्रों में दिखने लगा है. खानपान की बदलती आदतों के कारण कुछ साल तक शहरों की बीमारी समझे जाने वाला ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या अब गांव में भी बढ़ने लगी है.
इसका खुलासा करसोग सिविल अस्पताल में के रिकॉर्ड में दर्ज आंकड़े से हुआ है. अकेले सिविल अस्पताल में पिछले साल 1700 बीपी के नये मामले पाये गये. ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार सामने आ रहे बीपी के मरीजों की संख्या का ये आंकड़ा इसलिए हैरान करने वाला है कि गांव में लोग खेतों में कठिन काम करते हैं. इसके बाद भी बीपी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
बीपी से बचना है तो ये करें
रोजाना कम-से-कम आधा घंटा कार्डियो एक्सरसाइज करें जैसे कि ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, साइकलिंग, स्विमिंग, एरोबिक्स, डांस आदि. हेल्दी डायट लें और सही लाइफस्टाइल फॉलो करें. डायट में हाई-फाइबर वाली चीजें शामिल करें, जैसे कि ज्वार, बाजरा, गेहूं, दलिया और स्प्राउट्स आदि. इसके अलावा रोजाना कम से कम 10 गिलास पानी पिएं. टेंशन, थकान और तनाव से दूर रहें. मूड हल्का रखने के लिए म्यूजिक सुनें या फिर डांस करें.
फास्ट फूड, मैगी, चिप्स, सॉस, चॉकलेट, सैचरेटेड फैट जैसे कि देसी घी, वनस्पति या फिर नारियल तेल खाने से बचें. डायट में नमक का बैलेंस बनाकर रखें. हाईबीपी की स्थिति में ज्यादा नमक खाने से बचें.
करसोग सिविल हॉस्पिटल के बीएमओ डॉ. राकेश प्रताप का कहना है कि गांव में खानपान की बदली आदतें बीपी के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार है. उनका कहना है कि लोग नमक, तेल और घी का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. इसके अतिरिक्त मानसिक परेशानी या फिर फैमिली हिस्ट्री के कारण भी बीपी का ज्यादा चांस रहता है.
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