करसोग: हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक आपदा को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने लाखों राशन कार्ड धारकों को बड़ी राहत दी है. अगस्त महीने में भारी बारिश के कारण हुए लैंडस्लाइड की वजह से सैकड़ों सड़कें बाधित हो गई थी. जिसके चलते कई सस्ते राशन के डिपुओं में राशन नहीं पहुंच पाया था. अगस्त महीने में उपभोक्ता डिपुओं से सस्ता राशन नहीं ले पाए, लेकिन अब सभी कार्ड धारक सितंबर महीने में डिपुओं से एक साथ दो महीने का राशन का कोटा उठा सकते हैं. प्रदेश में भारी बरसात से आई आपदा को देखते हुए सुखविंदर सरकार ने अगस्त महीने का राशन कोटा लेप्स न करने के आदेश जारी किए हैं.
डिपुओं में नहीं पहुंचा था राशन कोटा: हिमाचल प्रदेश में 12 से 15 अगस्त तक हुई मूसलाधार बारिश की वजह से सैकड़ों सड़कें अवरुद्ध हो गई थी. ऐसे में 4 लाख से अधिक कार्ड धारक डिपुओं से राशन का कोटा नहीं उठा सके, क्योंकि सड़कें बाधित होने से दूरदराज के कई डिपुओं में राशन पहुंचा ही नहीं था. जिसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने ऐसे सभी उपभोक्ताओं को पिछले महीने का कोटा सितंबर माह में देने का फैसला लिया है. बता दें कि प्रदेश में राशन का कोटा न उठाने पर महीना समाप्त होने पर लेप्स हो जाता है. डिपुओं में उपभोक्ताओं को हर महीने चार दालों में से पसंद की तीन दालें (मलका, माश, दाल चना व मूंग), दो लीटर तेल, नमक, चीनी सहित आटा और चावल बाजार से सस्ते भाव में दिया जाता है.
19 लाख से ज्यादा राशन कार्ड धारक: हिमाचल प्रदेश में राशन कार्ड धारकों की संख्या 19,79,780 है. सरकार इन उपभोक्ताओं को 5222 उचित मूल्य की दुकानों के जरिए सस्ता राशन मुहैया करा रही है. आपदा और महंगाई के समय में डिपुओं में सस्ते राशन की लिफ्टिंग भी शत प्रतिशत है. राशन कार्ड धारकों को भी हर महीने डिपुओं में राशन पहुंचने का इंतजार रहता है. वहीं, हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा जिले में सबसे ज्यादा 4,74,325 राशन कार्ड धारक हैं. जबकि सबसे कम राशन कार्ड धारकों की संख्या लाहौल स्पीति में 8,340 है.
डिपुओं में मिलेगा 2 माह का कोटा: खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के निदेशक राम कुमार गौतम का कहना है कि आपदा को देखते हुए सरकार से अगस्त माह का कोटा लेप्स न करने का फैसला लिया है. इसे लेकर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं. इस महीने राशन कार्ड धारकों को दो माह का राशन का कोटा दिया जाएगा. जिससे उपभोक्ताओं को आपदा के दौर में दिक्कतों से दो-चार न होना पड़े.