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आजादी के 7 दशक बाद भी करसोग के इस गांव में नहीं पहुंची सड़क, पालकी में मरीजों को पहुंचाना पड़ता अस्पताल - मंडी न्यूज

आजादी के 72 साल के बाद भी अल्याड़ गांव में नहीं पहुंची सड़क. मरीजों को पालकी में पहुंचाना पड़ता अस्पताल.

पालकी में वृद्व महिला को घर पहुंचाते लोग
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Published : Jun 16, 2019, 5:44 PM IST

Updated : Jun 16, 2019, 7:02 PM IST

करसोग\मंडी: आजादी के सात दशक बाद देश भले ही बुलेट ट्रेन दौड़ाने के सपने देख रहा हो, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी के करसोग में अल्याड़ गांव में आज भी मरीजों को पालकी में उठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है. इस गांव में सड़क सुविधा न होने के कारण मुख्यमार्ग से मरीज को घर तक ले जाने के लिए भी पालकी का सहारा लेना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने विभिन्न मंचों के माध्यम से सड़क सुविधा के लिए हर सरकार से मांग की है, लेकिन अभी तक ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हुई है.

पंचायत बिलिन्डी के अल्याड़ गांव में एक वृद्व महिला मटू देवी को आईजीएमसी से उपचार के बाद जब वापस घर लाया गया तो सड़क सुविधा न होने से मरीज को शिमला-करसोग मुख्यमार्ग पर गाड़ी से उतारने के बाद गांव के लोगों की सहायता से पालकी में बिठाकर घर ले जाना पड़ा.

बता दें कि मुख्य सड़क मार्ग से अल्याड़ गांव की दूरी करीब 3 किलोमीटर है. स्थानीय लोग पिछले 20 सालों से गांव के लिए सड़क मार्ग की मांग कर रहे हैं. दो दशकों में कई कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें बदलती रहीं, लेकिन अभी तक गांव के लिए सड़क निर्माण नहीं हो पाया.

करसोग लोक निर्माण विभाग डिवीजन के अधिशाषी अभियंता मान सिंह का कहना है कि सड़क के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं है. उनका कहना है कि अगर सड़क बजट की व्यवस्था होती है तो विभाग बिना देरी के निर्माण कार्य शुरू करेगा.

करसोग\मंडी: आजादी के सात दशक बाद देश भले ही बुलेट ट्रेन दौड़ाने के सपने देख रहा हो, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी के करसोग में अल्याड़ गांव में आज भी मरीजों को पालकी में उठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है. इस गांव में सड़क सुविधा न होने के कारण मुख्यमार्ग से मरीज को घर तक ले जाने के लिए भी पालकी का सहारा लेना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने विभिन्न मंचों के माध्यम से सड़क सुविधा के लिए हर सरकार से मांग की है, लेकिन अभी तक ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हुई है.

पंचायत बिलिन्डी के अल्याड़ गांव में एक वृद्व महिला मटू देवी को आईजीएमसी से उपचार के बाद जब वापस घर लाया गया तो सड़क सुविधा न होने से मरीज को शिमला-करसोग मुख्यमार्ग पर गाड़ी से उतारने के बाद गांव के लोगों की सहायता से पालकी में बिठाकर घर ले जाना पड़ा.

बता दें कि मुख्य सड़क मार्ग से अल्याड़ गांव की दूरी करीब 3 किलोमीटर है. स्थानीय लोग पिछले 20 सालों से गांव के लिए सड़क मार्ग की मांग कर रहे हैं. दो दशकों में कई कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें बदलती रहीं, लेकिन अभी तक गांव के लिए सड़क निर्माण नहीं हो पाया.

करसोग लोक निर्माण विभाग डिवीजन के अधिशाषी अभियंता मान सिंह का कहना है कि सड़क के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं है. उनका कहना है कि अगर सड़क बजट की व्यवस्था होती है तो विभाग बिना देरी के निर्माण कार्य शुरू करेगा.


---------- Forwarded message ---------
From: rashmi raj <rashmiraj.51009@gmail.com>
Date: Sun, Jun 16, 2019, 3:32 PM
Subject:
To: <rajneeshkumar@etvbharat.com>


ये है सीएम के जिले का हाल
आजादी के 7 दशक बाद भी मरीजों को पालकी में उठाकर मुख्यमार्ग तक लाना पड़ता है। लोग  इस मुद्दे को कई बार विभिन्न मंचों के माध्यम से सरकार के सामने उठा चुके है, लेकिन इस पर कोई भी सुनवाई नहीं हुई।
करसोग
आजादी के 7 दशक बाद देश भले ही पटरी पर बुलेट ट्रेन दौड़ाने के सपने देख रहा हो, लेकिन मुख्यमंत्री के जिला मंडी के करसोग में अल्याड़ गांव में आज भी मरीजों को पालकी में उठाकर अस्पताल पहुंचना पड़ रहा है। इस गांव के लिए सड़क सुविधा न होने के कारण मुख्यमार्ग से मरीज को फिर घर तक ले जाने के लिए भी पालकी का सहारा लेना पड़ रहा हैं , ऐसा नहीं कि यहां की जनता ने इस पर कोई ध्यान न दिया हो, स्थानीय लोग विभिन्न मंचों के माध्यम इस मांग को कई बार सरकार से उठा चुके हैं, लेकिन अभी तक कहीं पर भी कोई सुनवाई नही हुई है। 
इस गांव में ऐसा ही एक वाक्या इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। पंचायत बिलिन्डी के अल्याड़ गांव की कहानी को एक तस्वीर बयां कर रही है। यहां  मटू देवी को आईजीएमसी से उपचार के बाद जब वापिस घर लाया गया तो सड़क सुविधा न होने से  मरीज को शिमला करसोग मुख्यमार्ग पर गाड़ी से उतारने के बाद गांव के लोगों की सहायता से पालकी में बिठाकर घर ले जाना पड़ा। इस कार्य में घर परिवार की महिलाओं ने भी सहयोग किया। यही नही खतरना रास्ते से होकर अल्याड़,दडेेली और नगालठा गांव के बच्चे स्कूल को जाते हैं। इससे हमेशा अनहोनी 
 मुख्य सड़क मार्ग में ऊतक नाला से नगालठा के लिए करीब 3 किलोमीटर सड़क निर्माण की मांग लोग पिछले 20 सालों से कर रहे हैं, लेकिन लोक निर्माण विभाग सहित जन कल्याण की योजना का दावा करने वाले नेताओं पर इसका कोई भी असर नहीं पड़ा है।  इस अरसे के दौरान प्रदेश में कई सरकारे आ और जा चुकी हैं। इस अवधि में करसोग में भी हर पांच साल विधायक  चुनाव जीत और हार चुके हैं, लेकिन सड़क निर्माण का वादा जमीनी हकीकत में नही बदल स्का है। वहीं करसोग लोक निर्माण विभाग डिवीजन के अधिशाषी अभियंता मान सिंह का कहना है कि सड़क के लिए बजट का कोई प्रावधान नहीं है। उनका कहना है कि अगर सड़क बजट की व्यवस्था होती है तो विभाग बिना देरी के निर्माण कार्य शुरू करेगा। 
Last Updated : Jun 16, 2019, 7:02 PM IST
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