सराज: सराजघाटी की केओली पंचायत के 'देव केओली नारायण' की प्राण प्रतिष्ठा अब पूरी हो चुकी है. बुधवार को सोने से बने नए रथ में विराजमान होकर 'देव केओली नारायण' ने भक्तों को दर्शन दिए. बुधवार को 'देव केओली नारायण' को देवते की कोठी से एक किलोमीटर दूर उनके मूल स्थान देओरे तक सोने से बने नए रथ को ले जाया गया. जहां देवता के कुल पुरोहित गोल्डी शर्मा ने सबसे पहले नए रथ की प्राण प्रतिष्ठा की और फिर दर्जनों ढोल नगाड़ों के साथ देओलू नाचते गाते उन्हें मूल कोठी केओली गांव तक वापस लाए, जहां कोठी के बाहर उन्हें आम दर्शनों के लिए रखा गया. इस दौरान पूरी सराजघाटी देव ध्वनियों से गूंज उठी.
सोने से बने रथ पर विराजमान होंगे देव केओली नारायण: 'देव केओली नारायण' ने नए रथ में 177 तोला सोना और सवा तीन किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया है. केओली बगलियारा गांव के लोगों ने सिर्फ 107 परिवार के सहयोग से इस रथ को बनाया है, जिसमें सोने और चांदी का इस्तेमाल किया गया है. यह पहली बार है जब मोहरों के साथ-साथ नए रथ का निर्माण भी हुआ है. कहा जाता है कि 'देव केओली नारायण' भगवान विष्णु का ही एक स्वरूप है. कहते हैं कि जो भी यहां अपनी मनोकामना लेकर आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता. 'देव केओली नारायण' अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं.
रथ को बनाने में लगा एक माह का समय: देवता के रथ के ढांचे को बनाने में करीब एक माह का समय लगा. इस पहाड़ी भाषा में जुग्गा भी कहा जाता है. इस देवरथ का निर्माण चिम्मू नामक पेड़ की लकड़ी से किया गया है, जिसे बगलियारा गांव से ही लाया गया था. वहीं, इस साल पहले ही इन लकड़ियों को इकट्ठा कर लिया गया था. पहले इन्हें 6 महीने तक मिट्टी में दबाकर रखा गया और फिर 6 महीने तक सूखने के लिए छोड़ दिया गया.
तीन कारीगरों की 6 माह की मेहनत हुई पूरी: देवता कमेटी के कटवाल ज्योती प्रकाश ने बताया कि कार्तिक माह की तीन तारिक के बाद से इस रथ का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. तीन कारीगरों ने करीब 6 महीने में इस नए रथ का निर्माण कार्य पूरा किया.
रथ के निर्माण को लेकर कई बार हुई बैठक: देवता के रथ के निर्माण को लेकर ग्रमीणों ने कई बार बैठक की. जिसमें रथ को सोने से बनाने का फैसला लिया गया. बैठक में पहले हर परिवार से 10 हजार रुपए के सहयोग को फैसला लिया गया था. लेकिन, राशि कम पड़ी तो इस बढ़ाकर 20 हजार किया गया. वहीं, सरकारी कर्मचारियों के लिए यह राशि 41 हजार रुपए रखी गई थी. लेकिन, कई कर्मचारियों ने इससे ज्यादा ही योगदान दिया.
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