मंडी: हिमाचल के पूर्व राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा प्रदेश में शुरू किए गए प्राकृतिक खेती के कंसेप्ट के प्रति किसानों का रूझान बढ़ने लगा है. प्रदेश में इस वक्त 17 हजार से अधिक किसान प्राकृतिक खेती के साथ जुड़ चुके हैं और हर नए दिन के साथ यह आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. यह जानकारी कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने मंडी में दी.
कृषि मंत्री ने बताया कि आज हिमाचल प्रदेश का यह कंसेप्ट पूरे देश में लागू होने जा रहा है और केंद्र सरकार ने इसके लिए बाकायदा बजट का प्रावधान किया है. डॉ. मारकंडा के अनुसार हाल ही में दिल्ली में देश भर के कृषि मंत्रियों की बैठक हुई थी जिसमें प्राकृतिक खेती पर विस्तार से चर्चा हुई. किसानों की आय दोगुणा करने का जो लक्ष्य रखा गया है उसमें प्राकृतिक खेती अपनी अहम भूमिका निभाएगी. क्योंकि इसमें लागत न के बराबर है जबकि मुनाफा पूरा है.
डॉ. मारकंडा ने बताया कि अब प्रदेश के किसानों को प्राकृतिक खेती के द्वारा नगदी फसलों की तरफ प्रेरित करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सके. डॉ. रामलाल मारकंडा ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने 45 करोड़ के बजट का प्रावधान किया है. इसके तहत प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर शिविरों का आयोजन करके 3400 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है.
प्राकृतिक खेती के तहत राज्य सरकार प्रत्येक किसान को देशी गाय खरीदने के लिए 25 हजार रूपए की राशि देने जा रही है. तीन प्रकार की देशी गायों को सरकार ने चिन्हित किया है जिन्हें किसान इन सरकारी पैसों से खरीद सकेंगे. इसमें थारपार्कर, घीर और रेडसिंधि किस्म की गायें इसमें शामिल हैं. यह गायें राजस्थान या फिर हरियाणा में उपलब्ध होंगी जो किसानों को प्राकृतिक खेती में सहायक साबित होने वाली हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को गौशालाएं बनाने के लिए सरकार अलग से सबसिडी भी देने जा रही है.
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