करसोग\मंडी: आजादी के सात दशक बाद देश भले ही बुलेट ट्रेन दौड़ाने के सपने देख रहा हो, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी के करसोग में अल्याड़ गांव में आज भी मरीजों को पालकी में उठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है. इस गांव में सड़क सुविधा न होने के कारण मुख्यमार्ग से मरीज को घर तक ले जाने के लिए भी पालकी का सहारा लेना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने विभिन्न मंचों के माध्यम से सड़क सुविधा के लिए हर सरकार से मांग की है, लेकिन अभी तक ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हुई है.
पंचायत बिलिन्डी के अल्याड़ गांव में एक वृद्व महिला मटू देवी को आईजीएमसी से उपचार के बाद जब वापस घर लाया गया तो सड़क सुविधा न होने से मरीज को शिमला-करसोग मुख्यमार्ग पर गाड़ी से उतारने के बाद गांव के लोगों की सहायता से पालकी में बिठाकर घर ले जाना पड़ा.
बता दें कि मुख्य सड़क मार्ग से अल्याड़ गांव की दूरी करीब 3 किलोमीटर है. स्थानीय लोग पिछले 20 सालों से गांव के लिए सड़क मार्ग की मांग कर रहे हैं. दो दशकों में कई कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें बदलती रहीं, लेकिन अभी तक गांव के लिए सड़क निर्माण नहीं हो पाया.
करसोग लोक निर्माण विभाग डिवीजन के अधिशाषी अभियंता मान सिंह का कहना है कि सड़क के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं है. उनका कहना है कि अगर सड़क बजट की व्यवस्था होती है तो विभाग बिना देरी के निर्माण कार्य शुरू करेगा.