करसोग/मंडी: कोरोना लॉकडाउन के चलते शहरों में लोग घरों की चार दीवारी में रहने को मजबूर हैं. वहीं, किसान खेतों और बगीचों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए पसीना बहा रहे हैं. करसोग के कामाक्षा गांव में किसान भूपेश शर्मा ने आधुनिक स्पर वैराइटी के खूबसूरत बगीचे में रसायन रहित मिश्रित खेती का प्रयोग शुरू किया है.
पहली बार सैंपल आने के साथ ही बगीचे में अब सब्जियों की मिश्रित खेती कर भूपेश शर्मा खेतों में दिन-रात कड़ी मेहनत कर रहे हैं. तपती तेज धूप में बहाए जा रहे पसीने का ही नतीजा है कि सेब के पौधों के बीच खाली पड़ी जगह अब सब्जियों की हरे-भरे पौधों से लहलहला रही है. प्राकृतिक तरीके से तैयार इस बगीचे में सब्जियों की फसल भी रासायनिक खाद व कीटनाशक के छिड़काव के बिना उगाई जा रही है.
सेब के बगीचे में ही सब्जियों की पैदावार लेने का ये प्रयोग क्षेत्र में कृषि योग्य कम भूमि मालिकों के लिए भी प्रेरणादायक है. किसान के प्रयोग से खेती पर आने वाली लागत भी घट गई है. ऐसे में भूपेश शर्मा के लिए हर तरह से ये खेती फायदे का सौदा साबित होने जा रही है. इससे सरकारी नौकरी के पीछे भागने वाले युवाओं को भी सीख लेने की जरूरत है.
भूपेश शर्मा का कहना है कि उसने स्पर वैराइटी का बगीचा तैयार किया है. लॉकडाउन के इन दिनों बगीचे में ही टमाटर सहित सब्जियों की मिश्रित फसलें ली जा रही हैं. उन्होंने कहा कि बगीचे और सब्जियों में रासायनिक खाद और जहरीले कीटनाशक का छिड़काव नहीं किया जा रहा है. इसके लिए घर में उपलब्ध संसधानों से प्राकृतिक तरीके से खाद और छिड़काव तैयार किया गया है.
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगे कर्फ्यू में किसानों को खेती की छूट देने पर भूपेश शर्मा ने सरकार के निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि सरकार की छूट की वजह से किसानों को खेतों में काम करने में परेशानी नहीं हो रही है. भूपेश ने भी इस छूट का फायदा उठाते हुए लॉकडाउन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए सेब के बगीचे में टमाटर सहित भिंडी, शिमला मिर्च और बीन की फसल लगाई है, जो एक से डेढ़ महीने में तैयार हो जाएगी. कामाक्षा में अधिक गर्मी पड़ने के कारण भूपेश शर्मा ने आधुनिक स्पर वैराइटी का जेरोमाइन गेल गाला का बगीचा तैयार किया है. जिसमें रासायनिक खाद सहित कीटनाशक का कोई छिड़काव नहीं किया जा रहा है.