मंडी: नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज के वीर सैनिक शेर सिंह ने मंगलवार सुबह अपने पैतृक गांव में अंतिम सांस ली. सरकाघाट की परसदा हवानी पंचायत के त्रिलोचन कोठी गांव के निवासी शेर सिंह 98 वर्ष के थे. शेर सिंह पिछले 2 वर्षों से बीमार चल रहे थे और उनके इलाज का सारा खर्चा सरकार की ओर से वहन किया गया. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.
शेर सिंह पुत्र नरपत राम 25 वर्ष की आयु में ही नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज में भर्ती हो गए थे और उसके बाद अंग्रेजों से रंगून और वर्मा में लड़ाई लड़ी थी. उन्होंने बहादुरी से अंग्रेजी सेना से लोहा लिया था. उनकी बहादुरी को देखते हुए नेता जी ने उन्हें शेरे हिन्द की उपाधि से अलंकृत किया था.
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बाद में ये अपनी सैन्य टुकड़ी से बिछड़ गए और दो वर्षों तक वर्मा के जंगलों की खाक छानते रहे. बाद में जब भूखे प्यासे अपने घर पहुंचे तो उस समय देश आजाद हो चुका था और वे अपनी खेतीबाड़ी और घर गृहस्थी बसाने में लग गए. जब भारत सरकार ने आजाद हिंद फौज के वीर सैनिकों को उनकी देश के प्रति की गई सेवाओं के लिए पेंशन दी तो सम्मान पूर्वक अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने लगे.
स्वर्गीय शेर सिंह 94 वर्ष की आयु तक हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी के उपमंडल स्तर के समारोह में भाग लेते थे और प्रशासन की ओर से उनको सम्मानपूर्वक घर से लाया और छोड़ा जाता था. समारोह में उन्हें विशिष्ट अतिथि का दर्जा दिया जाता था. प्रशासन ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया.
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